ममता बनर्जी ने 118 मुस्लिम जातियों को दिया ओबीसी आरक्षण, कोर्ट के फैसले पर अमित शाह ने घेरा
पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने कहा कि वह राज्य में कई वर्गों के अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) के दर्जे को रद्द करने वाले कलकत्ता उच्च न्यायालय के फैसले को स्वीकार नहीं करेंगी।

कोलकाता हाईकोर्ट ने बुधवार को पश्चिम बंगाल में कई वर्गों का ओबीसी (अन्य पिछड़े वर्ग) दर्जा रद्द कर दिया और राज्य की नौकरियों में रिक्तियों के लिए 2012 के एक अधिनियम के तहत इस तरह के आरक्षण को अवैध पाया। इस मुद्दे पर भाजपा के वरिष्ठ नेता अमित शाह ने बंगाल की सीएम ममता बनर्जी पर निशाना साधा है। उन्होंने ममता पर बिना सर्वे के मुसलमानों को आरक्षण देने का आरोप लगाया।
समाचार एजेंसी एएनआई से बात करते हुए अमित शाह ने कहा, "ममता बनर्जी ने बिना किसी सर्वे के 118 मुस्लिम जातियों को ओबीसी आरक्षण दे दिया। कोई कोर्ट गया, कोर्ट ने इस पर संज्ञान लिया और 2010 से 2024 के बीच जारी किए गए सभी सर्टिफिकेट हाईकोर्ट ने रद्द कर दिए हैं। ममता बनर्जी अपने वोट बैंक के लिए पिछड़े वर्ग के आरक्षण को लूटना चाहती हैं और उस आरक्षण को मुस्लिम जातियों को देना चाहती हैं। मैं हाईकोर्ट के फैसले का स्वागत करता हूं।"
अदालत का आदेश स्वीकार्य नहीं: ममता
अधिनियम के प्रावधानों को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर आदेश पारित करते हुए हाईकोर्ट ने स्पष्ट किया कि जिन वर्गों का ओबीसी दर्जा हटाया गया है, उसके सदस्य यदि पहले से ही सेवा में हैं या आरक्षण का लाभ ले चुके हैं या राज्य की किसी चयन प्रक्रिया में सफल हो चुके हैं, तो उनकी सेवाएं इस फैसले से प्रभावित नहीं होंगी। मामले से जुड़े एक वकील ने कहा कि इस फैसले से राज्य में बड़ी संख्या में लोग प्रभावित होंगे। इस पर पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने बुधवार को कहा कि वह राज्य में कई वर्गों के अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) के दर्जे को रद्द करने वाले कलकत्ता उच्च न्यायालय के फैसले को ‘‘स्वीकार नहीं करेंगी।’’ दमदम लोकसभा क्षेत्र के तहत आने वाले खड़दह में एक चुनावी रैली को संबोधित करते हुए बनर्जी ने कहा कि राज्य में ओबीसी आरक्षण जारी रहेगा क्योंकि इससे संबंधित विधेयक संविधान की रूपरेखा के भीतर पारित किया गया।
मैं इसकी कड़ी निंदा करता हूं: अमित शाह
ममता पर निशाना साधते हुए अमित शाह ने कहा, "ममता जी ने कहा कि हमें हाईकोर्ट का फैसला मंजूर नहीं है। मैं बंगाल की जनता से पूछना चाहता हूं कि क्या ऐसा कोई मुख्यमंत्री हो सकता है, जो कहे कि हम कोर्ट का आदेश नहीं मानते? मैं इसकी कड़ी निंदा करता हूं और उच्च न्यायालय के फैसले का स्वागत करता हूं और हम निश्चित रूप से यह सुनिश्चित करेंगे कि उच्च न्यायालय के फैसले को लागू किया जाए...कांग्रेस ने तेलंगाना और कर्नाटक में ओबीसी के आरक्षण को लूट लिया। अब ममता बनर्जी ने ओबीसी का आरक्षण लूट लिया है। ये लोग पिछड़े वर्ग, एससी, एसटी का आरक्षण छीनकर अल्पसंख्यकों और खासकर मुसलमानों को देना चाहते हैं। बीजेपी इसका पुरजोर विरोध करती है। भाजपा किसी भी धर्म के आधार पर आरक्षण का कड़ा विरोध करती है।"
क्या है कोर्ट का फैसला?
अदालत ने पश्चिम बंगाल पिछड़ा वर्ग (अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के अलावा) (सेवाओं और पदों में रिक्तियों का आरक्षण) कानून, 2012 के तहत ओबीसी के तौर पर आरक्षण का लाभ प्राप्त करने वाले कई वर्गों को संबंधित सूची से हटा दिया। न्यायमूर्ति तपब्रत चक्रवर्ती और न्यायमूर्ति राजशेखर मंथा की खंडपीठ ने स्पष्ट किया कि 2010 से पहले ओबीसी के 66 वर्गों को वर्गीकृत करने वाले राज्य सरकार के कार्यकारी आदेशों में हस्तक्षेप नहीं किया गया, क्योंकि इन्हें याचिकाओं में चुनौती नहीं दी गई थी।
पीठ ने निर्देश दिया कि पांच मार्च, 2010 से 11 मई, 2012 तक 42 वर्गों को ओबीसी के रूप में वर्गीकृत करने वाले राज्य के कार्यकारी आदेशों को भी रद्द कर दिया गया। पीठ ने कहा कि पिछड़ा वर्ग आयोग की राय और सलाह आमतौर पर राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग अधिनियम, 1993 के तहत राज्य विधानमंडल के लिए बाध्यकारी है। पीठ ने राज्य के पिछड़ा वर्ग कल्याण विभाग को आयोग के परामर्श से ओबीसी की राज्य सूची में नए वर्गों को शामिल करने या शेष वर्गों को बाहर करने की सिफारिशों के साथ एक रिपोर्ट विधायिका के समक्ष रखने का निर्देश दिया।
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