योगी सरकार बेचेगी परवेज मुशर्रफ की 13 बीघा जमीन, खरीदनी है तो लगाएं बोली
- विभाजन से पहले मुशर्रफ का परिवार बागपत जिले के कोताना गांव में रहता था। उनके पिता मुशर्रफुद्दीन और मता बेगम जरीन दोनों ही इसी गांव की रहने वाली थीं। यह परिवार आजादी से पहले 1943 में दिल्ली जाकर रहने लगा।
पाकिस्तान के पूर्व सेनाध्यक्ष और राष्ट्रपति परवेज मुशर्रफ और उनके भाईयों के नाम पर की भारत में करीब 13 बीघा जमीन है, जिसे उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार बेचने जा रही है। इसके लिए बोली लगाई जाएगी। भारत सरकार के आदेश पर योगी सरकार शत्रु संपत्ति नियम के तहत यह कार्रवाई कर रही है। आपको बता दें कि मुशर्रफ की यह जमीन बागपत जिले में है। 5 सितंबर तक इसकी निलामी प्रक्रिया चलेगी।
आपको बता दें कि विभाजन से पहले मुशर्रफ का परिवार बागपत जिले के कोताना गांव में रहता था। उनके पिता मुशर्रफुद्दीन और मता बेगम जरीन दोनों ही इसी गांव की रहने वाली थीं। यह परिवार आजादी से पहले 1943 में दिल्ली जाकर रहने लगा। गांव में उनकी एक हवेली थी, जो कि अब खंडहर में तब्दील हो चुकी है।
भारत का बंटवारा होने के बाद यह परिवार पाकिस्तान चला गया। बाद में भारत सरकार द्वारा बनाए गए नियम के मुताबिक, इसे शत्रु संपत्ति घोषित कर दी गई। मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, मुशर्रफ परिवार की कुछ जमीन पहले भी बेची जा चुकी है। उनके भाई के नाम पर भी यहां संपत्ति थी। करीब 15 साल पहले इसे शत्रु संपत्ति घोषित की गई थी।
मुशर्रफ परिवार की कुछ संपत्ति खादर तो कुछ बांगर के रिकाॅर्ड में दर्ज है। शत्रु संपत्ति अभिरक्षक कार्यालय ने फिलहाल बांगर की संपत्ति की नीलामी की प्रक्रिया शुरू कराई है। यह 5 सितंबर तक चलेगी। यह पूरी प्रक्रिया ऑनलाइन होगी। मुशर्रफ परिवार की इस संपत्ति की बोली 37.5 लाख रुपये से शुरू होगी। जिसके द्वारा सर्वाधिक बोली लगाई जाएगी उसके नाम यह जमीन कर दी जाएगी।
क्या होती है शत्रु संपत्ति?
देश की संसद ने पाकिस्तान से 1965 की युद्ध के बाद 1968 में शत्रु संपत्ति अधिनियम पारित किया। इसके मुताबिक, जो लोग बंटवारे के बाद या फिर 1965 और 1971 की लड़ाई के बाद भारत छोड़कर पाकिस्तान चले गए और वहां की नागरिकता ले ली, उनकी संपत्ति को शत्रु संपत्ति घोषित कर दिया गया। ऐसी संपत्तियों पर भारत सरकार का अधिकार हो गया।
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