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उत्तराखंड में घटने लगा तापमान, सीजन का सबसे सर्द दिन रहा गुरुवार; IMD ने बताई बारिश-बर्फबारी की तारीख

उत्तराखंड में ठंडी हवाओं के साथ ही पश्चिमी विक्षोभ के असर की वजह से तापमान घटने लगा है। देहरादून में बुधवार की रात सबसे ठंडी और गुरुवार की सुबह और दिन सीजन के सबसे सर्द रहे। दून का न्यूनतम तापमान जहां बुधवार को 9.5 डिग्री था, वह गुरुवार को 1.2 डिग्री कम होकर 8.3 डिग्री पर आ गया।

Sneha Baluni हिन्दुस्तान, देहरादूनFri, 6 Dec 2024 01:21 PM
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उत्तराखंड में ठंडी हवाओं के साथ ही पश्चिमी विक्षोभ के असर की वजह से तापमान घटने लगा है। देहरादून में बुधवार की रात सबसे ठंडी और गुरुवार की सुबह और दिन सीजन के सबसे सर्द रहे। दून का न्यूनतम तापमान जहां बुधवार को 9.5 डिग्री था, वह गुरुवार को 1.2 डिग्री कम होकर 8.3 डिग्री पर आ गया। अधिकतम तापमान भी जहां 27.4 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया था, वो भी 2.2 डिग्री गिरकर 25.2 डिग्री सेल्सियस पर आ गया।

आठ दिसंबर से बारिश बर्फबारी का पूर्वानुमान

इधर, मौसम विज्ञान केंद्र देहरादून के वैज्ञानिक रोहित थपलियाल का कहना है कि आठ और नौ दिसंबर को प्रदेश में पश्चिमी विक्षोभ का असर दिखेगा। उन्होंने बताया कि प्रदेशभर में हल्की बारिश की संभावना है और 2500 मीटर ऊंचाई से ऊपर बारिश हो सकती है। तापमान में भी दो से चार डिग्री की कमी आएगी, इससे ठंड में और इजाफा होगा।

सेहत का रखें ख्याल

फिजिशियन डॉ. अंकुर पांडेय एवं डॉ. जयति डबराल के मुताबिक, ठंड के मौसम में बुजुर्गों के साथ बच्चों का खास ख्याल रखने की जरूरत है। क्योंकि, सामान्य प्रतिरोधक क्षमता अधिकतम 10 डिग्री सेल्सियस का अंतर सहने की होती है। इस अंतर के बढ़ने से भी सेहत पर बुरा असर पड़ेगा। खांसी, सर्दी-जुकाम और वायरल बुखार के मरीजों की संख्या बढ़ गई है। अस्थमा के मरीजों को ज्यादा दिक्कत होती है। शरीर के तापमान का संतुलन बनाए रखें और गुनगुने पानी का सेवन करते रहें।

पैदावार पर पड़ेगा असर

कृषि विज्ञान केंद्र ढकरानी के वैज्ञानिक डॉ. संजय राठी ने बताया कि अधिकतर भूमि में नमी नहीं है। अगर आने वाले दिनों में पछुवादून में अच्छी बारिश होती है तो गेहूं की बिजाई जोर पकड़ सकती है। देरी से बिजाई का असर पैदावार पर पड़ेगा।

पछुवादून में बारिश नहीं होने से किसानों की चिंता बढ़ी

पछुवादून, जौनसार बावर में मौसम की बेरुखी से सूखे जैसे हालात बन गए हैं। बीते तीन माह से बारिश नहीं हो रही है। इसका सीधा असर खेती पर पड़ रहा है। जौनसार के पेयजल स्रोतों में जलस्तर घटने लगा है। संतराम, महेश नेगी, रमन ठाकुर ने बताया कि इन दिनों खेतों में जौ और लहसुन की बिजाई की गई है। पर, बारिश न होने से फसल समय पर निकल नहीं पाएगी। मेहरबान सिंह, विजय रावत ने कहा कि इन दिनों सेब के पेड़ में खाद डाली जाती है, लेकिन बारिश न होने से मुश्किल हो रही है। लहसुन की फसल भी पीली पड़ रही है।

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