एसटीएच में जिंदा बन गया मुर्दा, रिश्तेदारों की सांसें अटकीं; हैरान करेगा मामला
एसटीएच में भर्ती जीवित मरीज को स्टाफ ने रजिस्टर में मृत दर्ज कर दिया। जब परिजनों को इसकी जानकारी मिली तो उनके पांव के नीचे जमीन खिसक गई। मामले में मरीज के बेटे ने एसटीएच प्रबंधन से लिखित शिकायत की है।
एसटीएच में भर्ती जीवित मरीज को स्टाफ ने रजिस्टर में मृत दर्ज कर दिया। जब परिजनों को इसकी जानकारी मिली तो उनके पांव के नीचे जमीन खिसक गई। मामले में मरीज के बेटे ने एसटीएच प्रबंधन से लिखित शिकायत की है।
तीन सितंबर को लामाचौड़ निवासी पंकज कुमार अपने पिता नवीन चंद्र (48) को इलाज के लिए एसटीएच लेकर आए थे। उन्हें सांस लेने में दिक्कत हो रही थी। जांच के बाद डॉक्टर ने भर्ती होने की सलाह दी। उन्हें वार्ड डी में भर्ती कर दिया गया। नवीन के बीमार होने की खबर उनके रिश्तेदारों को मिली तो वह हालचाल जानने के लिए एसटीएच पहुंचे।
रिश्तेदारों ने नवीन के बारे में पूछा तो स्टाफ नर्स ने रजिस्टर में देखकर उन्हें मृत बता दिया। यह सुनकर रिश्तेदारों के हाथ पांव फूल गए। बाद में पता लगा की नवीन चन्द्र जीवित हैं। इधर, सोमवार को पंकज ने अस्पताल के चिकित्सा अधीक्षक को एक शिकायती पत्र दिया। जिसमें उसने लापरवाह नर्स और रजिस्टर में उसके पिता को मृत दर्ज करने वाले कर्मचारी पर कार्रवाई की मांग की।
परिजनों को सांत्वना देने लगे थे रिश्तेदार रिश्तेदार रात करीब 8.30 बजे वार्ड डी में पहुंचे। वहां उन्होंने नर्स से नवीन के बारे में पूछा। नर्स ने उन्हें नवीन के मृत होने की बात बतायी। जिससे रिश्तेदार सकते में आ गए। इसी बीच रिश्तेदारों की नजर नवीन चंद्र के पुत्र पंकज पर पड़ी तो वह उसे पिता के निधन होने पर सांत्वना देने लगे।
इस पर पंकज ने रिश्तेदारों को बताया कि उसके पिता जिंदा है। जिसके बाद सब लोग स्तब्ध हो गए। हैरानी की बात यह है कि अस्पताल के रजिस्टर में देखा तो नवीन चंद्र के नाम के आगे शाम 3.45 बजे मृत लिखा हुआ था। जिससे सभी आक्रोशित हो गए।
अस्पताल में इस तरह हुई गड़बड़ी
एसटीएच में इन दिनों काफी मरीज भर्ती और डिस्जार्ज हो रहे हैं। जिसके चलते जीवित को मृत बताने की गड़बड़ी हुई है। प्राथमिक जांच में यह बात सामने आयी है कि जिस बेड में नवीन चन्द्र को भर्ती किया गया था, उस बेड में भर्ती मरीज की नवीन को भर्ती करने से कुछ देर पहले मौत हुई थी। एक तरफ नवीन के भर्ती होने की प्रक्रिया चल रही थी तो एक तरफ मृत व्यक्ति का डेथ सार्टिफिकेट बन रहा था। इसी भर्ती डिस्चार्ज की प्रक्रिया में नवीन का नाम मृत व्यक्ति के रूप में दर्ज हो गया।
यह एक तरह की मानवीय भूल है। इन दिनों एसटीएच में भर्ती मरीजों की संख्या अधिक होने के चलते काम का काफी दबाव है। प्रथम दृष्टया जांच में भी यही बात सामने आई है। जांच के बाद जो भी जरूरी कार्रवाई होगी वह की जाएगी।
डॉ. अरूण जोशी, प्राचार्य राजकीय मेडिकल कॉलेज हल्द्वानी।
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