श्राद्ध में श्रद्धा का सर्वाधिक महत्व है: सेमवाल
रुड़की, संवाददाता। ज्योतिष गुरुकुलम में गुरुवार को आयोजित श्रीमद् भागवत कथा के दूसरे दिन कथा व्यास आचार्य रमेश सेमवाल ने कहा कि भगवान श्रीराम और भीष्म
ज्योतिष गुरुकुलम में गुरुवार को आयोजित श्रीमद् भागवत कथा के दूसरे दिन कथा व्यास आचार्य रमेश सेमवाल ने कहा कि भगवान श्रीराम और भीष्म पितामाह ने भी अपने पितरों का श्राद्ध किया था। कहा कि दो अक्टूबर तक चलने वाले श्राद्ध पक्ष में तर्पण, यज्ञ कर गौ सेवा करें। पितरों की तिथि पर श्राद्ध, ब्राह्मण भोजन, दान आदि करें। उन्होंने कहा कि जलाशय में जाकर जल की एक बूंद भी पितरों को श्रद्धा से अर्पित कर दें तो वह संतुष्ट होकर आशीर्वाद दे देते हैं। कहा कि स्कंद पुराण के अनुसार बद्रिका आश्रम की गरुड़ शीला पर किया गया पिंड दान गया के बराबर माना जाता है। श्राद्ध में श्रद्धा का सर्वाधिक महत्व है। कहा कि गाय के दूध और घी का प्रयोग कर पितरों के निमित्त हवन और दान करें। लगातार 16 दिनों तक गौ माता की सेवा करें। 16 दिन पीपल पर जाएं, परिक्रमा करें और जल चढ़ाएं।
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