सनातनी समाज में ज्योतिष का विशिष्ट महत्व
वाराणसी में आयोजित नि:शुल्क ज्योतिष प्रशिक्षण शिविर में डॉ. गणेशदत्त शुक्ल ने ज्योतिष शास्त्र के महत्व पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि सही गणना के बिना फलादेश संभव नहीं है। शिविर में 65 प्रतिभागियों ने...
वाराणसी, मुख्य संवाददाता। ज्योतिष शास्त्र का सनातनी समाज में विशिष्ट महत्व है। इसके बिना कोई भी मांगलिक एवं शुभ कार्य नहीं किया जा सकता। इस शास्त्र में गणना बहुत ही महत्वपूर्ण पक्ष है। सही गणना के आधार पर ही सटीक फलादेश संभव है।
ये बातें राष्ट्रपति पुरस्कार से सम्मानित डॉ. गणेशदत्त शुक्ल ने कहीं। वह गुरुवार को दशाश्वमेध स्थित शास्त्रार्थ महाविद्यालय में आयोजित नि:शुल्क ज्योतिष प्रशिक्षण शिविर के उद्घाटन सत्र को बतौर मुख्य अतिथि संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि नई पीढ़ी को इस शास्त्र का सटीक ज्ञान दिया जाना अनिवार्य है। इस दिशा में ऐसी कार्यशालाओं का महत्व बढ़ जाता है। कार्यशाला के प्रशिक्षक ज्योतिषाचार्य डॉ. आमोद दत्त शास्त्री ने कहा कि भारतीय ज्योतिष प्रणाली से बनाए तिथि पत्र को पंचांग कहते हैं। तिथि, वार, नक्षत्र, योग तथा करण पंचांग के पांच अंग हैं। इनके अतिरिक्त विविध मुहूर्त तथा धार्मिक पर्व आदि दिए रहते हैं।
ज्योतिष शास्त्र के विद्वान डॉ. संजय उपाध्याय ने कहा कि इन दस दिनों में विद्यार्थियों को पंचांग के बारे में सिखाया जाएगा जिससे वे कभी भी कहीं भी इसके उपयोग से काल, तिथि, ग्रहण सहित अन्य ज्योतिषीय गणना आसानी से कर सकेंगे। कार्यक्रम संयोजक डॉ.पवन कुमार शुक्ल ने बताया कि शिविर में प्रथम दिन 65 प्रतिभागियों ने हिस्सा लिया। छात्र संख्या बढ़ने पर कार्यशाला की अवधि बढ़ा दी जाएगी। इस अवसर पर डॉ.विनोद राव पाठक, डॉ.उमाशंकर त्रिपाठी, डॉ. शेषनारायण मिश्र ने भी विचार रखे।
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