Chandra Grahan 2018: मौसम की वजह से चंद्र ग्रहण के शोध पर लगा 'ग्रहण'
एक सदी बाद लगने जा रहा सबसे बड़ा चंद्रग्रहण जहां दुनिया भर में आकर्षण का केंद्र बना हुआ है। वहीं नैनीताल स्थित एरीज समेत भारत के अन्य शोध संस्थानों में मानसून सीजन के चलते इसके वैज्ञानिकों में अध्ययन...
एक सदी बाद लगने जा रहा सबसे बड़ा चंद्रग्रहण जहां दुनिया भर में आकर्षण का केंद्र बना हुआ है। वहीं नैनीताल स्थित एरीज समेत भारत के अन्य शोध संस्थानों में मानसून सीजन के चलते इसके वैज्ञानिकों में अध्ययन पर असमंजस की स्थिति बनी हुई है। 27 जुलाई को सदी की दुर्लभ खगोलीय घटना होने जा रही है। वैज्ञानिकों समेत खगोल प्रेमियों की इस पर खासी नजर बनी हुई है। उल्लेखनीय है कि डेढ़ सदी बाद 31 जनवरी को हुए ब्लू मून, सुपरमून और चंद्रग्रहण की घटना का एरीज व जापान के वैज्ञानिकों व शोधार्थियों ने संयुक्त अध्ययन किया था। इस दौरान वैज्ञानिकों ने अध्ययन के लिए महत्वपूर्ण आंकड़े भी जुटाए थे। आर्यभट्ट प्रेक्षण विज्ञान शोध संस्थान के निदेशक डॉ. अनिल कुमार पांडे ने कहा कि संस्थान प्रत्येक महत्वपूर्ण खगोलीय घटनाओं पर अपनी नजर बनाए हुए है, लेकिन चंद्रग्रहण के मानसून सीजन के दौरान पड़ने के कारण इसका अध्ययन करना संभव नहीं हो पा रहा है। उन्होंने बताया कि इन दिनों दूरबीनों मे रिपेयरिंग व मैकेनिकल आदि कार्य किए जा रहे हैं।
ध्रुवीकरण प्रक्रिया समझने में मददगार है चंद्रग्रहण
एरीज के वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. शशिभूषण पांडे ने बताया कि चंद्रग्रहण के दौरान पोलरिमैट्रिक प्रेक्षणों का अध्ययन संभव हो पाता है। उन्होंने बताया कि चंद्रग्रहण पृथ्वी के वायुमंडल में ध्रुवीकरण की प्रक्रिया व प्रभावों को समझने में मददगार होता है। साथ ही चन्द्रमा की सतह जब तेजी से ठंडी होती है तो उनके परिणामों में अध्ययन का भी बेहतर अवसर होता है।
चंद्रग्रहण के लिए एरीज ने तैयार किया है पोलेरीमीटर
चंद्रग्रहण के अध्ययन के लिए एरीज के वैज्ञानिकों ने स्वनिर्मित पोलेरीमीटर का निर्माण किया है। पिछली बार हुई चंद्रग्रहण की बड़ी घटना के अध्ययन में इसका प्रयोग किया गया है। इससे बेहतर आंकड़े जुटाने में मदद मिली थी।
रात 11.54 बजे से शुरू होगा चंद्रग्रहण
सदी के सबसे बड़े चंद्रग्रहण का पृथ्वी पर प्रभाव रात्रि 11.54 बजे से शुरू हो जाएगा। रात्रि एक बजे से पूर्ण चंद्रग्रहण शुरू होगा। इसका असर मध्य रात्रि 2.43 बजे तक रहेगा। पूर्ण चंद्रग्रहण की अवधि 1.43 घंटे रहेगी। सुबह 3.49 बजे चंद्रग्रहण का प्रभाव समाप्त हो जाएगा। वैज्ञानिकों के अनुसार चंद्रग्रहण पूरे भारत में देखा जा सकेगा।
सूर्य ग्रहण हो या फिर चंद्र ग्रहण, खगोलविदों के लिये दोनों ही आकर्षण का केंद्र होते हैं। रही बात आम लोगों की तो तमाम लोग इसे एक प्राकृतिक घटना के रूप में देखना चाहते हैं, तो बहुत लोग ऐसे भी हैं, जो इससे धार्मिक आस्था रखते हैं। खासतौर पर हिन्दू धर्म में। जब आकाशीय स्थिति इस प्रकार हो जिसमें सूर्य, चन्द्रमा और पृथ्वी के बीच में आए तो इसे चंद्रग्रहण कहा जाता है। वैज्ञानिक इसे सामान्य भौतिक स्थिति मानते हैं तो ज्योतिष विज्ञान इसके मानव जीवन में पड़ने वाले प्रभावों पर अपनी राय रखता है। शुक्रवार की रात्रि लगने जा रहे खग्रास चंद्रग्रहण का खगोल विज्ञान के साथ-साथ ज्योतिष विज्ञान के लिए भी खास बन रहा है। ज्योतिष विद्वान इस पूरे घटनाक्रम पर अपनी नजर बनाए हुए हैं। सदी के सबसे बड़े चंद्रग्रहण के ज्योतिष महत्व को समझने व आमजन पर पड़ने वाले प्रभावों को जानने के लिए हिन्दुस्तान ने आचार्य कैलास चन्द्र सुयाल से विशेष बातचीत की-
2:54 बजे बाद पूजन वर्जित
आचार्य केसी सुयाल ने बताया कि चंद्रग्रहण से 9 घंटे पूर्व ग्रहण से सूतक आरंभ हो जाता है। शुक्रवार को अपराह्न 2.54 बजे के बाद पूजन आदि कार्य वर्जित होंगे। साथ ही चंद्रग्रहण के दौरान खाने वाली वस्तुओं में दूब घास रखने से सूतक का प्रभाव समाप्त हो जाता है।
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