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पुरी पीठाधीश्वर जगद्गुरु शंकराचार्य स्वामी निश्चलानंद सरस्वती का दावा- राममंदिर सही स्थान, सही नक्षत्र में नहीं बना

प्रतापगढ़ में पुरी पीठाधीश्वर जगद्गुरु शंकराचार्य स्वामी निश्चलानंद सरस्वती ने कहा कि राम मंदिर न तो सही स्थान पर बना है, न सही नक्षत्र में बना है और न ही सही व्यक्ति द्वारा इसकी प्राण प्रतिष्ठा की गई है।

Srishti Kunj हिन्दुस्तान, प्रतापगढ़, हरिकेश मिश्रFri, 25 Oct 2024 08:55 AM
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प्रतापगढ़ में पुरी पीठाधीश्वर जगद्गुरु शंकराचार्य स्वामी निश्चलानंद सरस्वती ने कहा कि राम मंदिर न तो सही स्थान पर बना है, न सही नक्षत्र में बना है और न ही सही व्यक्ति द्वारा इसकी प्राण प्रतिष्ठा की गई है। लालगंज के सरस्वती विद्या मंदिर इंटर कालेज में चल रही कथा के बाद मीडिया से बातचीत में गुरुवार को उन्होंने भाजपा पर हमला बोला। उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर भी तंज किया। कहा कि मोदी को वर्णाश्रम व्यवस्था के प्रति भ्रम था।

अयोध्या में भगवान श्रीराम की प्राण प्रतिष्ठा में उन्होंने वर्ण व्यवस्था को अस्वीकार किया। इसी का परिणाम रहा कि भाजपा अयोध्या, चित्रकूट, नासिक, रामेश्वरम् में चारों खानें चित्त हो गई। उन्होंने कहा कि ईश्वर मनुष्य की योग्यता के अनुरूप उसकी भूमिका का निर्माण किया करते हैं। ब्राम्हण सद्कर्म में रहेगा तो उसके रूप में भगवान कल्कि का आगमन होगा। वेद मंत्र का अधिकार की सीमा से बाहर जप मारक बन जाता है।

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कलयुग में ब्राह्मण सदकर्म में रहेगा तो ब्राह्मण के रूप में भगवान कल्कि का अवतार होगा। कलियुग मृत्युलोक का खलनायक है। भगवान प्राणी की योग्यता के अनुरूप मृत्युलोक में उसकी भूमिका का निर्माण किया करते हैं। यह बातें हिन्दू राष्ट्रोत्कर्ष संगोष्ठी में दूसरे दिन गुरुवार को पुरी पीठाधीश्वर शंकराचार्य स्वामी निश्चलानन्द सरस्वती ने कही। सनातन धर्म के प्रति लोगों को जागरुक करते हुए उन्होंने कहा कि पेट परिवार तक ही सीमित न रखकर हिन्दुत्व व सनातन संस्कृति के प्रति अपने कर्म और धर्म का सदाचरण जीवन का ध्येय बनाएं। संवाद सद्भावना पूर्ण होना चाहिए। हिन्दू राष्ट्र के रूप में भव्य भारत राष्ट्र की मानसरोवर से

कन्या कुमारी तक वृहद स्थापना पुरुषार्थ के स्वसंकल्प में सुनिश्चित है। उन्होंने सनातनियों को बताया कि संकल्प शक्तिवान होता है। रामसेतु के तोड़ने के लिए प्रयास की विफलता में अपने स्वसंकल्प के अनुभव को भी श्रद्धालुओं के लिए शक्तिवर्धक बोघ में मार्गदर्शक अनुभूति प्रदान किया। कहाकि देवता, ऋषि, मुनि का मार्ग जीवन में असंभव को संभव बनाने का मार्ग प्रशस्त किया करता है। मनुष्य को सदैव विकृति से दूर रहना चाहिए।

संगोष्ठी में श्रोताओं के अयोध्या मंदिर में रामलला की मूर्ति स्थापना के सवाल पर उन्होंने कहा कि सही मुहूर्त में कार्य न होने से उसका परिणाम दिख गया है। इससे पहले आयोजक पूर्व मंत्री प्रो. शिवाकांत ओझा, पदमासना, कृष्णकांत ओझा, निशाकांत ओझा, शशिकांत ओझा ने पूरी पीठाधीश्वर की पादुका का पूजन किया। इसके साथ ही पूर्व मंत्री राजेन्द्र प्रताप सिंह उर्फ मोती सिंह, आचार्य रामअवधेश मिश्र, आचार्य उमाशंकर मिश्र, डॉ. अमित सिंह, प्रदोष नारायण सिंह ने शंकराचार्य स्वामी निश्चलानन्द का आरती वंदन किया। कार्यक्रम में विनोद पांडेय, डॉ. अनुज नागेन्द्र, उमेश पाल मिश्र, ब्रजघोष ओझा, दीपेन्द्र ओझा, अंबरीष मिश्रा, महर्षि पांडेय, अजेन्द्र सिंह, केके सिंह आदि मौजूद रहे।

रामचरितमानस को राष्ट्रीय ग्रंथ घोषित कराने की मांग लालगंज। कस्बे में आयोजित हिन्दू राष्ट्रोत्कर्ष संगोष्ठी में दूसरे दिन गुरुवार को श्रीरामचरितमानस को राष्ट्रीय ग्रंथ घोषित किए जाने की मांग को लेकर अभियान समिति की ओर से पूरी पीठाधीश्वर शंकराचार्य स्वामी निश्चलानन्द को पत्रक सौंपा गया। अभियान समिति के राष्ट्रीय संयोजक ज्ञानप्रकाश शुक्ल की अगुवाई में समिति के पदाधिकारियों ने पूर्व कैबिनेट मंत्री प्रो. शिवाकांत ओझा, पूर्व मंत्री राजेन्द्र प्रताप सिंह, डा. शिवशंकर तिवारी के साथ सौंपे गए पत्रक में श्रीरामचरितमानस पाठ को राष्ट्रीय ग्रंथ घोषित किए जाने की भारत सरकार से मांग उठाई है। पत्रक सौंपकर कहा गया कि बाल्मीकि रामायण के अनादर पर नई भारतीय दंड संहिता में राजद्रोह का प्राविधान किया जाना चाहिए।

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