अराजकता का तांडव, महामहिम! कुछ कीजिए, अधीर रंजन चौधरी का राष्ट्रपति को पत्र; बंगाल में हस्तक्षेप की मांग
लेटरहेड पर लिखे पत्र में अधीर ने राष्ट्रपति से कहा कि वह बंगाल की स्थिति को लेकर व्यक्तिगत रूप से चिंतित हैं। उन्होंने कहा कि यहां सांप्रदायिक हिंसा फैलाने की कोशिश हो रही है।
लोकसभा चुनाव के खत्म हुए अभी दो महीने भी नहीं हुए हैं मगर पश्चिम बंगाल में कांग्रेस और टीएमसी के बीच कुछ ठीक नहीं चल रहा है। कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष अधीर रंजन चौधरी ने एक बार फिर राज्य सरकार की कड़ी आलोचना की है। उन्होंने बंगाल में अराजकता का आरोप लगाते हुए कहा कि कृत्रिम रूप से सांप्रदायिक हिंसा फैलाने की कोशिश की जा रही है। अधीर ने राष्ट्रपति को पत्र लिखकर तुरंत हस्तक्षेप करने की मांग की है।
लेटरहेड पर लिखे पत्र में अधीर ने राष्ट्रपति से कहा कि वह बंगाल की स्थिति को लेकर व्यक्तिगत रूप से चिंतित हैं। उन्होंने कहा, "देश के संवैधानिक प्रमुख के रूप में, राष्ट्रपति को बंगाल में कानून-व्यवस्था बहाल करने के लिए हस्तक्षेप करना चाहिए। इस समय बंगाल में जो अराजकता चल रही है वह न केवल शर्मनाक है बल्कि बेहद चिंताजनक भी है। यह सब विपक्षी दल के समर्थकों और कार्यकर्ताओं पर सत्तारूढ़ दल के क्रूर व्यवहार के कारण है।"
अधीर ने अपने पत्र में संदेशखाली मुद्दे का भी जिक्र किया। उन्होंने आरोप लगाया कि "लोकसभा चुनाव (2024) से पहले मुर्शिदाबाद में सांप्रदायिक हिंसा की योजना बनाई गई थी।" बहरामपुर के पूर्व सांसद ने आरोप लगाया कि चुनाव आयोग के सख्त कदमों के बावजूद लोकसभा चुनाव से पहले सत्तारूढ़ दल के आतंक को रोका नहीं जा सका। लेकिन इस वक्त सबसे ज्यादा चिंता की बात चुनाव के बाद हुई हिंसा है।
अधीर का दावा है कि बंगाल के विपक्षी दलों के नेता, कार्यकर्ता और समर्थक अपने जीवन और आजीविका को लेकर संशय में हैं। इस संदर्भ में उन्होंने मैनागुड़ी में एक कांग्रेस कार्यकर्ता की हत्या का भी जिक्र किया। अधीर का दावा है कि राज्य में इस वक्त अघोषित आपातकाल चल रहा है। जिससे निपटने के लिए राष्ट्रपति के हस्तक्षेप की आवश्यकता है। बंगाल प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष की इन गंभीर आरोपों और मांगों के बाद, बंगाल की राजनीति में एक नया मोड़ आ गया है। अब देखना यह होगा कि राज्य सरकार और राष्ट्रपति भवन से इस पर क्या प्रतिक्रिया आती है।
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