बेरोजगारों को ऐसे कैसे मिलेगा रोजगार? उपनल में नौकरी एक भी नहीं इंतजार में डेढ़ लाख युवक खड़े
उत्तराखंड में बेरोजगारों को नौकरी कैसे मिलेगी? चिंता की बात है कि बरोजगारी का बढ़ता ग्राफ किसी से छिपा नहीं है। बेरोजगार युवकों की संख्या में साल-दर-साल इजाफा हो रहा है। उपनल में भी नौकरी नहीं है।
उत्तराखंड में बेरोजगारों को नौकरी कैसे मिलेगी? चिंता की बात है कि बरोजगारी का बढ़ता ग्राफ किसी से छिपा नहीं है। बेरोजगार युवकों की संख्या में साल-दर-साल इजाफा हो रहा है। मालूम हो कि प्रदेश में सेवायोजन में ही आठ लाख से अधिक बेरोजगार पंजीकृत हैं, जिन्हें नौककी तलाश है।
पूर्व सैनिकों और आश्रितों के रोजगार के लिए बनाए गए उपनल में भी यही हाल है। यहां नौकरी के नाम पर एक पोस्ट नहीं है, जबकि इंतजार में करीब डेढ़ लाख लोग खड़े हैं। पूर्व सैनिक, आश्रित और पूर्व उपनल कर्मियों को रोजगार देने के लिए उत्तराखंड पूर्व सैनिक कल्याण निगम (उपनल) में रजिस्ट्रेशन किए जाते हैं। वर्तमान में उपनल में प्रदेश भर के करीब 1.47 लाख लोग पंजीकृत हैं।
इनमें कुछ सामान्य वर्ग के बेरोजगार भी शामिल हैं। बीते तीन साल से उपनल में बल्क में भर्ती के लिए विज्ञप्तियां नहीं निकली हैं। हालात यह हैं कि वेटिंग में चल रहे डेढ़ लाख लोगों को किसी के रिटायर होने या नौकरी छोड़ने का इंतजार करना पड़ रहा है। बीते तीन साल की बात करें तो कुल 2063 लोगों को ही रोजगार मिल पाया है।
विभागों में भी नियुक्ति पर चल रहा खेल
विभागों की डिमांड पर अमूमन एक पद के लिए वरिष्ठता आधार पर तीन आवेदकों को साक्षात्कार के लिए बुलाया जाता है, पर कई बार एक पद पर 10 आवेदन मांगे जाते हैं। इसमें कई बार खेल कर दिया जाता है।
प्रतिदिन 100 लोग लगा रहे हैं चक्कर
नौकरी के लिए उपनल कार्यालय में प्रतिदिन 100 लोग चक्कर काट रहे हैं। पिथौरागढ़, अल्मोड़ा, बागेश्वर, चम्पावत जैसे दूरस्थ क्षेत्रों से लोग यहां हजारों रुपये खर्च कर पहुंचते हैं, लेकिन उन्हें निराश होकर लौटना पड़ता है।
विभागों में कोई पद खाली होने पर उपनल की ओर से नियुक्ति दी जाती है। एसडीआरफ में नियुक्ति को छोड़कर नई भर्ती के लिए बड़ी विज्ञप्ति नहीं निकली है।
सेनि. कर्नल आलोक पांडे, वरिष्ठ क्षेत्रीय परियोजना अधिकारी उपनल।
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