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भारत-चीन बॉर्डर पर आसमान से आफत, महिला-बच्चे, बुजुर्ग सैंकड़ों लोग सड़क बंद होने से घाटी में फंसे

भारत-चीन बॉर्डर पर आसमान से आफत मची है। उत्तराखंड के उच्च हिमालयी गांवों को जोड़ने वाली सड़क के बंद हो जाने से वहां लोग कड़ाके की ठंड में फंस गए हैं। बारिश व बर्फबारी के बाद कड़ाके की ठंड पड़ रही।

Himanshu Kumar Lall पिथौरागढ़, हिन्दुस्तान, Sat, 21 Oct 2023 04:09 AM
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भारत-चीन बॉर्डर पर आसमान से आफत मची है। उत्तराखंड के उच्च हिमालयी गांवों को जोड़ने वाली सड़क के बंद हो जाने से वहां लोग कड़ाके की ठंड में फंस गए हैं। बारिश व बर्फबारी के बाद वहां कड़ाके की ठंड पड़ रही है। ऐसे में वहां अब और लंबे समय तक रहना लोगों के लिए मुश्किल हो गया है।

माइग्रेशन के लिए सड़क खुलने का इंतजार कर रहे लोगों के सामने मवेशियों को भी ठंड से बचाना चुनौती बन गया है। पिथौरागढ़ में तवाघाट दारमा सड़क आपदा के कारण 90 दिन से बंद है। दर घटखोला में सड़क कई मीटर ध्वस्त हो गई थी।

इस सड़क के बंद होने से लोग दारमा घाटी के उच्च हिमालयी गांवों से शीतकालीन माइग्रेशन नहीं कर पा रहे हैं। घाटी के गांवों में सैकड़ों परिवार सहित फंसे हुए हैं। सोमवार और मंगलवार को इन गांवों में भारी बर्फबारी हुई थी।

इसके बाद तापमान भी माइनस 5 डिग्री से नीचे तक पहुंच में रहा है। ऐसे में वहां बीमार, बुजुर्ग और बच्चों को कड़ाके की ठंड अधिक दर्द दे रही है। इन गांवों के लोगों के लिए अपने मवेशियों को भी ठंड से बचाना चुनौती बन गया है।

कुछ लोग बदहाल सड़क के बीच एक किमी से अधिक पैदल चलकर आवाजाही कर रहे हैं। सड़क खोलने के लिए काफी सुस्त गति से काम होने से भी दिक्कत बढ़ गई है।

अब यहां के गांवों में बर्फबारी के बाद ठंड लगातार बढ़ रही है। कई बार मांग के बाद भी सड़क खोलने को गंभीरता से काम नहीं किया जा रहा है। जिससे हमें खासी परेशानी हो रही है।
जमन सिंह, प्रधान दांतू ।

लगातार बर्फबारी हो रही है। लंबे समय से सड़क नहीं खोली जा रही है। इससे कड़ाके की ठंड में वहां रहना मुश्किल हो गया है। माइग्रेशन से मवेशियों के साथ वापसी भी कठिन है। शीघ्र मार्ग खोला जाए।
जयेन्द्र फिरमाल, फिलम।

बंद सड़क ने हमारे जीवन को मुश्किल में डाल दिया है। इस सड़क के बंद रहने से हमारे लिए वापसी करना चुनौती बन गया है। ठंड में मवेशियों को बचाना भी कठिन हो गया है।
दिनेश बंग्याल, बालिंग।

सड़क की बदहाली पर आक्रोश
धारचूला। तवाघाट-दारमा सड़क तीन माह बाद भी नहीं खुल पाने से यहां लोगों में आक्रोश है। सौन के विनोद सोनाल ने लोगों की दिक्कत सोशल मीडिया पर साझा करते हुए कहा है कि कार्यदायी संस्था की सुस्त होने से लोग कड़ाके की ठंड में माइग्रेशन गांवों में फंसे रहने को मजबूर हैं। बीमार, बुजुर्ग नहीं निकल पा रहे हैं।

इन गांवों में दिक्कत
सीपू, सौन, दुग्तू, बौन, फिलम, बालिकंग, चल, नागलिंग, दांतू, गो, तिदांग, मार्छा।

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