ज्योतिष को समझने के लिए ब्रह्मज्ञानी बनना होगा: जगद्गुरु
- जगद्गुरु आश्रम कनखल में एक दिवसीय ज्योतिष सम्मेलन का आयोजन - सम्मेलन को जगद्गगुरु
जगद्गुरु शंकराचार्य स्वामी राजराजेश्वराश्रम महाराज ने कहा कि ज्योतिष को समझने और इसे आत्मसात करने के लिए ब्रह्मज्ञानी बनना पड़ेगा। जगद्गुरु शंकराचार्य स्वामी राजराजेश्वराश्रम महाराज ने शायरी की लाइन ‘न पीने का सलीका है और न पिलाने का शऊर, ऐसे लोग भी चले आए हैं मयखाने। कहा कि ज्योतिष को हास्यास्पद बनाने वाले बहुत लोग बाजार में आ चुके हैं। यह विधा दुकान चलाने के लिए नहीं कल्याण के लिए है। जन्म से लेकर अवसान तक की समस्त जानकारी ज्योतिष में समाहित है। जगद्गुरु आश्रम कनखल हरिद्वार में रविवार को अखिल भारतीय ज्योतिष सम्मेलन संपन्न हुआ। ‘विश्व परिपेक्ष में भारत की भूमिका ग्रह नक्षत्र के अनुसार आधारित विषय पर ज्योतिषाचार्य, आचार्य और विद्वानों ने अपने-अपने व्याख्यान प्रस्तुत किए। आचार्य महामंडलेश्वर कैलाशानंद महाराज और अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष श्रीमहंत रविंद्रपुरी महाराज ने इस आयोजन की प्रशंसा की। उन्होंने कहा कि ज्योतिष के जरिए मार्केटिंग करने वालों को यह सीखना होगा कि इसका उद्देश्य क्या है। उन्होंने कहा कि ज्योतिष साधक के लिए साधना है, लेकिन वर्तमान में इसका स्वरूप और इसके उद्देश्य का परिहास किया जा रहा है। कंप्यूटर पर लगन और चार्ट बनाने को उन्होंने ज्योतिष से परे बताया और कहा कि वर्तमान में किसी भी राष्ट्र का भाग्य विदेशी एजेंसिया बना रही हैं। ज्योतिष की कल्पना को पागलपन बताने वालों को भी जगद्गुरु ने अपने संबोधन में लताड़ लगाई। उन्होंने कहा कि ज्योतिष का ज्ञान पराज्ञान है जो कि ब्रह्मज्ञानी ही कर सकता है। अवगुण, दुर्गुण और व्यसन के साथ ज्योतिष का समन्वय नहीं हो सकता है।
सम्मेलन में महामंडलेश्वर स्वामी ललितानंद गिरी महाराज, श्री जगद्गुरु आश्रम ट्रस्ट के उपाध्यक्ष जगदीश गुप्ता, महामंत्री रविंद्र सिंह भदौरिया, उमेश त्रिवेदी, डॉ. गौरव मिनोचा, अभिषेक कौशिक, नारायण शास्त्री, देवानंद महाराज, आशु रणदेव, लक्ष्मण नागर, स्वामी अक्षयानंद समेत बड़ी संख्या में लोग मौजूद रहे।
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