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बसों के स्पेयर पार्ट्स को पैसे नहीं, फर्नीचर पर 1 करोड़ का खर्चा; सवालों के घेरे में उत्तराखंड रोडवेज

रोडवेज बसें कलपुर्जों के अभाव में वर्कशॉप में खड़ी हैं। जो अफसर-कर्मचारी रिटायर हो रहे हैं, उनके देयकों का भुगतान समय पर नहीं किया जा रहा है। इस बीच, रोडवेज मुख्यालय के लिए एक करोड़ का नया फर्नीचर खरीदा गया है।

Sneha Baluni हिन्दुस्तान, देहरादून। रविंद्र थलवालThu, 10 Oct 2024 09:38 AM
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रोडवेज बसें कलपुर्जों के अभाव में वर्कशॉप में खड़ी हैं। जो अफसर-कर्मचारी रिटायर हो रहे हैं, उनके देयकों का भुगतान समय पर नहीं किया जा रहा है। इस बीच, रोडवेज मुख्यालय के लिए एक करोड़ का नया फर्नीचर खरीदा गया है। आर्थिक तंगी से जूझ रहे रोडवेज में इसे लेकर सवाल उठने लगे हैं। पिछले कुछ महीनों से रोडवेज की आमदनी हर माह औसतन 35 करोड़ रुपये हो रही है, जबकि खर्चा 70 करोड़ तक पहुंच जा रहा है। इस कारण रोडवेज खराब बसों के लिए कलपुर्जे (स्पेयर पार्ट्स) नहीं खरीद पा रहा है।

मई से रिटायर कर्मचारियों को देयकों का भुगतान तक नहीं हो रहा है। इसके बावजूद रोडवेज मुख्यालय के लिए एक करोड़ रुपये के फर्नीचर खरीदे गए हैं। रोडवेज के एई पीके दीक्षित ने बताया कि कुछ फर्नीचर मिल गया है और कुछ मिलने वाला है। यह कॉन्फ्रेंस रूम और एमडी कक्ष के साथ ही महाप्रबंधकों के कमरों में लगाया जाएगा। इसमें चेयर और टेबल भी हैं, जिनकी कुल कीमत एक करोड़ रुपये तक है।

पुराना फर्नीचर रीजनल दफ्तरों को भेजेंगे

रोडवेज के अफसरों का कहना है कि मुख्यालय का जो पुराना फर्नीचर है, उसको रीजनल कार्यालय और डिपो दफ्तर को भेजा जाएगा। जबकि, कुछ फर्नीचर मुख्यालय में ही उपयोग किया जाएगा।

वर्कशॉप में भी महीनों से खड़ी हैं कई बसें

कलपुर्जों के अभाव में प्रदेशभर में कई बसें वर्कशॉप में खड़ी हैं। काठगोदाम डिपो में एक बस छह महीने से खड़ी है। देहरादून हिल डिपो की 14 बसें हर रोज खड़ी रहती हैं। कुछ बसें इंजन कार्य के लिए पिछले दो महीने से खड़ी हैं। कर्मचारियों का कहना है कि वर्कशॉप में कलपुर्जों की पर्याप्त आपूर्ति नहीं हो रही है। जो कलपुर्जे आ भी रहे हैं, उनकी गुणवत्ता अच्छी नहीं है।

कबाड़ बसों की सीटों पर बैठ रहे कर्मचारी

इस खरीद पर सवाल उठाते हुए रोडवेज कर्मचारी संयुक्त परिषद के प्रदेश महामंत्री दिनेश पंत ने बताया कि ट्रांसपोर्टनगर वर्कशॉप में बने दफ्तरों में कर्मचारियों के लिए पर्याप्त कुर्सियां नहीं हैं। कर्मचारी टूटी-फूटी कुर्सियों में बैठने को मजबूर हैं। कबाड़ बसों की सीटों को लगाकर बैठने का इंतजाम किया गया है। इंटरनेट की सुविधा भी नहीं है। कर्मचारी अपने मोबाइल से नेट चलाकर काम कर रहे हैं। कंम्यूटरों का भी बुरा हाल है।

रोडवेज के महाप्रबंधक (कार्मिक) पवन मेहरा ने कहा, 'मुख्यालय के लिए नए फर्नीचर की खरीद का निर्णय पहले हो चुका है। मुझे इसके बारे में इतनी जानकारी है कि फर्नीचर को मुख्यालय के लिए खरीदा गया है।'

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