Hindi Newsमौसम न्यूज़Cold wave will increase in western India rain and chill IMD released January update

सावधान! पश्चिम भारत में बढ़ेगी ठंड की लहर, बारिश बढ़ाएगी ठिठुरन; IMD ने जारी किया जनवरी का अपडेट

  • आईएमडी ने कहा कि जनवरी से मार्च के दौरान उत्तर भारत में वर्षा सामान्य से कम रहने की संभावना है, जो दीर्घावधि औसत (एलपीए) के 86 प्रतिशत से भी कम होगी।

Amit Kumar लाइव हिन्दुस्तान, नई दिल्लीWed, 1 Jan 2025 08:46 PM
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भारतीय मौसम विभाग (IMD) ने जनवरी 2025 के लिए मौसम का पूर्वानुमान जारी किया है। इसके अनुसार, देश के अधिकांश हिस्सों में इस महीने न्यूनतम तापमान सामान्य से अधिक रहने की संभावना है। हालांकि, देश के पूर्वी, उत्तर-पश्चिमी और पश्चिम-मध्य भारत के कुछ हिस्सों में सामान्य या उससे कम न्यूनतम तापमान दर्ज किया जा सकता है। इसके साथ ही, पश्चिमी और मध्य भारत के उत्तरी हिस्सों में इस महीने सामान्य से अधिक ठंड की लहरें (कोल्ड वेव) चलने की संभावना जताई गई है। यह ठंड की स्थिति लोगों के स्वास्थ्य और फसलों पर प्रभाव डाल सकती है।

जनवरी में सामान्य से अधिक वर्षा की संभावना

मौसम विभाग के अनुसार, जनवरी 2025 में देश के अधिकांश हिस्सों में सामान्य से अधिक बारिश होने की संभावना है। हालांकि, उत्तर-पश्चिम भारत, पूर्वोत्तर और मध्य भारत के कुछ हिस्सों में सामान्य या उससे कम बारिश हो सकती है। मौसम विभाग ने किसानों और आम जनता को इस मौसम की स्थिति के अनुसार सतर्क रहने और आवश्यक तैयारी करने की सलाह दी है।

भारत मौसम विज्ञान विभाग के महानिदेशक मृत्युंजय महापात्र ने एक ऑनलाइन प्रेस वार्ता के दौरान कहा कि उत्तर-पश्चिम, मध्य और पूर्वी भारत तथा दक्षिणी प्रायद्वीप के मध्य भागों को छोड़कर देश के अधिकतर भागों में अधिकतम तापमान सामान्य से अधिक रहने की संभावना है। उन्होंने कहा कि मध्य भारत के पश्चिमी और उत्तरी भागों में जनवरी के दौरान शीतलहर दिवस सामान्य से अधिक रहने की संभावना है।

आईएमडी ने कहा कि जनवरी से मार्च के दौरान उत्तर भारत में वर्षा सामान्य से कम रहने की संभावना है, जो दीर्घावधि औसत (एलपीए) के 86 प्रतिशत से भी कम होगी। साल 1971-2020 के आंकड़ों के आधार पर, इस अवधि के दौरान उत्तर भारत में औसत वर्षा का स्तर लगभग 184.3 मिमी है।

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पंजाब, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश, जम्मू-कश्मीर, उत्तराखंड और उत्तर प्रदेश जैसे उत्तरी और उत्तर-पश्चिमी राज्य सर्दियों (अक्टूबर से दिसंबर) में गेहूं, मटर, चना और जौ सहित रबी फसलों की खेती करते हैं और गर्मियों (अप्रैल से जून) में उनकी कटाई करते हैं। सर्दियों के दौरान पश्चिमी विक्षोभ के कारण होने वाली वर्षा, उनकी खेती में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है।

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