गोवा में एक ही राउंड में 14 फरवरी को मतदान हुआ था। यहां भाजपा सत्ता में वापसी के लिए लड़ रही है, जबकि कांग्रेस का कहना है कि वह इस बार मौका नहीं चूकना चाहती। भले ही गोवा दूसरे राज्यों के मुकाबले छोटा है, लेकिन यहां के चुनाव का महत्व किसी भी मायने में कम नहीं है। खासतौर पर किसी को भी बहुमत न मिलने पर यहां एक बार फिर समीकरणों का खेल हो सकता है। 1987 में अलग राज्य का दर्जा पाने वाले गोवा में दो ही जिले हैं, उत्तर गोवा और दक्षिण गोवा। राज्य की कुल 40 सीटों पर 301 उम्मीदवार मैदान में हैं। मुख्यमंत्री प्रमोद सावंत सैंकलिम से चुनाव लड़ रहे हैं। उनका कहना है कि वह इस बार भी सत्ता में वापसी करेंगे और सीएम बनेंगे।
बीते कई दशकों में यह पहला मौका है, जब भाजपा अपने दिग्गज नेता रहे मनोहर पर्रिकर की गैर-मौजूदगी में चुनाव में उतरी है। उनकी 2019 में मौत हो गई थी। उनके बेटे उत्पल पर्रिकर पणजी सीट से निर्दलीय चुनाव में उतरे हैं, जिन्हें भाजपा ने टिकट देने से इनकार किया था। भाजपा का सीधा मुकाबला यूं तो कांग्रेस से ही माना जा रहा है, लेकिन आम आदमी पार्टी, टीएमसी, महराष्ट्रवादी गोमांतक पार्टी भी मुकाबले में हैं। इनमें से ममता बनर्जी की टीएमसी ने एमजीपी के साथ गठजोड़ किया है। वहीं आम आदमी पार्टी को अमित पालेकर को सीएम फेस घोषित कर चुनाव में उतरी थी। यूपी, पंजाब और उत्तराखंड के साथ ही गोवा के चुनाव परिणाम भी 10 मार्च को ही आने वाले हैं।