केदारनाथ आपदा: 10 हजार से ज्यादा यात्री रेस्क्यू्, सेना ने संभाला मोर्चा; बचाव दलों का सर्च अभियान तेज
31 जुलाई की रात आई आपदा के बाद पैदल मार्ग के साथ-साथ सोनप्रयाग से गौरीकुंड के बीच सड़क मार्ग भी ध्वस्त पड़ा है। हालांकि अब हालात कुछ सामान्य होने लगे हैं। रेस्क्यू अभियान जारी है।
केदारघाटी में अब सेना के जवानों ने मोर्चा संभाल लिया है। सेना ने सोनप्रयाग में सड़क के वॉशआउट हिस्से में रविवार सुबह ट्रॉली लगाकर घायल और बुजुर्ग यात्रियों को रेस्क्यू किया। वहीं सोनप्रयाग और गौरीकुंड को जोड़ने के लिए वैकल्पिक पुल एवं सड़कों का निर्माण भी शुरू कर दिया है। दूसरी तरफ, एनडीआरएफ, एसडीआरएफ और अन्य बचाव दलों ने रविवार को 640 लोगों को रेस्क्यू कर सुरक्षित स्थानों तक पहुंचाया।
बैली ब्रिज का काम शुरू: रविवार सुबह से सेना की छह ग्रेनेडियर यूनिट ने कर्नल हितेश वशिष्ठ की कमान में सेना के डेढ़ सौ जवान सड़क के ध्वस्त हिस्सों पर वैकल्पिक रास्ते और नदी पर बैली ब्रिज बनाने का काम शुरू हुआ। इसके अलावा सेना ने डॉग स्क्वायड के साथ पैदल मार्ग के जंगल वाले इलाकों में सर्च ऑपरेशन भी शुरू किया है। सेना के दो स्निफर डॉग को टीम के साथ हेलीकॉप्टर से लिंचोली पहुंचाया गया।
हालात सामान्य होने की ओर: 31 जुलाई की रात आई आपदा के बाद पैदल मार्ग के साथ-साथ सोनप्रयाग से गौरीकुंड के बीच सड़क मार्ग भी ध्वस्त पड़ा है। हालांकि अब हालात कुछ सामान्य होने लगे हैं। आपदा प्रबंधन सचिव विनोद कुमार सुमन के अनुसार, रविवार को लिंचोली और भीमबली से 560 लोगों को और केदारनाथ से 80 लोगों को रेस्क्यू किया गया।
अब तक कुल 10 हजार 374 लोगों को सुरक्षित वापस लाया जा चुका है। इसमें 2409 लोगों को हेलीकॉप्टर की मदद से एयरलिफ्ट किया गया। अब 350 यात्री केदारनाथ और 50 लिंचोली से रेस्क्यू किए जाने बाकी हैं। हालांकि यह सभी यात्री सुरक्षित हैं। जो भी तीर्थ पुरोहित, दुकानदार, ग्रामीण, पालकी-डोली व घोड़ा-खच्चर संचालक केदारनाथ में मौजूद हैं, वे चाहेंगे तो उन्हें भी जरूरत के अनुसार रेस्क्यू किया जाएगा।
मवेशियों के लिए हेलीकॉप्टर से भेजा: चारा आपदा प्रभावित क्षेत्र में मवेशी, घोड़े-खच्चरों के लिए हेलीकॉप्टर से 4.5 टन चारा चीड़बासा पहुंचाया गया है। मुख्य पशु चिकित्साधिकारी डॉ. आशीष रावत के अनुसार, गौरीकुंड क्षेत्र के पशुपालक और घोड़ा खच्चर संचालक अपने पशुओं का लाइसेंस या अन्य दस्तावेज दिखाकर चारा ले सकते हैं।
आपदा प्रभावित क्षेत्र से अब तक 10 हजार से ज्यादा लोगों को रेस्क्यू कर सुरक्षित स्थानों पर लाया जा चुका है। आपदा प्रभावित क्षेत्रों में जनसुविधाओं को तेजी से बहाल करने का प्रयास किया जा रहा है। सरकार के अनुरोध पर सेना ने भी सड़कों की मरम्मत, बैली ब्रिज बनाना शुरू कर दिया है।
केंद्र सरकार से अतिवृष्टि से प्रभावित हुई सड़कों की मरम्मत एवं पुनर्निर्माण के लिए सहयोग का अनुरोध किया गया है। सभी अधिकारियों को 24 घंटे हाईअलर्ट पर रहने के निर्देश हैं।
पुष्कर सिंह धामी, मुख्यमंत्री
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