Shyampur Village Lacks Public Toilets Despite ODF Status Residents Demand Immediate Action श्यामपुर गांव में कब बनेगा सार्वजनिक शौचालय, Haridwar Hindi News - Hindustan
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श्यामपुर गांव में कब बनेगा सार्वजनिक शौचालय

श्यामपुर गांव को 2017 में खुले में शौच मुक्त घोषित किया गया था, लेकिन आज तक यहां सार्वजनिक शौचालय नहीं हैं। ग्रामीणों को निजी शौचालयों या खुले में जाने की मजबूरी का सामना करना पड़ रहा है। ग्राम प्रधान...

Newswrap हिन्दुस्तान, हरिद्वारSun, 25 May 2025 04:47 PM
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श्यामपुर गांव में कब बनेगा सार्वजनिक शौचालय

श्यामपुर क्षेत्र का मुख्य बाजार होने के साथ-साथ यहां दो बैंक, कई स्कूल-कॉलेज, मेडिकल स्टोर, पुलिस थाना, वन विभाग का कार्यालय और होम्योपैथिक डिस्पेंसरी भी हैं। साथ ही हर रविवार को यहां साप्ताहिक पीठ बाजार भी लगता है, लेकिन स्वच्छ भारत मिशन के तहत वर्ष 2017 में खुले में शौच मुक्त (ओडीएफ) घोषित श्यामपुर गांव में आज तक सार्वजनिक शौचालय की सुविधा नहीं है। ग्रामीणों का कहना है कि बाहर से आने वाले लोगों को या तो किसी के निजी शौचालय का सहारा लेना पड़ता है या फिर मजबूरी में खुले में शौच के लिए जाना पड़ता है। राकेश भारती, शौकीन कलूड़ा, मनवीर सिंह, कृपाल, आकाश, सचिन चौधरी, हरिओम गोयल और अनिल चौहान सहित कई लोगों ने बताया कि सार्वजनिक शौचालय नहीं होने के चलते लोगों को रोजाना परेशानी सामना करना पड़ता है।

वे इस समस्या को हल करने के लिए कई बार मांग कर चुके हैं, लेकिन अब तक कोई सुनवाई नहीं हुई। श्यामपुर के ग्राम प्रधान योगेश चौहान का कहना है कि सार्वजनिक शौचालय निर्माण के लिए भूमि चिन्हीकरण की प्रक्रिया चल रही है। जैसे ही उपयुक्त स्थान तय होगा, शौचालय निर्माण कार्य शुरू करवा दिया जाएगा। ओडीएफ मानकों के तहत किसी गांव को तभी खुले में शौच मुक्त माना जाता है, जब वहां हर घर के साथ-साथ सार्वजनिक व सामुदायिक शौचालयों की भी समुचित व्यवस्था हो। इधर, सीडीओ आकांक्षा कोंडे ने कहा कि जगह चिन्हित कर शौचालय बनाने का प्रस्ताव तैयार किया जा रहा है। ------- महिलाओं के लिए स्थिति हो जाती है असहज गांव की सरिता देवी, पूजा देवी, सरोज, सविता आदि का कहना है कि जब उन्हें या बाहर से आने वाली किसी महिला को शौच जाने की जरूरत होती है, तो पास में कोई भी सुरक्षित स्थान या सार्वजनिक शौचालय नहीं होता। ऐसे में उन्हें या तो दूसरों के घर का दरवाजा खटखटाना पड़ता है या फिर मजबूरी में खुले में जाना पड़ता है। यह स्थिति उनके लिए बेहद असहज और अपमानजनक होती है। महिलाओं ने यह भी कहा कि यह सिर्फ स्वच्छता का नहीं, सम्मान और सुरक्षा का भी सवाल है।

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