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फ्लोरोसेंट रिफ्लेटिव टेप रोकेगा हादसे? आवारा पशुओं को लेकर यूपी सरकार की पहल कितनी होगी कारगर

रात में आवारा पशुओं को दूर से ही देखा जा सके इसकी व्यवस्था हो रही है। पशुओं के ऊपर सफेद, लाल और पीले फ्लोरोसेंट रिफ्लेक्टिव टेप को लगाने की तैयारी हो रही है।

Yogesh Yadav लखनऊ अनुपम श्रीवास्तव/एचटीWed, 18 Sep 2024 03:09 PM
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उत्तर प्रदेश में आवारा पशु खासकर गोवंश किसानों से लेकर आम लोगों के लिए बड़ी समस्या बने हुए हैं। इनके कारण लगातार सड़क हादसे हो रहे हैं और लोगों को अपनी जान से हाथ धोना पड़ रहा है। पशुओं को सड़क से हटाने के लिए तमाम कवायद हुए लेकिन सफलता नहीं मिल सकी है। अब हादसों को रोकने के लिए पहल हुई है। रात में इन पशुओं को दूर से ही देखा जा सके इसकी व्यवस्था हो रही है। पशुओं के ऊपर सफेद, लाल और पीले फ्लोरोसेंट रिफ्लेक्टिव टेप को लगाने की तैयारी हो रही है। जहां पशुओं के कारण ज्यादा हादसे हो रहे हैं वहां सबसे पहले इसे लागू करने की तैयारी है।

पिछले कुछ वर्षों से यूपी में देश में सबसे अधिक सड़क दुर्घटनाओं में मौतें यहां हुई हैं। परिवहन विभाग की रिपोर्ट के अनुसार उत्तर प्रदेश में 2022 में सड़क दुर्घटनाओं में 22,595 मौतें हुईं। राज्य के छोटे शहरों में 10,000 और मध्यम आकार और बड़े शहरों में क्रमशः 15,000 से 20,000 फ्लोरोसेंट रिफ्लेक्टिव टेप वितरित किए जाएंगे। यह योजना जल्द ही प्रमुख दुर्घटना संभावित क्षेत्रों में लागू होने की उम्मीद है और उनकी सूची पर काम किया जा रहा है। इसके सफल होने पर पूरे राज्य में इसका विस्तार किया जा सकता है।

पशुपालन निदेशक डॉ. पीएन सिंह ने कहा कि विभाग वर्तमान में रात में पशुओं की दृश्यता बढ़ाने के लिए आवारा जानवरों को सफेद, लाल और पीले फ्लोरोसेंट परावर्तक टेप लगाने के बारे में विशेषज्ञों के साथ चर्चा कर रहा है। यह कदम हमारे विभाग के प्रमुख सचिव परिवहन के पत्र के बाद उठाया गया है। इस पहल का उद्देश्य उत्तर प्रदेश में सड़क दुर्घटनाओं को कम करना है। जहां जानवरों, विशेषकर गोवंश के साथ टकराव के कारण हर साल कई दुर्घटनाएं और मौतें होती हैं। विभाग इस परियोजना के लिए बजट तैयार करने की प्रक्रिया में है।

उन्होंने कहा कि हम पहल शुरू करने के लिए प्रमुख क्षेत्रों की पहचान करने पर भी काम कर रहे हैं। शहर के बाहरी इलाकों, राजमार्गों, एक्सप्रेसवे और मुख्य सड़कों जैसे स्थानों पर ध्यान केंद्रित कर रहे हैं, जहां आवारा जानवरों की आवाजाही सबसे अधिक है। भले ही आवारा जानवरों को आश्रय स्थलों में रखा गया है, लेकिन सड़कों पर रहने वाले जानवर सबसे बड़ा खतरा पैदा करते हैं।

पशुपालन विभाग के एक अन्य अधिकारी ने नाम ने छापने की शर्त पर कहा कि फ्लोरोसेंट परावर्तक टेप वाहन सवारों को सड़क पर जानवरों की उपस्थिति के बारे में सचेत करने में मदद करेंगे। इससे टकराव की संभावना काफी कम हो जाएगी।

एक निजी कंपनी यह सुनिश्चित करने के लिए जिम्मेदार होगी कि जानवरों पर ये टेप लगे हैं और चमकीले रंग जानवरों को सड़क से अलग करने में मदद कर रहे हैं। इससे ड्राइवरों को हादसों से बचने में मदद मिलेगी। 2019 पशुधन जनगणना के अनुसार यूपी में 11.84 लाख आवारा मवेशी थे। तब से यह संख्या बढ़ने की संभावना है। राज्य में कुल मवेशियों की संख्या 1.90 करोड़ से अधिक थी। इसमें 62,04,304 दुधारू गायें और 23,36,151 अन्य गायें शामिल थीं।

पिछले हफ्ते परिवहन आयुक्त चंद्रभूषण सिंह ने अतिरिक्त मुख्य सचिव पशुपालन को पत्र लिखकर दुर्घटनाओं को रोकने में मदद के लिए आवारा जानवरों पर फ्लोरोसेंट रिफ्लेक्टिव टेप लगाने का अनुरोध किया था। एक पशुपालन अधिकारी ने कहा कि पूरी कवायद पशुओं से होने वाले हादसों को रोकने के लिए हो रहे हैं। एक निजी कंपनी ने हाल ही में यह प्रदर्शित करने के लिए एक प्रस्तुति दी थी। जानवरों की गर्दन के चारों ओर फ्लोरोसेंट परावर्तक टेप कैसे लगाए जा सकते हैं। तीन अलग-अलग आकारों के टेप प्रदर्शित किए गए ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि वे विभिन्न आकारों के जानवरों को फिट कर सकें।

अतिरिक्त परिवहन आयुक्त (सड़क सुरक्षा) पुष्पसेन ​​सत्यार्थी ने कहा कि परिवहन और पशुपालन विभागों के बीच सहयोग का उद्देश्य अनावश्यक टकरावों को रोककर और जीवन बचाकर सड़कों को मनुष्यों और जानवरों दोनों के लिए सुरक्षित बनाना है।

परिवहन विभाग की रिपोर्ट के मुताबिक यूपी में कुल 41,746 सड़क दुर्घटनाएं हुईं। जनवरी और दिसंबर 2022 के बीच 22,595 लोग मारे गए और 28,541 घायल हो गए। 2022 के आंकड़ों का 2021 के साथ तुलनात्मक विश्लेषण से पता चलता है कि मृत्यु दर में 6.4% की वृद्धि हुई और चोट के मामलों में 14.6% की भारी वृद्धि हुई है।

राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो के 2022 के हाल ही में जारी आंकड़ों से पता चलता है कि यूपी के सात शहरों में जिनकी आबादी 10 लाख से अधिक है। आगरा, लखनऊ, कानपुर और प्रयागराज में सड़क दुर्घटनाएं सबसे अधिक घातक रही हैं।

आंकड़ों में कहा गया है कि आगरा में 729 सड़क दुर्घटनाओं में 698 मौतें और 91 घायल हुए हैं। इसके बाद लखनऊ में 1408 घटनाओं में 643 मौतें और 994 घायल हुए हैं। कानपुर में 1595 सड़क दुर्घटनाओं में 640 मौतें और 955 घायल हुए हैं। प्रयागराज में 1370 हादसों में 603 मौतें और 886 घायल हुए हैं।

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