Hindi Newsउत्तराखंड न्यूज़ऋषिकेशDr DK Srivastava to Lead Nature Testing Campaign in Delhi on Nov 12

प्रकृति परीक्षण अभियान में शिरकत करेंगे डा. श्रीवास्तव

12 नवंबर को दिल्ली में होने वाले प्रकृति परीक्षण अभियान में डॉ. डीके श्रीवास्तव भाग लेंगे। उन्हें उत्तराखंड से स्टेट कोऑर्डिनेटर नियुक्त किया गया है। इस अभियान में लगभग 4 लाख 73 हजार लोग शामिल होंगे,...

Newswrap हिन्दुस्तान, रिषिकेषFri, 8 Nov 2024 05:00 PM
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12 नवंबर को दिल्ली में होने वाले देश के प्रकृति परीक्षण अभियान में अंतरराष्ट्रीय आयुर्वेद विशेषज्ञ डॉ. डीके श्रीवास्तव शिरकत करेंगे। इसके लिए उन्हें उत्तराखंड से स्टेट कोऑर्डिनेटर भी नियुक्त किया गया है। नवजीवनम् आयुर्वेद संस्थान के अंतरराष्ट्रीय आयुर्वेद विशेषज्ञ डॉ. डीके श्रीवास्तव ने बताया कि 12 नवंबर को नई दिल्ली के जवाहर लाल नेहरू भारतीय चिकित्सा अनुसंधान भवन में देश का प्रकृति परीक्षण अभियान कार्यक्रम आयोजित होगा, जिसके लिए देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा विभिन्न राज्यों से स्टेट कोऑर्डिनेटर नियुक्त किए गए हैं। इसी क्रम में उन्हें भी उत्तराखंड से स्टेट कोऑर्डिनेटर नियुक्त किया गया है। गुरु राम राय मेडिकल कॉलेज के डॉ. अनिल थपलियाल को भी कोऑर्डिनेटर बनाया गया है। गोल्ड मेडलिस्ट डॉ. डीके श्रीवास्तव ने बताया की प्रकृति परीक्षण अभियान को विज्ञान के आधार पर एथिकल क्लियरेन्स और डॉक्युमेंटेशन के साथ किए जाने की तैयारी हो रही है। भारत सरकार के आयुष मंत्रालय, उसकी टीम और आयुर्वेद जगत से जुड़े लोगों का इस अभियान में विशेष योगदान है और हम इस अभियान के माध्यम से बहुत बड़ी सफ़तला अर्जित करके दिखाएंगे। इस अभियान को चलाने हेतु देश के सभी आयुर्वेदिक् मेडिकल कॉलेज में शिक्षा ग्रहण करने वाले स्नातक छात्र जिनकी संख्या लगभग 1 लाख 35 हजार है तथा स्नातकोत्तर शिक्षा ग्रहण करने वाले लगभग 20 हजार छात्र, इन महाविद्यालाओं में अध्ययन-अध्यापन कराने वाले 18 हजार अध्यापक और देश में चिकित्सक के रूप में सेवा प्रदान करने वाले लगभग 3 लाख से अधिक चिकित्सक, कुल मिलाकर लगभग 4 लाख 73 हजार लोग इस अभियान में सदस्य के रूप में प्रकृति परीक्षण का कार्य संपादित कराएंगे। इनके माध्यम से एक माह में एक करोड़ से अधिक नागरिकों का प्रकृति परीक्षण किया जा सकेगा। इस अभियान के माध्यम से शोध क्षेत्र का सबसे बड़ा रिसर्च सैंपल साइज प्राप्त होगा। जिससे यह सामान्य भ्रांति दूर की जा सकेगी कि आयुर्वेद के क्षेत्र में शोध कार्य नहीं होते। आयुर्वेद में आधुनिकता होनी चाहिए जिससे विश्व में आयुर्वेद का परचम लहरा सके।

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