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भगवान विष्णु के मंदिर का 'रक्षक' है ये शाकाहारी मगरमच्छ, अब इसके पुनर्जन्म की चर्चा

  • केरल के श्री अनंतपद्मनाभ स्वामी मंदिर में बाबिया नामक शाकाहारी मगरमच्छ की कहानी काफी लोकप्रिय है। भक्त उसे चावल और गुड़ खिलाते हैं। ऐसा मानते हैं कि मौत के एक साल बाद यह तालाब में पुनर्जीवित हुआ।

Gaurav Kala लाइव हिन्दुस्तानWed, 26 March 2025 07:45 PM
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भगवान विष्णु के मंदिर का 'रक्षक' है ये शाकाहारी मगरमच्छ, अब इसके पुनर्जन्म की चर्चा

भारत में कई धार्मिक स्थल ऐसे हैं, जहां चमत्कार और रहस्य की कहानियां जुड़ी होती हैं। केरल के कासरगोड स्थित श्री अनंतपद्मनाभ स्वामी मंदिर का बाबिया नामक मगरमच्छ भी ऐसी ही एक अद्भुत और अनोखी कथा का हिस्सा है। दशकों तक मंदिर की झील में रहने वाला यह मगरमच्छ न सिर्फ पूरी तरह शाकाहारी था, बल्कि भक्तों के लिए श्रद्धा और आस्था का प्रतीक भी बन गया था। मौत के एक साल बाद मंदिर के तालाब में फिर शाकाहारी मगरमच्छ दिखाई देने लगा है।

श्रद्धा का प्रतीक शाकाहारी मगरमच्छ

मगरमच्छ अपनी आक्रामक प्रवृत्ति और मांसाहारी भोजन के लिए जाने जाते हैं, लेकिन बाबिया ने इस धारणा को पूरी तरह गलत साबित किया। इस मगरमच्छ ने मंदिर के तालाब में कभी किसी जीव को नुकसान नहीं पहुंचाया और सिर्फ मंदिर से मिलने वाला प्रसाद – चावल और गुड़ ही खाया। भक्तों का मानना था कि बाबिया मंदिर का रक्षक था और उसकी उपस्थिति किसी दैवीय संकेत से कम नहीं थी।

बाबिया की रहस्यमयी कहानी

मंदिर से जुड़ी एक दंतकथा के अनुसार, 1945 में एक ब्रिटिश सैनिक ने मंदिर तालाब में एक मगरमच्छ को गोली मार दी थी। लेकिन कुछ ही दिनों बाद एक नया मगरमच्छ तालाब में प्रकट हो गया, जिसे बाद में बाबिया नाम दिया गया। इस घटना के बाद, भक्तों ने इसे दैवीय कृपा और मंदिर का आध्यात्मिक रक्षक मानना शुरू कर दिया।

नेताओं ने दी विदाई

अक्टूबर 2022 में 75 वर्ष की आयु में बाबिया का निधन हो गया। उसकी बिगड़ती सेहत के कारण उसे मंगलुरु के पिलिकुला बायोलॉजिकल पार्क ले जाया गया था, लेकिन वहां उसकी मृत्यु हो गई। बाबिया को पूरे मंदिरीय सम्मान के साथ अंतिम विदाई दी गई, जिसमें नेताओं और गणमान्य व्यक्तियों ने भी भाग लिया। भक्तों के अंतिम दर्शन के लिए उसे एक विशेष फ्रीजर में रखा गया और श्रद्धालुओं ने अपने प्रिय मगरमच्छ को भावभीनी श्रद्धांजलि दी।

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एक साल बाद फिर हुआ चमत्कार

बाबिया के निधन के एक साल बाद 2023 में मंदिर के तालाब में एक नया मगरमच्छ दिखाई दिया। यह घटना कई लोगों के लिए आश्चर्यजनक और रहस्यमयी थी। मंदिर प्रशासन के अनुसार, "जब भी एक मगरमच्छ मरता है, तो जल्द ही दूसरा मगरमच्छ तालाब में आ जाता है। यह अब तक एक अनसुलझा रहस्य बना हुआ है।"

नए मगरमच्छ को भी बाबिया नाम दिया गया और कई श्रद्धालुओं ने इसे तालाब के पास स्थित एक गुफा में विश्राम करते हुए देखा।

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