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मानव विस्थापन और पलायन की दर्दनाक कहानी है भारत विभाजन

श्रीदेव सुमन विवि ऋषिकेश परिसर में विभाजन विभीषिका स्मृति दिवस पर कार्यशाला आयोजित हुई। वक्ताओं ने 1947 के विभाजन की पीड़ा पर चर्चा की। निदेशक प्रो. महावीर सिंह रावत ने इस दिन की महत्ता बताई। प्रो....

Newswrap हिन्दुस्तान, रिषिकेषWed, 14 Aug 2024 04:57 PM
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श्रीदेव सुमन विवि परिसर ऋषिकेश परिसर में बुधवार को विभाजन विभीषिका स्मृति दिवस पर कार्यशाला हुई। जिसमें वक्ताओं ने छात्र-छात्राओं को वर्ष 1947 में देश के विभाजन के दर्द से अवगत कराया। कार्यशाला का शुभारंभ निदेशक प्रो. महावीर सिंह रावत ने किया। उन्होंने कहा कि 14 अगस्त 1947 का दिन भारत के लोगों के लिए बंटवारे के जख्मों को याद करने का दिन है। इस दिन अंग्रेजों ने भारत को दो हिस्सों में बांट दिया था। इस तरह से यह दिन बंटवारे की कड़वी याद का दिन है। इसलिए इसे विभाजन विभीषिका दिवस घोषित किया गया है। ताकि हम विभाजन के पीड़ित परिवारों की व्यथा को समझ सकें और देश की एकता और अखंडता को बनाए रखने के लिए भविष्य में योगदान दे सकें। राजनीति विज्ञान के प्रो. दिनेश शर्मा ने कहा कि भारत का विभाजन अभूतपूर्व मानव विस्थापन और पलायन की दर्दनाक कहानी है। यह एक ऐसी कहानी है, जिसमें लाखों लोग एकदम विपरीत वातावरण में नया आशियाना तलाश रहे थे। इतिहास विभाग अध्यक्ष प्रो. संगीता मिश्रा ने कहा कि विभाजन के दर्द को कभी नहीं भुलाया जा सकता। मौके पर कला संकाय अध्यक्ष प्रो. डीसी गोस्वामी, कार्यशाला संयोजक डॉ. अशोक कुमार मैन्दोला, डॉ. पारुल मिश्रा, प्रो. कंचन लता सिन्हा, प्रो. एसपी सती, प्रो. अनीता तोमर, रोवर्स रेंजर्स कोऑर्डिनेटर प्रमोद कुकरेती, प्रो. पुष्पांजलि, प्रो. गौरव, डॉ. अर्जुन, डॉ. अलका, डॉ. गौरव रावत, डॉ. रीता खत्री आदि उपस्थित रहे।

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