गड़बड़ी : 7वीं संस्कृत के पेपर में पूछे अधूरे सवाल
सरकारी शिक्षा व्यवस्था में छात्रों के साथ किस कदर खिलवाड़ किया जाता है, इसकी बानगी इन दिनों सरकारी स्कूलों में चल रही वार्षिक परीक्षाओं में देखने को मिल रही है। पहले सालभर विज्ञान की पढ़ाई अंग्रेजी में...
सरकारी शिक्षा व्यवस्था में छात्रों के साथ किस कदर खिलवाड़ किया जाता है, इसकी बानगी इन दिनों सरकारी स्कूलों में चल रही वार्षिक परीक्षाओं में देखने को मिल रही है। पहले सालभर विज्ञान की पढ़ाई अंग्रेजी में करने के बाद प्रश्नपत्र हिंदी में पूछ लिया गया। अब सातवीं के संस्कृत की परीक्षा में अधूरे सवाल पूछ दिए गए। जिससे छात्रों को जवाब देते नहीं बना तो शिक्षकों को अपने हिसाब से प्रश्न तैयार करने पड़े। माध्यमिक स्कूलों की वार्षिक परीक्षाओं में तमाम तरह की गड़बड़ियां सामने आ रही हैं। सोमवार को परीक्षा का आखिरी दिन था और सातवीं के संस्कृत के प्रश्न पत्र में तमाम गड़बड़ियां समाने आईं। जिससे न केवल छात्र परेशान हुए, बल्कि शिक्षकों को भी अतिरिक्त मेहनत करनी पड़ी। संस्कृत के पेपर में अधूरे सवाल पूछे जाने के बाद स्कूलों में संस्कृत के शिक्षकों को बुलाना पड़ा। उनसे पेपर को पूरा बनवाया गया।
यह थी गड़बड़ी :
प्रश्न-1
सातवीं के संस्कृत विषय के प्रश्न एक में गद्यांश को पढ़कर प्रश्नों के जवाब देने थे। छात्रों ने गद्यांश पढ़ा लेकिन, लेकिन प्रश्न पूछे ही नहीं गए थे। तब छात्रों के लिए प्रश्न ढूंढे गए और फिर अलग से प्रश्न नोट करवाए गए।
प्रश्न-2
संस्कृत के प्रश्नपत्र में ही प्रश्न संख्या दो के (घ) में रेखांकित पद के अर्थ के बारे में पूछा गया। लेकिन इस प्रश्न में कुछ भी रेखांकित नहीं किया गया था। यहां भी शिक्षकों को एक शब्द को अपनी तरफ से रेखांकित करवाना पड़ा।
इस बार प्रश्न पत्र बनाने की जिम्मेदारी एससीईआरटी को दी गई है। उसी स्तर पर प्रश्न बना होगा। फिलहाल मामला संज्ञान में नही है।
वाईएस चौधरी, जिला शिक्षा अधिकारी, माध्यमिक
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