बर्खास्तगी के आदेश की जलाई प्रतियां
Varanasi News - वाराणसी में विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति के आह्वान पर निजीकरण का विरोध जारी है। चार दिनों के कार्य बहिष्कार के दौरान कर्मचारियों ने भिखारीपुर में प्रदर्शन किया और पावर कारपोरेशन के तानाशाही...

वाराणसी, वरिष्ठ संवाददाता। विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति के आह्वान पर निजीकरण का विरोध जारी है। बिजली कर्मचारियों ने कार्य बहिष्कार के चौथे दिन भिखारीपुर स्थित हुनमान मंदिर पर जबरदस्त विरोध प्रदर्शन किया। इस दौरान एमडी कार्यालय के मुख्य गेट के सामने पावर कारपोरेशन के आदेश को तानाशाहीपूर्ण असंवैधानिक बताते हुए इसकी प्रतियां जलाई गईं। साथ ही ऊर्जा निगमों में औद्योगिक अशांति का वातावरण बनाकर हड़ताल थोपने के आरोप में पावर कारपोरेशन के चेयरमैन आशीष गोयल की बर्खास्तगी की मांग की गई। आरोप लगाया कि निजीकरण के घोटाले को अंजाम देने के लिए पावर कारपोरेशन ने निदेशक वित्त निधि नारंग का कार्यकाल दूसरी बार तीन महीने के लिए बढ़ा दिया है।
विरोध सभा में संघर्ष समिति के पदाधिकारी राजेन्द्र सिंह ने कहा कि प्रबंधन पूरी तरह से तानाशाही पर उतर आया है। हम अपने हक के लिए लड़ रहे हैं, यह प्रबंधन को बर्दाश्त नहीं हो रहा है। मनोज यादव ने कहा कि चेयरमैन निजीकरण करने के लिए इतने उतावले हो गये हैं कि उन्होंने संविधान के आर्टिकल 311(2) का उल्लंघन कर बिजली कर्मचारियों की बर्खास्तगी का अलोकतांत्रिक, असंवैधानिक आदेश जारी कर दिया। प्रमोद कुमार ने आरोप लगाया कि चेयरमैन डॉ आशीष गोयल के कहने पर पावर कारपोरेशन के महाप्रबन्धक (आईआर.) प्रदीप कुमार और उत्पादन निगम के महाप्रबन्धक (एचआर) एके सेठ संघर्ष समिति के घटक संगठनों के पदाधिकारियों को फोन करके धमकी दे रहे हैं कि वे अपने पद से इस्तीफा दें। अध्यक्षता एसके सिंह एवं संचालन अंकुर पाण्डेय ने किया। सभा में मायाशंकर तिवारी, एसके सिंह, सियाराम, संदीप कुमार, अनिल कुमार, संतोष वर्मा, हेमन्त श्रीवास्तव, अनिल यादव, सतीशचंद्र बिंद, गजेंद्र श्रीवास्तव, रविन्द्र यादव आदि थे। एक्सईएन आंदोलन के अगुवा की अपील की कर रहे अनदेखी विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति के आंदोलन पिछले कई महीने से चल रहा है। चौथे दिन के कार्य बहिष्कार में अधिशासी स्तर के अधिकारी फिर नहीं शामिल हुए। जबकि, अंदोलन के अगुवा लगातार आंदोलन में शामिल होने की अपील कर रहे हैं। इसके बावजूद एक्सईएन की सेहत पर कोई असर पड़ रहा है। इससे आंदोलनकारियों में आक्रोश बढ़ता जा रहा है।
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