बिहार में मॉनसून कमजोर रहने के आसार, 4 राज्यों में हो सकती है कम बारिश; IMD ने डराया
- Monsoon: IMD के महानिदेशक मृत्युंजय महापात्र ने कहा, 'मॉनसून के दौरान सामान्य वर्षा की 30 प्रतिशत संभावना, सामान्य से अधिक वर्षा की 33 प्रतिशत संभावना और अत्यधिक वर्षा की 26 प्रतिशत संभावना है।'

IMD यानी भारत मौसम विज्ञान विभाग ने मंगलवार को किसानों को खुशखबरी दे दी। दरअसल, मौसम विभाग ने 2025 में दक्षिण पश्चिम मॉनसून अच्छा रहने की संभावनाएं जताई हैं। हालांकि, कुछ इलाके ऐसे भी हैं जहां मॉनसून कमजोर रह सकता है। इनमें बिहार के भी कुछ हिस्से शामिल हैं। भारत में मॉनसून आमतौर पर 1 जून से 30 सितंबर के बीच सक्रिय रहता है।
यहां कम बारिश के आसार
IMD ने कहा है कि मॉनसून के दीर्घकालिक पूर्वानुमान के अनुसार, तमिलनाडु और पूर्वोत्तर क्षेत्र के बड़े हिस्से में सामान्य से कम वर्षा होने का अनुमान है। जबकि, बिहार के कुछ हिस्सों में भी बारिश कम हो सकती है। पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय की तरफ से मंगलवार को जारी मैप में भी ऐसे ही आसार नजर आ रहे हैं। मंत्रालय ने यह भी कहा है कि पिछले तीन महीनों से यूरेशिया में सामान्य से कम बर्फबारी मॉनसून को बढ़ावा दे सकती है।
पीटीआई भाषा के अनुसार, मॉनसून के दौरान जम्मू-कश्मीर, लद्दाख, तमिलनाडु, बिहार और पूर्वोत्तर राज्यों के कुछ हिस्सों में सामान्य से कम वर्षा होने का अनुमान है। IMD के महानिदेशक मृत्युंजय महापात्र ने कहा, 'मॉनसून के दौरान सामान्य वर्षा की 30 प्रतिशत संभावना, सामान्य से अधिक वर्षा की 33 प्रतिशत संभावना और अत्यधिक वर्षा की 26 प्रतिशत संभावना है।'
किसानों के लिए खुशखबरी
वर्षा आधारित खेती करने वाले अधिकांश राज्यों के लिए मॉनसून बड़ा तोहफा लेकर आ रहा है। मौसम विभाग का का अनुमान है कि मध्यप्रदेश, राजस्थान, महाराष्ट्र, ओडिशा, छत्तीसगढ़, उत्तर प्रदेश और पश्चिम बंगाल के बड़े हिस्सों में सामान्य से अधिक वर्षा हो सकती है।
मॉनसून भारत के कृषि क्षेत्र के लिए महत्वपूर्ण है, जो लगभग 42.3 प्रतिशत आबादी की आजीविका का आधार है और देश के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में 18.2 प्रतिशत का योगदान देता है।
ऐसे होती है गणना
आईएमडी के अनुसार, 50 वर्ष के औसत 87 सेंटीमीटर के 96 प्रतिशत से 104 प्रतिशत के बीच वर्षा को ‘सामान्य’ माना जाता है। दीर्घावधि औसत के 90 प्रतिशत से कम वर्षा को ‘कम’ माना जाता है, 90 प्रतिशत से 95 प्रतिशत के बीच को ‘सामान्य से कम’, 105 प्रतिशत से 110 प्रतिशत के बीच को ‘सामान्य से अधिक’ तथा 110 प्रतिशत से ज्यादा को ‘अधिक’ वर्षा माना जाता है।
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