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देश के लिए सांस्कृतिक चुंबक है काशी

Varanasi News - वाराणसी में काशी-तमिल संगमम्-3.0 के बौद्धिक सत्र में विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने कहा कि भारत की विविधता उसे एक राष्ट्र के रूप में जोड़ती है। उन्होंने बताया कि काशी-तमिल संगमम विविधता में एकता का उत्सव...

Newswrap हिन्दुस्तान, वाराणसीMon, 24 Feb 2025 04:54 AM
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देश के लिए सांस्कृतिक चुंबक है काशी

वाराणसी, संवाददाता। पूरे देश के लिए काशी सांस्कृतिक चुंबक है। इससे देश के हर कोने के व्यक्ति का जुड़ाव है। तमिलनाडु के लोगों का से यह और गहरा है। काशी-तमिल संगमम् इसी अनूठे संबंध का उत्सव है। यह बातें विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने कहीं। वह रविवार को बीएचयू के ओंकारनाथ ठाकुर सभागार में काशी-तमिल संगमम्-3.0 के बौद्धिक सत्र में बोल रहे थे। विदेशमंत्री ने कहा कि भारत विविधताओं की भूमि है। दूसरे देशों के लोग आश्चर्यचकित होते हैं कि विभिन्न भाषाओं, परंपराओं और विश्वासों के बावजूद यह देश एक सूत्र में कैसे बंधा है। उन्होंने कहा कि इस विविधता में एकता भारत को एक राष्ट्र के रूप में जोड़ती है। काशी तमिल संगमम में आए 45 देशों के राजदूतों को कार्यक्रम की जानकारी देते हुए उन्होंने कहा कि काशी-तमिल संगमम विविधता में एकता के उत्सव का एक उदाहरण है। इसकी परिकल्पना प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने की है।

तमिल के डेलीगेट्स राजगोपालन ने विदेशमंत्री से उत्सव के बारे तीन महत्वपूर्ण बातें पूछीं। इस पर विदेश मंत्री ने कहा कि भारत की गौरवशाली विरासत को अगली पीढ़ी तक पहुंचाने के लिए इसका उत्सव मनाना जरूरी है। विरासत के उत्सव से संस्कृति जीवंत रहती हैं। भारत सरकार इस दिशा में महत्वपूर्ण प्रयास कर रही है। अतिथियों का स्वागत करते हुए बीएचयू के कार्यवाहक कुलपति प्रो. संजय कुमार ने कहा कि विभिन्न देशों के प्रमुखों की उपस्थिति भारत की वैश्विक पहुंच और ऐतिहासिक संबंधों का प्रमाण है। उन्होंने कहा कि 1916 में महामना मदन मोहन मालवीय के स्थापित बीएचयू हमेशा ज्ञान, राष्ट्रीय एकता और शैक्षणिक उत्कृष्टता का केंद्र रहा है। सत्र का संचालन आईआईटी-बीएचयू के प्रोफेसर वी. रामनाथन ने किया।

काशी के लोग आएं रामेश्वर ऐसा आयोजन भी हो

तमिलनाडु के डेलीगेट्स ने विदेशमंत्री एस जयशंकर से कहा कि ऐसा आयोजन होना चाहिए कि काशी के लोग रामेश्वरम आएं। इससे काशी और तमिल के रिश्तों में और मजबूती आएगी। विदेशमंत्री ने इसपर जवाब देते हुए कहा कि पीएमओ से इस विषय पर जरूर चर्चा करेंगे।

ड्रोन तकनीकी पर अध्ययन कर रहे भारतीय विश्वविद्यालय

तमिल प्रतिनिधि रुद्रन के सवाल पर विदेशमंत्री ने कहा कि परंपरा प्रौद्योगिकी को आगे बढ़ाने में सहायक होती है। इसी संदर्भ में भारतीय ज्ञान प्रणाली की भूमिका भी महत्वपूर्ण हो जाती है। भारतीय विश्वविद्यालय ड्रोन तकनीक, अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी और अन्य महत्वपूर्ण क्षेत्रों में उन्नत वैज्ञानिक अध्ययन कर रहे हैं। उन्होंने उम्मीद जताई कि भविष्य में इन संस्थानों से और अधिक प्रगतिशील पहल सामने आएंगी। रुद्रन ने उनसे पूछा था कि भारत अतीत में प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में अग्रणी रहा है और जिसने अपनी तकनीकी उपलब्धियों को दुनिया के साथ साझा भी किया था। उन्होंने पूछा कि क्या इस विषय पर कोई विशेष अध्ययन किया जाएगा।

राष्ट्र को एक सूत्र में बांधती है भारत की समृद्ध विविधता

तमिल प्रतिनिधि राजेश कुमार ने विदेशी प्रतिनिधियों से पूछा कि भारत की भाषाई, धार्मिक और सांस्कृतिक विविधता को वो कैसे देखते हैं। इस पर सोमालिया के राजदूत कहा कि भारत एक अनूठा उदाहरण प्रस्तुत करता है कि कैसे एक अरब से अधिक लोग अलग-अलग मान्यताओं और विचारधाराओं के बावजूद सौहार्दपूर्वक रह सकते हैं। उन्होंने अफ्रीका में जारी संघर्षों के बारे बताते हुए कहा कि भारत की समृद्ध विविधता ही इस राष्ट्र को एक सूत्र में बांधती है। एरट्रिया दो महान संस्कृतियों के समागम को देखने के विशेष अवसर की सराहना की।

जमैका में मनाया जा रहा भारतीयों के आगमन का उत्सव

रवांडा के उप उच्चायुक्त ने भी इस चर्चा में भाग लेते हुए कहा कि भारतीयों के बीच जो एकजुटता और समरसता है। वह पूरी दुनिया के लिए एक सीख है। आइसलैंड के राजदूत ने कहा कि भारत की विविधता इसकी सबसे बड़ी ताकत है। जमैका के उच्चायुक्त ने बताया कि जमैका में भारतीयों के आगमन के 108 वर्ष पूरे होने पर उत्सव मनाया जा रहा है। उन्होंने भारत में कैरेबियन अध्ययन केंद्र स्थापित करने का भी सुझाव दिया।

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