गुब्बारा बना जानलेवा, 3 साल की बच्ची की गई जान, खेलते-खेलते रुक गई सांस
प्रयागराज में एक हादसे में तीन साल की बच्ची की जान चली गई। बच्ची गुब्बारे से खेल रही थी। गुब्बारा फुलाने में फट गया और उसका कुछ हिस्सा गले में फंस गया। गले में फंसने से वो सांस नहीं ले पाई और उसकी जान चली गई।
प्रयागराज के लालगोपालगंज में गुब्बारे के साथ खेलना एक बालिका के लिए जानलेवा साबित हो गया। गुब्बारा फुलाने के दौरान फट गया और उसका कुछ हिस्सा गले में फंस गया। गले में गुब्बारा फंसते ही बालिका की तबियत खराब होने लगी। परिजन अस्पताल लेकर भागे, लेकिन उसे बचाया नहीं जा सका। घटना नवाबगंज थानांतर्गत लालगोपालगंज कस्बे के इमामगंज मोहल्ले में बुधवार दोपहर हुई। उतरांव थाना क्षेत्र के फतूहा निवासी इमरान का विवाह लालगोपालगंज के मोहल्ला इमामगंज निवासी रईस अहमद की पुत्री से हुआ है। इमरान की पत्नी नाजरीन बानो तीन वर्षीय बेटी शहरीन के साथ मायके आई थी।
बताया जाता है कि बुधवार दोपहर बेटी शहरीन अन्य बच्चों के साथ गुब्बारा लेकर खेल रही थी। इसी दौरान गुब्बारा फट गया और उसका कुछ हिस्सा उसके गले में अटक गया। हालत खराब होने पर ननिहाल के लोग उसे स्थानीय डॉक्टर के पास ले गए, जहां से उसे जिला अस्पताल के लिए रेफर कर दिया गया। परिजन बच्ची शहरीन को लेकर प्रयागराज जा रहे थे, लेकिन रास्ते में ही उसकी मौत हो गई। इसके बाद परिजन बेटी का शव लेकर फतूहा, उतरांव चले गए। नातिन की मौत से ननिहाल के साथ-साथ फतूहा में भी मातम पसरा हुआ है।
गहरी सांस लेने से श्वास नली में फंसा गुब्बारा
लालगोपालगंज के इमामगंज मोहल्ले में बुधवार को तीन साल की बच्ची की सांस नली में गुब्बारे का टुकड़ा फंसने से मौत हो गई। डॉक्टरों का कहना है कि यदि समय रहते उपचार हो जाता तो जान बचाई जा सकती थी। इस तरह की घटनाएं अक्सर छोटे बच्चों के साथ हो जाती हैं। जब उनके गले में कोई छोटी चीज अचानक फंसती है तो जानलेवा साबित हो जाती है।
युनाइटेड मेडिसिटी के प्राचार्य व ईएनटी विशेषज्ञ डॉ. मंगल सिंह ने बताया कि गुब्बारे को फुलाने के बाद गहरी सांस की जरूरत पड़ती है। ऐसी स्थिति में गुब्बारा फटता है तो उसका ऊपरी भाग जिसमें हवा फूंकते हैं वह तेजी से गले में जाकर सांस नली में फंस जाता है। इस तरह के केस अक्सर अस्पताल मेंआतेरहतेहैं।
गले में वस्तु फंसने से बच्चे खखार नहीं पाते
ईएनटी विशेषज्ञ डॉ. एलएस ओझा ने बताया कि छोटे बच्चों के गले में जब कोई चीज फंसती है तो वे खखार नहीं पाते। गुब्बारा फटने के बाद उसका भाग सांस नली की आंतरिक सतह पर जाकर चिपक जाता है। इस समस्या को फारेन बॉडी ट्रैकिया कहते हैं। इसमें पीड़ित को तत्काल ईएनटी डॉक्टर के पास ले जाना चाहिए।
छोटे बच्चों को धातु, अनाज आदि खेलने को न दें
ईएनटी विशेषज्ञ डॉ. आशुतोष राय ने बताया कि छोटे बच्चों में किसी भी वस्तु को मुंह में डालने की आदत होती है। गुब्बारा फुलाने के बाद बच्ची गुब्बारे के ऊपरी भाग को मुंह में दबा कर रखी थी। इसलिए जब गुब्बारा फटा तो वह हड़बडी में सांस से अंदर चला गया होगा। क्योंकि गुब्बारे का टूटा हुआ भाग पतला होता है। इसलिए छोटे बच्चों को चना, राजमा, सरसों, छोटे बालू, सिक्के आदि से दूर रखें।