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यूपी में सड़कों की विशेष मरम्मत के प्रस्ताव पर उठे सवाल, नये प्रस्ताव मांगें

यूपी में सड़कों की विशेष मरम्मत के प्रस्ताव सवालों के घेरे में आ गए हैं। ऐसे में नये प्रस्ताव मांगे गए हैं। अब एक सप्ताह के अंदर मुख्य सचिव और अधीक्षण अभियंता स्तर के अधिकारी देंगे प्रस्ताव कि कौन सी सड़क की मरम्मत होनी है।

Srishti Kunj हिन्दुस्तान, लखनऊSun, 10 Nov 2024 06:18 AM
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उत्तर प्रदेश में जिलों से अधीक्षण अभियंताओं से नीचे के इंजीनियरों द्वारा विशेष मरम्मत के लिए चिन्हित कर कार्ययोजना में प्रस्तावित किए गए सड़कों पर सवाल खड़े हो गए हैं। मुख्यालय स्तर से हुई रैंडम जांच में सामने आया है कि अधिक दबाव वाली क्षतिग्रस्त सड़कों को नजरअंदाज कर जिलों ने कम दबाव वाली उन सड़कों का प्रस्ताव दिया है जो जो सड़कें अभी और चल सकती हैं। शासन ने निर्देश जारी किया है कि मुख्य अभियंता और अधीक्षण अभियंता स्थलीय निरीक्षण कर फोटो और वीडियो साक्ष्य के साथ सड़कें प्रस्तावित करेंगे।

एक सप्ताह के अंदर विशेष मरम्मत की सड़कों का प्रस्ताव देने का आदेश
लोक निर्माण विभाग के प्रमुख सचिव अजय चौहान का कहना है कि अगले एक सप्ताह में मुख्य अभियंता और अधीक्षण अभियंता विशेष मरम्मत के लिए सड़कों का चयन कर कार्ययोजना के लिए प्रस्ताव देंगे। जिसके बाद बजट जारी कर काम तेजी से कराया जाएगा। प्रमुख सचिव का कहना है कि 40 लाख से कम बजट वाली विशेष मरम्मत की अधिकांश सड़कों को बनाने की स्वीकृतियां पहले जारी कर की जा चुकी हैं। इससे अधिक बजट वाली सड़कों के लिए स्वीकृतियां जारी किया जाना है। इस व्यवस्था से यह होगा कि जिन सड़कों को तत्काल ठीक किया जाना बहुत जरूरी है वे सड़कें ही प्राथमिकता से बनेंगी।

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स्थलीय निरीक्षण का रंगीन फोटो भी प्रस्ताव में शामिल होगा
इस संबंध में प्रमुख अभियंता (यातायात वर्ग) की तरफ से प्रदेश के सभी मुख्य अभियंताओं को पत्र जारी किया गया है। जिसमें लिखा है कि विशेष मरम्मत कार्य के लिए सड़कों की कार्ययोजना में चिन्हित सड़कों का वीडियो कांफ्रेसिंग के माध्यम से स्थलीय निरीक्षण करने के बाद ही आगणन उपलब्ध कराया जाए। पूर्व में भेजे गए कार्ययोजना में अधिकांश कार्य ऐसे हैं जो औचित्यपूर्ण प्रतीत नहीं हो रहे हैं। अत: इस कार्यों का स्थलीय सत्यापन मुख्य अभियंता और अधीक्षण अभियंता करें। कार्यस्थल का निरीक्षण करते हुए फोटो, रंगीन फोटोग्राफ के साथ प्रस्ताव भेजे जाएं। इस बात का ध्यान रखा जाए कि जिलों में अधिक क्षतिग्रस्त मार्गों को प्राथमिकता के आधार पर प्रस्तावित किया जाए।

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