यूपी के किसानों को योगी कैबिनेट का गिफ्ट, आय बढ़ाने को 4000 करोड़ की यूपीएग्रीज योजना मंजूर
कैबिनेट ने किसानों की आय बढ़ाने के मद्देनज़र विश्व बैंक सहायतित 4000 करोड़ रुपये की यूपीएग्रीज (उत्तर प्रदेश एग्रीकल्चर ग्रोथ एण्ड रूरल इंटरप्राइजेज इकोसिस्टम स्ट्रेथनिंग) परियोजना को मंगलवार को मंजूरी दे दी है।
योगी कैबिनेट ने यूपी के किसानों को गिफ्ट दिया है। कैबिनेट ने किसानों की आय बढ़ाने के मद्देनज़र विश्व बैंक सहायतित 4000 करोड़ रुपये की यूपीएग्रीज (उत्तर प्रदेश एग्रीकल्चर ग्रोथ एण्ड रूरल इंटरप्राइजेज इकोसिस्टम स्ट्रेथनिंग) परियोजना को मंगलवार को मंजूरी दे दी है। यह परियोजना प्रदेश के आठ मंडलों के 28 जिलों में लागू की जाएगी। इसमें सात जिले बुन्देलखण्ड के हैं, जबकि घााघरा और सरयु के उत्तर में स्थित गोरखपुर, बस्ती एवं देवीपाटन मंडल के जिलों के अलावा सरयु नदी के दक्षिण में पड़ने वाले आजमगढ़, वाराणसी एवं मिर्जापुर मंडल के जिले शामिल हैं।
इसके तहत किसानों को सबसे बेहतरीन बीज, उच्च तकनीक एवं मशीनें आदि प्रदान कर उनसे कुल 6.15 लाख हेक्टेयर भूमि में मुख्य फसलों के अलावा कुछ नकदी फसलों की आधुनिक खेती कराई जाएगी। साथ ही इसके माध्यम से संबंधित जिलों के किसानों के उत्पाद को खाद्य प्रसंस्करण इकाइयों से जोड़ने या उसका वैल्यू एडिशन में भी सहयोग किया जाएगा ताकि किसानों के उत्पाद का उन्हें बेहतर मूल्य मिले एवं खाद्य प्रसंस्करण इकाइयों के माध्यम से ग्रामीण क्षेत्रों में ही रोजगार के अवसर भी पैदा हो सकेगा। छह वर्षों तक संचालित होने वाली यह परियोजना 2029-30 तक चलेगी। कैबिनेट ने इस वित्तीय वर्ष के लिए के लिए 200 करोड़ रुपये की मंजूरी भी दी है।
इसके तहत विशेष आर्थिक क्षेत्र की तर्ज पर एग्रो क्लस्टर बनाया जाएगा। वर्तमान में आठ क्लस्टर बनाया जा चुका है जबकि कुछ अन्य पर काम शुरू कर दिया गया है। इन क्लस्टरों को ओडीओपी की तर्ज पर सेंटर ऑफ एक्सीलेंस के रूप में विकसित किया जाएगा। जैसे बुन्देलखण्ड के कुछ जिलों में तिल के उत्पादन और उसकी उत्पादकता पर फोकस किया जाएगा जबकि कुछ जिलों में मछली पालन को बढ़ावा देकर मत्स्य पालकों को आत्मनिर्भर बनाया जाएगा। परियोजना के माध्यम से किसानों को पोस्ट हार्वेस्ट मैनेजमेंट में प्रशिक्षित किया जाएगा और उन्हें मार्केट सपोर्ट सिस्टम से जोड़ा जाएगा। इसके अलावा कृषक उत्पादन संगठन (एफपीओ) तथा महिला स्वयं सहायता समूहों (एसएचजी) को आर्थिक रूप से मजबूत बनाया जाएगा।
इन जिलों में लागू होगी परियोजना
मिर्जापुर, सोनभद्र भदोही, वाराणसी, गाजीपुर, चन्दौली, जौनपुर, आजमगढ़, बलिया, मऊ, गोरखपुर, देवरिया, महाराजगंज, कुशीनगर बस्ती , सिद्धार्थनगर और संतकबीरनगर, गोण्डा, बलरामपुर, बहराइच श्रावस्ती, बांदा, चित्रकूट, महोबा, हमीरपुर, झांसी, ललितपुर एवं जालौन जिले के नाम शामिल हैं।
खाद्य एवं आवश्यक वस्तु निगम के 83 कर्मी होंगे समायोजित
खाद्य एवं आवश्यक वस्तु निगम के 83 कर्मियों को खाद्य एवं रसद विभाग में बाडी शापिंग के आधार पर समायोजित किया जाएगा। इसमें समूह ‘ग’ के 47 और समूह ‘घ’ के 36 कर्मचारी हैं। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की अध्यक्षता में मंगलवार को हुई कैबिनेट की बैठक में यह फैसला हुआ। उत्तर प्रदेश राज्य खाद्य एवं आवश्यक वस्तु निगम लिमिटेड में कुल 126 कर्मचारी कार्यरत हैं। कंपनी एक्ट 1956 के तहत 22 अक्तूबर 1974 को इसकी स्थापना की गई थी। उत्तर प्रदेश राज्य खाद्य एवं आवश्यक वस्तु निगम लिमिटेड द्वारा सार्वजनिक वितरण प्रणाली योजना में भारतीय खाद्य निगम और राज्य भंडारागार निगम के गोदामों से राशन उठान कर अपने गोदामों को रखे जाने का काम किया जाता था। इससे निगम को मार्जिन मनी प्राप्त होती थी।
प्रदेश में सिंगल स्टेज डोर स्टेप डिलीवरी योजना लागू किए जाने से बाद सीधे दुकानों पर राशन भेजने की व्यवस्था शुरू की गई है। इससे निगम के गोदामों की जरूरत नहीं रह गई। इससे निगम की आय में दो सालों में भारी गिरावट आई है और नुकसान भी हो रहा है। निगम अपनी आय पर इन कर्मियों को वेतन दे पाने की स्थिति में नहीं है। इसके साथ ही कर्मियों के लगातार सेवानिवृत्त होने या आकस्मिक निधन से निगम में अधिकांश समूह ‘ग’ (सेल्समैन) और समूह ‘घ’ (चतुर्थ श्रेणी) के कर्मचारी ही बचे हैं। इसीलिए इन कर्मियों को दूसरे विभागों में समायोजित करने की जरूरत को देखते हुए यह फैसला किया गया है।