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कौन हैं शबनम शेख? मुंबई से महाकुंभ पहुंचीं; तिलक लगाकर किया गया स्‍वागत

  • शबनम शेख मूल रूप से उत्तर प्रदेश के बस्ती जिले की रहने वाली हैं, लेकिन उनका परिवार लंबे समय से मुंबई में रह रहा है। शबनम ने इंटर तक की पढ़ाई मुंबई से की है। शबनम हिंदी, मराठी, अंग्रेजी के साथ अरबी भाषा का ज्ञान रखती हैं। शनिवार को वह महाकुंभ के सेक्टर 16 स्थित अयोध्या तपस्वी छावनी पहुंचीं।

Ajay Singh हिन्दुस्तान, आनंद सिंह, महाकुंभ नगरSun, 19 Jan 2025 08:27 AM
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Maha Kumbh 2025: मुंबई की रहने वाली 22 वर्षीय शबनम शेख का शनिवार को महाकुम्भ पहुंचीं। पुष्पवर्षा कर और तिलक लगा स्वागत किया गया। रविवार को वह संगम में स्नान करेंगी। वह कुछ दिन तक महाकुम्भ में रहकर योग, श्रीमद्भागवत गीता का पाठ करते हुए संत महात्माओं के सानिध्य में सनातन धर्म के बारे में जानकारी प्राप्त करेंगी।

शबनम शेख मूल रूप से उत्तर प्रदेश के बस्ती जिले की रहने वाली हैं, लेकिन उनका परिवार लंबे समय से मुंबई में रह रहा है। शबनम ने इंटर तक की पढ़ाई मुंबई से की है और हिंदी, मराठी, अंग्रेजी के साथ अरबी भाषा का ज्ञान रखती हैं। शनिवार को वह महाकुंभ के सेक्टर 16 स्थित अयोध्या तपस्वी छावनी पहुंचीं, जहां पीठाधीश्वर परमहंस आचार्य ने उनका स्वागत किया। परमहंस आचार्य ने कहा, जो सच्ची श्रद्धा और मानसिकता के साथ आता है, उसका स्वागत है। शबनम ने बताया कि उन्हें सनातन धर्म की समानता और नारी को देवी के रूप में पूजने की परंपरा ने प्रभावित किया है। उन्होंने कहा, मैं लंबे समय से श्रीमद्भागवत गीता पढ़ रही हूं और योग का अभ्यास करती हूं। महाकुंभ में आकर मुझे जो अनुभव हुआ, उसे शब्दों में बयां नहीं किया जा सकता। संगमनगरी में आने के बाद अब मैं खुद को और अधिक निडर महसूस कर रही हूं।

मुस्लिम होने के बावजूद महाकुंभ में स्वागत पर खुशी

शबनम ने स्वीकार किया कि महाकुंभ में मुस्लिमों के प्रवेश को लेकर वह आशंकित थीं, लेकिन यहां आने के बाद उन्हें बहुत प्रेम और सम्मान मिला। उन्होंने कहा 144 साल बाद लगे इस महाकुंभ को देखने और इसका हिस्सा बनने का सौभाग्य मिला है। यह मेरे लिए गर्व का क्षण है। मेरे माता-पिता मेरे निर्णय को लेकर डरे हुए थे, लेकिन अब सब ठीक है। मैं शबनम शेख होकर भी राम और कृष्ण की भक्ति कर सकती हूं।

पिछले साल पैदल चलकर मुंबई से पहुंची थीं अयोध्‍या

शबनम शेख के सिर पर हमेशा हिजाब रहता है। वह पर्दानशी खातून की तरह लगती हैं। इस्लाम को मानती हैं। लेकिन खुद को सनातनी मुसलमान कहती हैं। हाथों में भगवा ध्वज थामे शबनम शेख ने पिछले साल 21 बरस की उम्र में सपनों के शहर मुंबई से राम की नगरी अयोध्या तक का सफर पैदल ही तय किया था। इस सफर में वह अपने दो साथियों के साथ थीं। 29 जनवरी 2024 को वह अयोध्या पहुंची थीं। महाराष्ट्र से अयोध्या पैदल जाने को लेकर शबनम शेख के खिलाफ फतवा भी जारी हुआ था। इस पर शबनम का कहना था कि मौलाना और मौलवी उन्हें डराना चाहते हैं ताकि यात्रा भंग हो सके लेकिन मैं श्री राम की भक्त हूं डरूंगी नहीं।

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