शिक्षा मित्रों को नौकरी में ‘वेटेज’ मिलेगा,जानिए कैसे
राष्ट्रीय अध्यापक शिक्षा परिषद यानी एनसीटीई के मानकों के कारण पक्की नौकरी के लिए अपात्र माने गए शिक्षा मित्रों को उत्तराखंड सरकार राहत देने की तैयारी कर रही है। भविष्य में खाली पदों पर होने वाली...
राष्ट्रीय अध्यापक शिक्षा परिषद यानी एनसीटीई के मानकों के कारण पक्की नौकरी के लिए अपात्र माने गए शिक्षा मित्रों को उत्तराखंड सरकार राहत देने की तैयारी कर रही है। भविष्य में खाली पदों पर होने वाली स्थायी भर्ती में इन सभी शिक्षा मित्रों को सेवा अवधि के अनुसार अतिरिक्त वेटेज देने की तैयारी है। शिक्षा मित्रों को यह लाभ एनसीटीई मानक के अनुसार डीएलएड और टीईटी पूरा करने पर दिया जाएगा। दो हजार शिक्षा मित्र पूरी नहीं कर पाए शर्त : एनसीटीई मानक के अनुसार बेसिक शिक्षक की नौकरी के लिए हर शिक्षक का 31 मार्च 2019 से पहले पहले डीएलएड, ब्रिज कोर्स और टीईटी करना जरूरी था। मगर, दो हजार शिक्षा मित्र और औपबंधिक आधार पर नियुक्त शिक्षा मित्र इस शर्त को पूरी नहीं कर पाए। इस समय उत्तराखंड के विभिन्न स्कूलों में तैनात एक हजार शिक्षा मित्र मानदेय पर कार्यरत हैं। डीएलएड तो इन्होंने कर लिया, मगर इनमें ज्यादातर टीईटी नहीं कर पाए हैं।
वर्ष 2015 में किया गया समायोजित
वर्ष 2015 में हाईकोर्ट के आदेश पर 2 हजार 748 शिक्षा मित्रों को सशर्त सहायक अध्यापक पद पर समायोजित किया गया। इनमें कई लोग अब तक टीईटी पास नहीं हैं। इधर, शिक्षकों की शैक्षिक योग्यता को लेकर हाईकोर्ट, सुप्रीम कोर्ट का रुख काफी सख्त है। कोर्ट ने स्थायी भर्ती होने तक शिक्षा मित्रों को नौकरी में बरकरार रखने की छूट दी है।
डीएलएड और ब्रिज कोर्स का रिजल्ट अगले माह
देहरादून। एनआईओएस से विशेष अभियान के तहत शुरू किए गए डीएलएड और ब्रिज कोर्स का रिजल्ट मई के दूसरे हफ्ते में आएगा। राज्य के 44 हजार से ज्यादा सरकारी और निजी स्कूलों के बेसिक शिक्षक ये कोर्स कर रहे हैं। क्षेत्रीय निदेशक एसके तंवर के अनुसार, रिजल्ट जल्द से जल्द जारी किया जाएगा। डीएलएड कोर्स में 37 हजार शिक्षकों ने एडमिशन लिया था। मगर, 28,200 ही इसकी परीक्षा में शामिल हुए। वहीं, रजिस्ट्रेशन कराने वाले 18 हजार शिक्षकों में से 16 हजार 186 ने ही ब्रिज कोर्स की परीक्षा में हिस्सा लिया।
किसने क्या कहा
शैक्षिक योग्यता की बाध्यता स्थायी नियुक्ति पर है। एनसीटीई ने इस बारे में कहा है कि अस्थायी रूप से काम कर रहे शिक्षा मित्रों से सेवाएं लेने पर राज्य सरकार निर्णय लेने के लिए स्वतंत्र है। बहरहाल, शिक्षा मित्रों को यथावत रखने के निर्देश दिए जा चुके हैं। स्थायी भर्ती की प्रक्रिया में इन्हें कुछ राहत देने पर विचार भी किया जा रहा है।
आर. मीनाक्षी सुंदरम, शिक्षा सचिव
शिक्षा मित्रों की सेवाएं और समर्पण को ध्यान में रखते हुए राज्य सरकार ठोस कदम उठाए। उत्तराखंड के दुर्गम इलाकों में कई शिक्षा मित्र वर्तमान समय में कम मानदेय और विपरीत हालात में भी सेवाएं देते आ रहे
हैं। इसलिए हमारी मांग है कि सरकार शिक्षा मित्रों को लेकर गंभीरता से कदम उठाए।
बालादत्त शर्मा, क्रांतिकारी शिक्षा मित्र संघ के महामंत्री
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