उत्तराखंडउत्तराखंड में ग्लेशियर झीलों का बनेगा सुरक्षा कवच, डीपीआर बनाने के निर्देश
- आपदा के लिहाज से संवेदनशील श्रेणी में शामिल उत्तराखंड की पांच ग्लेशियर झीलों के लिए सुरक्षा कवच तैयार किया जाएगा। एनडीएमए ने राज्य सरकार से इन झीलों से संभावित खतरे का आकलन करने और सुरक्षा प्रबंधन के लिए विस्तृत डीपीआर बनाने के निर्देश दिए हैं।

आपदा के लिहाज से संवेदनशील श्रेणी में शामिल उत्तराखंड की पांच ग्लेशियर झीलों के लिए सुरक्षा कवच तैयार किया जाएगा। राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (एनडीएमए) ने राज्य सरकार से इन झीलों से संभावित खतरे का आकलन करने और सुरक्षा प्रबंधन के लिए विस्तृत डीपीआर बनाने के निर्देश दिए हैं। इन पांच झीलों में चमोली की वसुधारा झील का हाल में अध्ययन किया गया है।
डीपीआर आईटीबीपी, पुलिस, आईआईटी रुड़की आईएमडी, आईआईआरएस समेत 21 विभिन्न संस्थानों के साथ सहयोग से तैयार की जाएगी। शुक्रवार को इस संबंध में उच्च स्तरीय बैठक भी बुला ली गई है। अपर सचिव-आपदा प्रबंधन एवं पुनर्वास विभाग आनंद स्वरूप ने सभी विभागों को इसके बाबत पत्र भेजा है।
सूत्रों के अनुसार, हाल में वसुधारा झील के अध्ययन में इसे फिलहाल सुरक्षित पाया गया है, लेकिन जिस प्रकार जलवायु परिवर्तन हो रहा है। उसे देखते हुए ग्लेशियर झीलों को लेकर विशेष एहतियात बरता जा रहा है।
पांच झीलें संवेदनशील : आपदा के लिहाज संवेदनशील ग्लेशियर झीलों को राष्ट्रीय स्तर पर चिह्नित किया गया है। इस लिस्ट में उत्तराखंड की 13 झील हैं। इनमें पांच ज्यादा संवेदनशील हैं। इनमें एक चमोली में वसुधारा है, जबकि बाकी चार पिथौरागढ़ में है। इनमें दो दारमा वैली, एक लासार यांग्टी और एक कुथी यांग्टी वैली में स्थित है।
जंगलों की आग से निपटने की तैयारी शुरू
देहरादून। पिछले साल जंगलों में लगी आग से सबक लेते हुए इस साल अभी से तैयारी शुरू कर दी गई है। आपदा प्रबंधन सचिव विनोद कुमार सुमन के अनुसार अल्मोड़ा, नैनीताल, चंपावत, देहरादून, टिहरी, उत्तरकाशी और पौड़ी को मॉक ड्रिल के लिए चिह्नित किया गया है। मॉक ड्रिल में विभागीय स्तर पर दावाग्नि की रोकथाम के कार्यों की तैयारी की समीक्षा हो जाएगी।
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