Hindi Newsउत्तराखंड न्यूज़Kailash Mansarovar Yatra will not from Uttarakhand take route for darshan

कैलास मानसरोवर यात्रा इस बार भी उत्तराखंड के नहीं होगी, दर्शन को यह लेना होगा रूट 

वर्ष 1962 के भारत -चीन युद्ध के बाद भी इस यात्रा को दोनों देशों के तनावपूर्ण संबंधों के कारण पूरी तरह से बंद कर दिया गया। तब डेढ़ दशक से अधिक समय बाद यह यात्रा वर्ष 1981 में फिर शुरू की सकी ।

Himanshu Kumar Lall पिथौरागढ़। हिन्दुस्तान, Thu, 11 April 2024 03:41 PM
share Share

विश्व प्रसिद्ध कैलास मानसरोवर यात्रा इस बार भी पिथौरागढ़ जिले से नहीं होगी। कोरोना काल के बाद यह छठा साल है जब यात्रा नहीं हो रही है। यात्रा शुरू होने की उम्मीद लगाए बैठे सीमांत के कारोबारियों को निराश होना पड़ रहा है। समुद्र तल से 17 हजार फीट ऊंचे लिपूलेख दर्रे से हर साल यह यात्रा जून माह में शुरू होती थी।

जिसकी तैयारी जनवरी से ही शुरू हो जाती थी। इस बार अब तक यात्रा शुरू करने को यात्रा संचालक कुमाऊं मंडल विकास निगम को गृह मंत्रालय से कोई दिशा निर्देश नहीं मिले हैं। जिससे साफ है कि यह यात्रा इस बार भी नहीं होगी। वर्ष 2019 से पहले करीब चार माह तक उच्च हिमालयी भारतीय क्षेत्र गुंजी के साथ ही इस पूरे चीन सीमा से लगे क्षेत्र में यात्रा के दौरान चहल पहल रहती थी।

इस यात्रा से सीमांत क्षेत्र धारचूला में करीब 1200 से अधिक लोगों को प्रत्यक्ष व अप्रत्यक्ष तरीके से रोजगार मिलता था। प्राचीन काल से ही यह यात्रा लिपूलेख दर्रे से होती रही है। वर्ष 1962 के भारत -चीन युद्ध के बाद भी इस यात्रा को दोनों देशों के तनावपूर्ण संबंधों के कारण पूरी तरह से बंद कर दिया गया।

तब डेढ़ दशक से अधिक समय बाद यह यात्रा वर्ष 1981 में फिर शुरू की सकी । तब से कोरोना काल से पूर्व तक इस मार्ग से 16 हजार 800 से अधिक देश भर के लोगों ने शिवधाम मानसरोवर जाकर अपने अराध्य के दर्शन किए। स्थानीय लोगों का कहना है कि यात्रा शुरू कराने को शीर्ष स्तर पर प्रयास नहीं किए जा रहे हैं। 

पहले 98 किमी पैदल चलकर पहुंचते थे नाभीढ़ांग यात्री
वर्ष 2020 में तवाघाट लिपूलेख 95 सड़क निर्माण के बाद उम्मीद थी कि पहले धारचूला के बाद 8 पैदल पड़ावों में विश्राम करने के बाद गुंजी पहुंचने की परेशानी से यात्रियों को मुक्ति मिलेगी, लेकिन यात्रा बंद हो जाने के बाद मानसरोवर जाने वाले यात्रियों को अब तक एक बार भी सड़क के रास्ते गुंजी जाने का अवसर नहीं मिल सका है।

पहले यात्री यात्रा के आधार शिविर धारचूला रहने के बाद 8 जगह रात्रि प्रवास करने के बाद नाभीढ़ांग पहुंचते थे। 9वें दिन लिपूलेख दर्रे से दल चीन में प्रवेश करता था। यात्रा के तहत पहले दिन पांगू, दूसरे दिन सिर्खा, तीसरे दिन गाला,चौथे दिन मालपा व पांचवे दिन बूंदी में यात्री विश्राम करते थे।

इसके बाद गुंजी ,कालापानी में विश्राम के बाद यात्री 8वें दिन नाभीढ़ांग पहुंचते थे। इस यात्रा में मानसरोवर यात्रियों को भारत में ही करीब 98 किमी पैदल चलना पड़ता था।

केएमवीएन को लगी करोड़ों रुपये की चपत
मानसरोवर यात्रा का संचालन कुमाऊं मंडल विकास निगम करता था। दिल्ली से शुरू होने वाली इस यात्रा में 17 से अधिक दल यात्रा पर जाते थे। चीन सीमा तक यात्रियों के विश्राम, आवागमन, भोजन का प्रबंध निगम ही करता था। अब यात्रा बंद होने से एक अनुमान के अनुसार उसे करीब 20 करोड़ से अधिक की चपत लग रही है।

मानसरोवर यात्रा इस बार भी नहीं होगी। निगम आदि कैलास यात्रा करा रहा है।
ललित तिवारी, पर्यटन अधिकारी, कुमाऊं मंडल विकास निगम, नैनीताल।

मानसरोवर यात्रा शुरू नहीं हो पाने के कारण यहां स्थानीय लोगों व पर्यटन कारोबारियों को काफी नुकसान उठाना पड़ रहा है। इस यात्रा को शीघ्र शुरू कराया जाए। 
हरीश कुटियाल, कुटी।

लेटेस्ट   Hindi News ,    बॉलीवुड न्यूज,   बिजनेस न्यूज,   टेक ,   ऑटो,   करियर , और   राशिफल, पढ़ने के लिए Live Hindustan App डाउनलोड करें।

अगला लेखऐप पर पढ़ें