उत्तराखंड रोडवेस को किसी हादसे का इंतजार...इन रूटों पर उम्र पूरी कर चुकीं दौड़ रहीं बसें
उत्तराखंड परिवहन विभाग पहाड़ी सड़कों में कई उम्र पूरी कर चुकी बसें दौड़ा रहा है। इससे इन बसों के आए दिन लंबी दूरी के मार्गों में जवाब देने से यात्रियों को दिक्कत का सामना करना पड़ता है।
उत्तराखंड परिवहन विभाग पहाड़ी सड़कों में कई उम्र पूरी कर चुकी बसें दौड़ा रहा है। इससे इन बसों के आए दिन लंबी दूरी के मार्गों में जवाब देने से यात्रियों को दिक्कत का सामना करना पड़ता है। पहाड़ी क्षेत्रों से मैदानी शहरों के लिए आवाजाही को रोडवेज की बसें परिवहन की रीढ़ हैं।
दिल्ली, देहरादून, बरेली, लखनऊ के साथ अन्य महानगरों के लिए भी यहां से लोग आज भी रोडवेज की बसों में यात्रा करते हैं। इसके बावजूद परिवहन विभाग यात्रियों को बेहतर सुविधाएं देने की जगह उम्र पूरी कर चुकी बसों को पहाड़ी मार्गों में दौड़ा रहा है। पिथौरागढ़ रोडवेज का बस बेड़ा 58 बसों का है।
इसमें से 34 बसें पहाड़ में आवाजाही के लिए तय किए गये 6 लाख किमी के मानक को पूरा कर चुकी हैं। 16 बसें ही ऐसी हैं जो अभी पर्वतीय मार्ग में चलने का मानक पूरा नहीं कर पाई हैं। रोज पर्वतीय मार्गों में दौड़ने वाली बसों से सड़क हादसे कम हों इसके लिए पूर्व सरकार ने पर्वतीय क्षेत्र में आवाजाही के लिए किमी के मानक तय किए थे।
अब इन मानकों की अनदेखी के कारण बसें मंजिल तक पहुंचने से पहले ही यात्रियों को कई बार धोखा दे रही हैं। इससे यात्रियों को परेशानी झेलनी पड़ती है।
2500 से अधिक यात्री रोज करते हैं रोडवेज की बसों में सफर: पिथौरागढ़ रोडवेज की बसों में रोज 2500 से 3 हजार तक यात्री सफर करते हैं। ऐसे में आयु पूरी कर चुकी बसों को सड़क पर दौड़ाने से लोगों को विश्वसनीय सेवा नहीं मिल पा रही है।
सुरक्षित और आरामदायक यात्रा के लिए परिवहन विभाग कुछ नहीं कर पा रहा है। बसों की कमी से कई मार्गों की सेवा हुई बंद रोडवेज प्रबंधन कमाई बेहतर होने के बाद भी सेवा को विश्वसनीय तो नहीं बना पाया उसने बसों की कमी के बहाने कई मार्गों की सेवा जरुर बंद कर दी।
पिथौरागढ़ -नैनीताल-हल्द्वानी जाने वाली बस सेवा बंद कर दी गई है। इधर, पिथौरागढ़ डिपो की 4 बसें बागेश्वर डिपो को भेजी गई है। यह सभी बसें 2020 में जिले को मिली थी। 10 बसें वर्ष 2022 में उम्र पूरी करने के बाद भेजी गई थी।
पिथौरागढ़ को दी जाएं नई बसें
पिथौरागढ़ डिपो को लोगों ने नई बसें देने की मांग की है। कहा है कि यहां से मैदानी शहरों को अधिकतर लोग बसों में सफर करते हैं। टनकपुर मार्ग में निजी बसों को आवाजाही की अनुमति तक नहीं है। इस मार्ग से अधिकतर यात्री रोडवेज से ही सफर करते हैं।
सुनील वर्मा ने कहा कि जिले को नई बसों का बेड़ा दिया जाए। इससे लोगों को विश्वसनीय बस सेवा मिल सके। कांग्रेस के पूर्व नगर अध्यक्ष पवन पाटनी ने भी रोडवेज को नई बसें देने की मांग की है।
पर्वतीय मार्गों में रोडवेज को 6 लाख किमी से कम चली बसों को ही संचालित करना चाहिए। उम्र पूरी कर चुकी बसों को यहां दौड़ाने से वे रास्ते में खड़ी हो जा रहीं है। सरकार को को नई बसें देनी होंगी।
मोहन चन्द्र भट्ट, अध्यक्ष, जिला बार एसो. पिथौरागढ़।
यात्रियों को भरोसेमंद सेवा देने के पूरे प्रयास हो रहे हैं। नए एमबी एक्ट में बसों के संचालन की सीमा15साल है। यहां की10 बसें पूर्व में मैदान पर भेजी गई हैं।
रवि शेखर कापड़ी, एआरएम, रोडवेज, पिथौरागढ़।
लेटेस्ट Hindi News , बॉलीवुड न्यूज, बिजनेस न्यूज, टेक , ऑटो, करियर , और राशिफल, पढ़ने के लिए Live Hindustan App डाउनलोड करें।