जिम कार्बेट पार्क में वर्चस्व की लड़ाई में हारे ‘बाघों’ ने नए ठिकाने तलाशे, अब तराई सहित इन इलाकों में डाल रहे डेरा
जिम कॉर्बेट नेशनल पार्क में बाघों का कुनबा तेजी से बढ़ रहा है। इससे वर्चस्व की लड़ाई में हारे बूढ़े और कमजोर बाघ आसान शिकार की तलाश में नया ठिकाना तलाश रहे हैं। बाघों के तराई सहित यह नए ठिकाने बन रहे।
जिम कॉर्बेट नेशनल पार्क में बाघों का कुनबा तेजी से बढ़ रहा है। इससे वर्चस्व की लड़ाई में हारे बूढ़े और कमजोर बाघ आसान शिकार की तलाश में नया ठिकाना तलाश रहे हैं। वर्चस्व की लड़ाई में हारने के बाद बाघों के नए ठिकाने से अब लोगों की भी टेंशन बढ़ गई है। हार का मुंह देखने के बाद बाघ अब तराई के जंगलों में पलायन कर रहे हैं। बाघों के पलायन की वजह से लोगों की परेशानी भी बढ़ गई है। इससे तराई क्षेत्र में मानव-वन्यजीव संघर्ष की आशंका भी बढ़ गई है। कॉर्बेट पार्क में 250 से अधिक बाघ हैं।
चिंता की बात है कि कार्बेट पार्क में बाघों की संख्या बढ़ने के साथ ही उनका दायरा सिकुड़ता जा रहा है। वन्यजीव विशेषज्ञों के अनुसार बीते सालों में इससे बाघों में आपसी संघर्ष भी बढ़ा है। ऐसे में कमजोर बाघों को अपना इलाका छोड़ना पड़ रहा है। वन विभाग को पिछले एक साल में ही ऊधमसिंहनगर के तराई पश्चिमी वृत्त की बाजपुर, टांडा, जसपुर, गदगदिया, पीपल पड़ाव समेत कई रेंजों में नए बाघों का मूवमेंट मिला है। वन अफसरों के अनुसार, इसमें अधिकतर बूढ़े और कमजोर बाघ हैं।
बूढ़े बाघ इंसानों पर होते हैं हमलावर : बाघ की औसतन आयु 10 से 12 वर्ष की होती है। नौ वर्ष की आयु के बाद बाघ के नाखून और दांत घिसने के साथ ही वह शारीरिक रूप से कमजोर हो जाता है। जंगल में शिकार नहीं कर पाने पर वह इंसानों पर हमलावर होता है।
कॉर्बेट में बाघों की संख्या बढ़ने से कमजोर और अधिक उम्र के बाघ आपसी संघर्ष में हारकर तराई का रुख कर रहे हैं। तराई के जंगलों में एक साल में दस से अधिक बाघ मिले हैं। बूढ़े बाघों की इंसानों पर हमला करने की आशंका ज्यादा रहती है। इनके मूवमेंट पर नजर रखी जा रही है।
वैभव सिंह, डीएफओ, तराई केन्द्रीय वन प्रभाग
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