बीएचयू डिग्रियों में बढ़ाए सुरक्षा के इंतजाम, क्यूआर कोड के एक स्कैन से सामने होगा छात्रों का डेटा
अपने 104वें दीक्षांत समारोह में बीएचयू ने परंपराओं को सहेजने के साथ ही कुछ जरूरी बदलाव भी किए हैं। इनमें सबसे प्रमुख डिग्रियों में किया गया बदलाव है। बीएचयू से मिलने वाली डिग्रियां इस बार न सिर्फ अंतरराष्ट्रीय मानकों के अनुरूप होंगी। बल्कि सुरक्षा की दृष्टि से भी बेहतर होंगी।
अपने 104वें दीक्षांत समारोह में बीएचयू ने परंपराओं को सहेजने के साथ ही कुछ जरूरी बदलाव भी किए हैं। इनमें सबसे प्रमुख डिग्रियों में किया गया बदलाव है। बीएचयू से मिलने वाली डिग्रियां इस बार न सिर्फ अंतरराष्ट्रीय मानकों के अनुरूप होंगी। बल्कि सुरक्षा की दृष्टि से भी बेहतर होंगी। इनमें अंक बढ़ाने से लेकर नकली डिग्री तैयार करने सहित अन्य तरह के फर्जीवाड़े नहीं किए जा सकेंगे। बीएचयू से मिलने वाली उपाधियों में कई बदलावों की जरूरत लंबे समय से महसूस की जा रही थी। इस वर्ष बीएचयू प्रशासन ने सर्वसम्मति से डिग्रियों को अंतरराष्ट्रीय सुरक्षा मानकों के अनुरूप तैयार कराया है।
हर छात्र के अंकपत्र और डिग्री में क्यूआर कोड लगाया जाएगा। जिसे स्कैन करते ही डिजीलॉकर के जरिए छात्र के अंक और डिवीजन सामने होंगे। खास यह कि हर क्यूआर कोड यूनीक होगा। ऐसे में इसे किसी भी तरह से कॉपी नहीं किया जा सकेगा। इसके अलावा अब प्रमाण पत्र और उपाधियों में विद्यार्थी के नाम के आगे ‘श्री’ या ‘सुश्री’ नहीं लिखा जाएगा। परीक्षा नियंता प्रो. एनके मिश्रा ने बताया कि देश से बाहर किसी संस्थान में नौकरी या अध्ययन करने जाने पर ‘श्री’ या ‘सुश्री’ को इनके नाम का हिस्सा मान लिया जाता था। ऐसे में पिछले सर्टिफिकेट, आधार से लेकर बैंक एकाउंट तक के वेरिफिकेशन में समस्या आती थी। इसके अलावा पीएचडी की उपाधियों से भी लैमिनेशन हटा दिया गया है। इन्हें विशेष लिफाफों में रखकर दिया जाएगा।
बीएचयू की उपाधि पर परंपरागत रूप से हिंदी, संस्कृत और अंग्रेजी भाषा का इस्तेमाल जारी रहेगा। उपाधि पर बीएचयू का लोगो वीणा के साथ माता सरस्वती का चित्र भी यथावत रहेगा। उपाधि की डिजाइन को भी आकर्षक बनाने की कोशिश की गई है। छात्रों को दी जाने वाली पीएचडी की उपाधि में भी परिवर्तन किया गया है। पहले इसपर ‘एडमिटेड’ लिखा होता था जिसे बदलकर अब ‘अवार्डेड’ किया गया है। परीक्षा नियंता ने बताया कि एडमिटेड शब्द पर कई बार कंपनियां आपत्ति करती थीं। माना जाता था कि पीएचडी में एडमिशन लेकर अभ्यर्थी ने इसके पूरा होने का दावा किया है।
बीएचयू के परीक्षा नियंता, प्रो. एनके मिश्रा ने कहा कि बीएचयू की डिग्री को अंतरराष्ट्रीय मानकों के अनुरूप बनाने के लिए यह बदलाव किए गए हैं। पहले भी डिग्रियों और उपाधियों में मामूली बदलाव हुए हैं। इस बार सुरक्षा मानकों को ध्यान में रखकर परिवर्तन किए गए हैं। सभी बदलावों में इस बात का ध्यान रखा गया है कि बीएचयू की उपाधि परंपरा यथावत रहे।