पहाड़ों में पहली बार 2 हजार मीटर से नीचे नहीं पड़ी बर्फ, एक्सपर्ट को इस बात का सता रहा डर
उत्तराखंड के पहाड़ों में इस बार पिछले तीन सालों में हिमालयी रेंज में सबसे कम बर्फबारी हुई है। इन सालों में यह पहला मौका है जब दो हजार मीटर से नीचे वाले क्षेत्रों में एक बार भी हिमपात नहीं हुआ है।
उत्तराखंड के पहाड़ों में इस बार पिछले तीन सालों में हिमालयी रेंज में सबसे कम बर्फबारी हुई है। इन सालों में यह पहला मौका है जब दो हजार मीटर से नीचे वाले क्षेत्रों में एक बार भी हिमपात नहीं हुआ है। जिस कारण मैदानी क्षेत्रों के लोगों को भी हिमालयी नदियों में कम पानी के कारण इस बार गर्मी के मौसम में सिंचाई व पेयजल संकट का सामना करना पड़ेगा।
जाड़ों के मौसम में बर्फबारी से ढ़के रहने वाले पहाड़ों में इस बार पूरे सीजन में बर्फबारी नहीं हुई। उच्च हिमालयी व इससे लगे क्षेत्रों में 7 से अधिक बार नाम मात्र की बर्फबारी हुई है। मौसम विभाग के अनुसार इस बार शुरू से ही पश्चिमी विक्षोभ कमजोर रहा है। कई बार पश्चिमी विक्षोभ यहां पहुंचा पर सक्रियता अधिक नहीं होने के कारण अन्य सालों की तरह बर्फबारी नहीं हो सकी।
सीमांत जनपद के दो हजार मीटर से नीचे के क्षेत्रों में वर्ष 2021-22 में 21 बार बर्फबारी हुई थी। वर्ष 2020-21 में 13 बार इन क्षेत्रों में बर्फबारी हुई। पहाड़ के मौसम के जानकार व डीआरडीओ के वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. हेमंत पाण्डे ने कहा कि गर्मियों में पहाड़ों में कम बर्फबारी का असर यहां की नदियों के प्रवाह व जल स्रोतों में पड़ेगा।
इस बार यहां पहली बार ऐसा हुआ है कि दो हजार मीटर से नीचे बर्फबारी नहीं हुई है। इसका असर पेयजल स्रोतों में पड़ने लगा है।
राजेन्द्र सिंह रावत, 60 वर्ष, सरमोली, मुनस्यारी।
पश्चिमी विक्षोभ की कमजोर सक्रियता के कारण हिमालय से लगे कई क्षेत्रों में हिमपात पर्याप्त नहीं हुआ है। कम बारिश के पीछे भी यही कारण रहा है। बर्फबारी और बारिश पूरी तरह से पश्चिमी विक्षोभ की सक्रियता पर निर्भर रहती है।
विक्रम सिंह, निदेशक, मौसम विभाग, उत्तराखंड
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