लखनऊ PWD मेंं 20 साल से जमे बाबुओंं पर योगी सरकार सख्त, तबादले के साथ जांंच शुरू
राजधानी लखनऊ के लोक निर्माण विभाग (PWD) में 20 साल से जमे बाबुओं पर प्रदेश की योगी सरकार सख्त हो गई है। सरकार के निर्देश पर कार्रवाई शुुरू हो गई है।
राजधानी लखनऊ के लोक निर्माण विभाग (PWD) में 20 साल से जमे बाबुओं पर प्रदेश की योगी सरकार सख्त हो गई है। सरकार के निर्देश पर कार्रवाई शुुरू हो गई है। इनका तबादला मंंडल से बाहर करने के साथ ही जांच भी शुरू हो गई है। उन्नाव के पुरवा से भाजपा विधायक अनिल सिंह ने तीनों के खिलाफ शिकायतें की थी। विधायक ने तीन बाबुओं पर भ्रष्टाचार, रेप और हत्या जैसे गंभीर आरोप लगाए थे। उन्ही की शिकायत पर एक्शन हुआ है।
मुख्यालय में तैनात वीरेन्द्र कुमार का आजमगढ़, बाबू ओम प्रकाश का मुरादाबाद, वीरेन्द्र कुमार यादव का वाराणसी तबादला किया गया। बाबुओं को तत्काल प्रभाव से मंडल से बाहर ट्रांसफर करने के साथ ही विभागीय जांच भी शुरू करने की तैयारी हो गई है।
पीडब्ल्यूडी नियमित वर्कचार्ज कर्मचारी संघ के प्रदेश अध्यक्ष भारत सिंह यादव ने मुख्यमंत्री और प्रमुख सचिव को भी इस बारे में शिकायत दर्ज कराई थी। शिकायत में विभाग में तैनात रही दलित वर्ग की महिला कर्मचारी की रेप के बाद मौत के मामले का भी जिक्र किया गया था।
एक दिन पहले ही योगी सरकार ने पीसीएस और अन्य अधिकारियों के लिए 31 जनवरी 2025 तक संपत्तियों का ब्यौरा देना अनिवार्य किया था। इस अवधि तक ऑनलाइन सूचना न देने वालों की पदोन्नतियां रोकने का आदेश कर दिया है। इसके साथ उत्तर प्रदेश सरकारी सेवक अनुशासन एवं अपील नियमावली के तहत कार्रवाई भी की जाएगी। इसी तरह राज्य कर्मियों के लिए भी 31 जनवरी तक संपत्तियों का ब्योरा न देने पर पदोन्नतियां नहीं दी जाएंगी।
प्रमुख सचिव नियुक्ति एवं कार्मिक एम देवराज ने गुरुवार को इस संबंध में शासनादेश जारी करते हुए सभी विभागाध्यक्षों को निर्देश भेज दिया है। शासनदेश में कहा गया है कि उत्तर प्रदेश सिविल सेवा (कार्यकारी शाखा) के अधिकारियों की वार्षिक गोपनीय प्रविष्टि के पुराने प्रारूप को निरस्त करते हुए उसके स्थान पर नया जारी किया गया है।