दून के पब्लिक स्कूल वसूल रहे हैं मनमानी फीस
नया सत्र शुरू होते ही निजी स्कूलों की मनमानी बढ़ने लगी है। पहले किताब, कापी, ड्रेस और अब स्कूलों ने एडमिशन फीस के नाम पर मनमाना शुल्क वसूल रहे हैं। कई स्कूलों ने पिछले साल की तुलना में इस बार एक हजार...
नया सत्र शुरू होते ही निजी स्कूलों की मनमानी बढ़ने लगी है। पहले किताब, कापी, ड्रेस और अब स्कूलों ने एडमिशन फीस के नाम पर मनमाना शुल्क वसूल रहे हैं। कई स्कूलों ने पिछले साल की तुलना में इस बार एक हजार से लेकर पांच हजार रुपये तक शुल्क बढ़ा दिया है। विभागीय स्तर पर कार्रवाई नहीं होने से अभिभावक भी स्कूल की मनमानी झेलने को मजबूर हैं।
शिक्षा विभाग के पास आई शिकायतों पर कार्रवाई नहीं: अभिभावकों की शिकायत पर विभागीय अधिकारी गंभीर नहीं हैं। अभिभावकों ने पहले भी खंड शिक्षा अधिकारी और मुख्य शिक्षा अधिकारी कार्यालय में कई शिकायतें कीं। लेकिन कार्रवाई नहीं होने के कारण अभिभावकों का विभागीय अधिकारियों के प्रति विश्वास कम हो रहा है। नेशनल एसोसिएशन फोर पैरेंट्स एंड स्टूडेंट्स राइट्स के अध्यक्ष आरिफ खान का कहना है कि अभिभावक पूरे कागजात लेकर विभागीय अधिकारियों के पास स्कूल की शिकायत लेकर पहुंचते हैं, लेकिन कार्रवाई के नाम पर सिर्फ जांच का भरोसा दिलाया जाता है। ऐसे में निजी स्कूलों की मनमानी ज्यादा बढ़ गई है। इससे अभिभावकों में रोष व्यापत है।
केस-1
कारगी चौक स्थित एक निजी स्कूल के अभिभावक पदमेन्द्र नेगी ने बताया कि उनका भतीजा तीसरी कक्षा में है। इस बार स्कूल ने 15 हजार रुपये एडमिशन शुल्क वसूला है। जबकि पिछले साल अन्य छात्रों से 12,080 रुपये लिए थे। शुल्क बढ़ाने का कारण स्कूल स्पष्ट नहीं कर रहा है। अभिभावक ने मामले का पैरेंट्स एसोसिएशन के सामने उठाया है।
केस-2
नेहरूग्राम निवासी अभिभावक का बेटा क्षेत्र के एक स्कूल में दूसरी कक्षा में है। पिछले साल स्कूल ने एडमिशन शुल्क 23 हजार रुपये लिया। अब इसी कक्षा में 28 हजार रुपये शुल्क ले रहे हैं। अभिभावक का कहना है कि जब स्कूल से शुल्क बढ़ाने का कारण पूछा तो उन्होंने दूसरे स्कूल में एडमिशन कराने को कहा। इसमें अभिभावक पैरेंट्स एसोसिएशन के पास पहुंचा है।
सरकार के दावे हवाई निकले
सीबीएसई से जुड़े स्कूलों में एनसीईआरटी पाठ्यक्रम लागू करने के दौरान साल 2018 में शिक्षा मत्री अरविंद पांडे सख्त नजर आए थे। इस पर अभिभावकों को विश्वास भी हुआ और स्कूलों के खिलाफ आवाज उठाने के लिए अभिभावक आगे आने लगे। मंत्री ने स्कूलों में एडमिशन और मासिक फीस बढ़ोत्तरी पर नियंत्रण को लेकर विभागीय अधिकारियों को भी निर्देश दिए थे। लेकिन इस सत्र में विभागीय अधिकारियों के सुस्त रवैये ने निजी स्कूलों को मनमानी की छूट दे दी है। स्कूल अभिभावकों से मनमाना शुल्क वसूल रहे हैं। बच्चे निकालने के डर से अभिभावक स्कूल के खिलाफ नहीं जा रहे।
एनसीईआरटी की सस्ती किताब और फीस नियंत्रण पर सरकार का स्टैंड बिल्कुल साफ है। अभी चुनाव आचार संहिता की वजह से कुछ बंदिश हैं। चुनाव आयोग से विभागीय बैठकों के लिए अनुमति मांगी जा रही है। अनुमति मिलने पर अभिभावकों के शोषण को रोकने के लिए अभियान चलाया जाएगा।
अरविंद पांडे, शिक्षा मंत्री
अभिभावकों की ओर से अभी तक मिली शिकायतों पर खंड स्तर पर कार्रवाई चल रही है। आगे भी शिकायतों पर शीघ्र कार्रवाई की जाएगी।
आशा रानी पैन्यूली, मुख्य शिक्षा अधिकारी, देहरादून
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