‘कानूनी रूप से वैध नहीं’, ममता सरकार ने डॉक्टरों के सामूहिक इस्तीफे को किया खारिज
- बलात्कार और उसकी हत्या के मामले में न्याय की मांग करते हुए राज्य सरकार द्वारा संचालित अस्पतालों के कई चिकित्सकों ने सामूहिक रूप से हस्ताक्षरित ‘‘त्यागपत्र’’ सरकार को सौंपा है।
पश्चिम बंगाल सरकार ने राज्य के सरकारी अस्पतालों से डॉक्टरों के सामूहिक इस्तीफे को खारिज कर दिया। राज्य सरकार ने कहा कि इस्तीफे कानूनी रूप से मान्य नहीं हैं और इसे सेवा नियमों के अनुसार व्यक्तिगत रूप से प्रस्तुत किया जाना चाहिए। पश्चिम बंगाल के राज्य संचालित मेडिकल कॉलेजों और अस्पतालों के वरिष्ठ डॉक्टरों ने सामूहिक रूप से इस्तीफा दे दिया था, जिससे चिकित्सा क्षेत्र में हलचल मच गई। सागर दत्ता अस्पताल और पोस्ट ग्रेजुएट मेडिकल एजुकेशन एंड रिसर्च (PGMER) संस्थान के डॉक्टरों ने भी इस सामूहिक इस्तीफे का समर्थन किया है और जल्द ही अपने इस्तीफे देने की तैयारी में हैं, जिससे ममता बनर्जी सरकार पर दबाव और बढ़ गया है।
कोलकाता के आर.जी. कर चिकित्सा महाविद्यालय एवं अस्पताल में प्रशिक्षु चिकित्सक के साथ बलात्कार और उसकी हत्या के मामले में न्याय की मांग करते हुए राज्य सरकार द्वारा संचालित अस्पतालों के कई चिकित्सकों ने सामूहिक रूप से हस्ताक्षरित ‘‘त्यागपत्र’’ सरकार को सौंपा है। पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के मुख्य सलाहकार अलपन बंद्योपाध्याय ने यहां राज्य सचिवालय ‘नबान्न’ में संवाददाताओं से कहा, ‘‘जब तक कोई कर्मचारी सेवा नियमों के अनुसार नियोक्ता को व्यक्तिगत रूप से अपना इस्तीफा नहीं भेजता है, तब तक वह त्यागपत्र नहीं है।’’
उन्होंने स्पष्ट किया कि चिकित्सकों द्वारा भेजे गए पत्र में केवल सामूहिक हस्ताक्षर थे, जिनमें विशिष्ट मुद्दों पर कोई चर्चा नहीं की गई थी। इस सप्ताह की शुरुआत में, आर.जी. कर चिकित्सा महाविद्यालय के वरिष्ठ चिकित्सकों के एक समूह ने अपने प्रदर्शनकारी जूनियर सहकर्मियों के साथ एकजुटता दिखाते हुए सामूहिक रूप से हस्ताक्षरित ‘‘त्यागपत्र’’ भेजा था। इसके बाद, अन्य सरकारी अस्पतालों के चिकित्सकों ने भी इसी तरह के पत्र भेजे। राज्य के कई सरकारी अस्पतालों के कनिष्ठ चिकित्सक अपनी सहकर्मी के लिए न्याय, राज्य के स्वास्थ्य सचिव के इस्तीफे और कार्यस्थल पर सुरक्षा बढ़ाने की मांग को लेकर आमरण अनशन पर हैं।
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