Hindi Newsपश्चिम बंगाल न्यूज़cm Mamata Banerjee taking action against partha chatterjee confidant bureaucrats

पार्थ को फिर लगेगा झटका! ममता बनर्जी ने चटर्जी के भरोसेमंद नौकरशाहों पर शुरू किया ऐक्शन

मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने पार्थ के भरोसेमंद नौकरशाहों पर ऐक्शन लेना शुरू कर दिया है। दो नौकरशाहों को राज्य के कार्मिक और प्रशासनिक सुधार विभाग से अनिश्चित काल के लिए अनिवार्य प्रतीक्षा पर भेजा गया है

Gaurav Kala लाइव हिन्दुस्तान, कोलकाताSat, 6 Aug 2022 06:00 PM
share Share

शिक्षक भर्ती घोटाले में गिरफ्तार हुए पश्चिम बंगाल के पूर्व मंत्री पार्थ चटर्जी पर ममता बनर्जी ऐक्शन ले चुकी है। उन्हें मंत्री पद और पार्टी के सभी विभागों में दिए पद से मुक्त किया जा चुका है। अब मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने पार्थ के भरोसेमंद नौकरशाहों पर ऐक्शन लेना शुरू कर दिया है। दो नौकरशाहों को राज्य के कार्मिक और प्रशासनिक सुधार विभाग से अनिश्चित काल के लिए अनिवार्य प्रतीक्षा पर भेजा गया है। बता दें कि ये विभाग सीधे तौर पर ममता बनर्जी के नियंत्रण में है। दिलचस्प बात यह है कि ममता बनर्जी ने बीते रोज पीएम नरेंद्र मोदी से मुलाकात की थी।

देश में सुर्खियां बटोर चुके पश्चिम बंगाल के शिक्षक भर्ती घोटाला मामले में ईडी ममता सरकार के पूर्व मंत्री पार्थ चटर्जी और उनकी करीबी अर्पिता मुखर्जी को गिरफ्तार कर चुकी है। ईडी के ऐक्शन के बाद ममता ने भी कार्रवाई करते हुए पार्थ को मंत्री पद और पार्टी में सभी विभागों के पदों से निष्कासित किया। अब ममता बनर्जी पार्थ के करीबी नौकरशाहों पर ऐक्शन ले रही हैं। इनमें सबसे अधिक पश्चिम बंगाल सिविल सेवा (कार्यकारी कार्यालय) सुकांत आचार्य हैं, जो तत्कालीन शिक्षा मंत् पार्थ चटर्जी के वक्त वाणिज्य और उद्योग मंत्री थे, तब वो चटर्जी के निजी सहायक रहे थे।

2016 के पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव में, आचार्य बेहाला (पश्चिम) निर्वाचन क्षेत्र के लिए रिटर्निंग ऑफिसर भी थे, जहां चटर्जी 2001 से तृणमूल कांग्रेस के पांच बार विधायक रहे थे।

अनिश्चित काल के लिए अनिवार्य प्रतीक्षा आदेश पाने वाले दूसरे नौकरशाह प्रोबीर बंदोपाध्याय हैं, जो राज्य संसदीय मामलों के विभाग के विशेष कर्तव्य अधिकारी हैं। बंदोपाध्याय 2011 से चटर्जी के साथ थे। यह वो वक्त है जब तृणमूल कांग्रेस 34 साल के लंबे वाममोर्चा शासन को उखाड़कर पश्चिम बंगाल में सत्ता में आई थी। 

हालांकि राज्य कार्मिक एवं प्रशासनिक सुधार विभाग के सूत्रों के अनुसार बंदोपाध्याय के खिलाफ अभी तक ऐसी कोई केंद्रीय एजेंसी कार्रवाई नहीं हुई है। विभाग के एक अधिकारी ने कहा, "लेकिन उन्हें अनिश्चित काल के लिए अनिवार्य प्रतीक्षा पर भेजने के निर्देश शीर्ष स्तर से आए हैं। हमें लगता है कि आने वाले दिनों में इस तरह के और भी अनिवार्य प्रतीक्षा आदेश होंगे।"

2011 से अनिवार्य प्रतिक्षा पर भेजना आम
पश्चिम बंगाल में नौकरशाहों और पुलिस अधिकारियों को अनिवार्य प्रतीक्षा पर भेजना 2011 से एक नियमित प्रवृत्ति रही है। सबसे प्रासंगिक उदाहरण भारतीय पुलिस सेवा (आईपीएस) के पूर्व अधिकारी गौरव चंद्र दत्त का था, जिन्होंने लगभग सात साल तक अनिवार्य प्रतीक्षा पर रहने के बाद स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति ले ली और बाद में कुछ सेवानिवृत्ति लाभों से वंचित होने के बाद आत्महत्या भी कर ली।

लेटेस्ट   Hindi News ,    बॉलीवुड न्यूज,   बिजनेस न्यूज,   टेक ,   ऑटो,   करियर , और   राशिफल, पढ़ने के लिए Live Hindustan App डाउनलोड करें।

अगला लेखऐप पर पढ़ें