CBI जज के सिर पर किसका हाथ, हाईकोर्ट के जज ने की खिंचाई; बंगाल शिक्षक भर्ती घोटाले से जुड़ा केस
एसआईटी सदस्यों से जांच के लिए कहने को लेकर विशेष सीबीआई न्यायाधीश की आलोचना करते हुए, उच्च न्यायालय ने कहा कि मैं उक्त सीबीआई न्यायाधीश द्वारा पारित ऐसे आदेश की निंदा करता हूं।
कलकत्ता उच्च न्यायालय ने विशेष सीबीआई अदालत के न्यायाधीश अर्पण चट्टोपाध्याय की खिंचाई कर दी। दरअसल न्यायाधीश अर्पण चट्टोपाध्याय की अदालत में पश्चिम बंगाल शिक्षक भर्ती घोटाले की सुनवाई हो रही थी। इस बीच कलकत्ता उच्च न्यायालय ने बुधवार को सीबीआई अदालत के न्यायाधीश अर्पण चट्टोपाध्याय का 4 अक्टूबर, 2023 तक तबादला करने का आदेश दे दिया। लेकिन उनका तबादला आदेश अभी तक लागू नहीं किया गया। इससे पहले ही उन्होंने शिक्षक भर्ती घोटाले के मामले में एक आदेश दे दिया। इसी से हाईकोर्ट नाराज हो गया।
बार एंड बेंच की रिपोर्ट के मुताबिक, कोलकाता हाईकोर्ट के न्यायाधीश न्यायमूर्ति अभिजीत गंगोपाध्याय ने कहा, "मैं हैरान हूं कि तबादला आदेश को प्रभावी क्यों नहीं किया गया? वर्तमान सीबीआई जज (कार्यवाहक) के सिर पर किसका हाथ है जिसके लिए किसी नए न्यायाधीश का तबादला नहीं किया गया है?" इसके बाद न्यायमूर्ति गंगोपाध्याय ने पश्चिम बंगाल के कानून मंत्री मलय घटक को अपने सामने पेश होने के लिए बुलाया ताकि यह पता लगाया जा सके कि सीबीआई न्यायाधीश का अब तक तबादला क्यों नहीं किया गया, क्योंकि फाइल उनके ही विभाग में पड़ी थी। मलय घटक ने अदालत को बताया कि वह अस्पताल में हैं और आदेश पर अमल करने के लिए छह अक्टूबर तक का समय मांगा।
हाईकोर्ट ने फैसला सुनाया कि 4 अक्टूबर तक सीबीआई जज का ट्रांसफर कर दिया जाए। इसने पश्चिम बंगाल सरकार को भी यह आदेश दिया कि उसके किसी भी अधिकारी को शिक्षक भर्ती घोटाले की जांच कर रहे विशेष जांच दल (एसआईटी) के सदस्यों के खिलाफ कोई शिकायत नहीं करनी चाहिए या उस पर विचार नहीं करना चाहिए। न्यायमूर्ति गंगोपाध्याय ने अपने आदेश में कहा, "पश्चिम बंगाल सरकार के अधीन सभी प्राधिकारियों को निर्देश दिया जाता है कि वे इस अदालत की अनुमति के बिना एसआईटी के प्रमुख या इस अदालत द्वारा गठित एसआईटी के किसी भी सदस्य के खिलाफ कोई शिकायत न करें या उस पर विचार न करें।"
दरअसल उच्च न्यायालय का फैसला ऐसे समय में आया है जब उसे बताया गया कि हिरासत में एक आरोपी व्यक्ति द्वारा कुछ आरोप लगाए जाने के बाद एसआईटी के कुछ सदस्यों को कोलकाता पुलिस द्वारा कथित तौर पर परेशान किया गया था। उसके बाद, केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) द्वारा जांच किए गए मामलों की सुनवाई करने वाले एक विशेष न्यायाधीश ने एसआईटी सदस्यों को जांच के लिए कोलकाता पुलिस के सामने पेश होने का निर्देश दिया।
एसआईटी सदस्यों से जांच के लिए कहने को लेकर विशेष सीबीआई न्यायाधीश की आलोचना करते हुए, उच्च न्यायालय ने कहा, "मैं उक्त सीबीआई न्यायाधीश द्वारा पारित ऐसे आदेश की निंदा करता हूं। ऐसे न्यायाधीश के पास एसआईटी को जांच के लिए कोलकाता पुलिस को भेजने का कोई अधिकार नहीं है। दोनों पुलिस अधिकारियों और ऐसे न्यायाधीश को यह ध्यान में रखना चाहिए कि चूंकि इस एसआईटी का गठन इस अदालत (हाईकोर्ट) द्वारा किया गया है। एसआईटी के अधिकारियों को ऐसे पुलिस प्राधिकरण के पास पूछताछ के लिए भेजने का उनका कोई काम नहीं है।"
चार सीबीआई गवाहों को न्यायिक हिरासत में भेजने की सीबीआई न्यायाधीश चट्टोपाध्याय की कार्रवाई पर ध्यान देते हुए, उच्च न्यायालय ने कहा कि न्यायाधीश ने मामले में "हानिकारक तरीके से काम किया" और "गवाहों की रक्षा" नहीं की। न्यायमूर्ति गंगोपाध्याय ने कहा, "मुझे नहीं पता कि वहां काम कर रहे सीबीआई विशेष अदालत के न्यायाधीश के इस अतिउत्साह का कारण क्या है। गवाहों की रक्षा करने के बजाय, उन्होंने जांच के लिए हानिकारक काम किया। सीबीआई का कहना है, इस घटना के बाद कोई भी इस आशंका से अपना मुंह नहीं खोल रहा है कि अगर वे गवाह बने तो उन्हें भी सीबीआई अदालत के आदेश से गिरफ्तार किया जाएगा।'' उच्च न्यायालय के न्यायाधीश ने कहा कि सीबीआई या प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) को छोड़कर किसी को भी, सीबीआई द्वारा गवाह के रूप में नामित किसी भी व्यक्ति को गिरफ्तार नहीं करना चाहिए। इस मामले पर 18 अक्टूबर को हाई कोर्ट में दोबारा सुनवाई होगी।
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