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कुर्सी पर सफेद तौलिये को लेकर यूपी में बड़ा घमासान, क्या है समाधान

यूपी में विधायकों की कुर्सियों पर सफेद तौलिये को लेकर मचे घमासान के बाद आपातकालीन बैठक बुलाई गई। अधिकारियों को निर्देश दिए गए कि प्रोटोकॉल का पालन न करने वालों के खिलाफ कार्रवाई की जाए।

Srishti Kunj लखनऊ, एचटी, उमेश रघुवंशीFri, 22 Nov 2024 08:38 AM
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यूपी में हाल ही में मुख्य सचिव मनोज कुमार सिंह ने एक आपातकालीन वीडियो कॉन्फ्रेंस बुलाई थी। इसमें यह सुनिश्चित करना था कि प्रशासनिक प्रोटोकॉल का पालन किया जाता है या नहीं। इसके अनुसार निर्वाचित प्रतिनिधियों को सार्वजनिक अधिकारियों से ऊपर रखा जाता है। दरअसल, सरकार ने आदेश दिया था कि सांसदों, विधायकों और एमएलसी को राज्य भर की बैठकों में समान ऊंचाई और तौलिया से सजी कुर्सियां दी जाएं। इस मामले में शिकायत मिली थी। आपातकालीन बैठक 6 सितंबर को राज्य की संसदीय निगरानी समिति की बैठक के बाद शिकायतों के हल के लिए बुलाई गई थी।

विधान सभा अध्यक्ष सतीश महाना की अध्यक्षता में हुई चर्चा में भाग लेने वाले विधायकों ने बताया था कि अधिकारी ऊंची-सजी हुई कुर्सियों पर बैठे थे और उनकी तरह अन्य निर्वाचित प्रतिनिधियों को ऐसी कुर्सियों पर नहीं बैठाया गया। शिकायत करते हुए मुजफ्फरनगर के चरथावल से समाजवादी पार्टी के विधायक पंकज मलिक ने कहा कि विधायकों को साधारण कुर्सियां दी जाती हैं और अधिकारी सफेद तौलिये वाली कुर्सियों पर बैठते हैं। अगर अधिकारी विधायकों का सम्मान नहीं कर सकते, तो वे लोगों के साथ अच्छा व्यवहार कैसे करेंगे। अधिकारी भी सोफों पर बैठे, जबकि विधायकों को साधारण कुर्सियां दी गईं। इस तरह का व्यवहार आपत्तिजनक था।

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क्या है प्रोटोकॉल
लखनऊ स्थित उत्तर प्रदेश सचिवालय हफ्ते में दो बार सोमवार और गुरुवार को लगभग 1,000 तौलिये बदले जाते हैं। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के भगवा रंग को छोड़कर, उनमें से अधिकांश सफेद हैं। तौलिए पूरी लंबाई (180x90 सेमी तक) के हैं। कोई केंद्रीकृत खरीद प्रणाली नहीं है और सचिवालय, विभाग, प्रभाग और जिले उन्हें अनुमोदित एजेंसियों से खरीदते हैं। राज्य सचिवालय में शुरू हुई ये प्रथा पूरे प्रदेश में फैली है।

शिकायत का समाधान
इस मामले में शिकायतों के बाद संसदीय मामलों के विभाग के प्रमुख सचिव जेपी सिंह ने 7 अक्टूबर को एक सरकारी आदेश जारी किया। इसमें तौलिया मानदंडों को पूरा करने को लेकर कड़ा संज्ञान लिया गया। अधिकारियों ने कहा, मुख्य सचिव की बैठक के बाद से कोई शिकायत सामने नहीं आई है। जेपी सिंह ने कहा कि मुख्य सचिव की अध्यक्षता में हुई बैठक के बाद हमें कहीं से भी प्रोटोकॉल के उल्लंघन के बारे में कोई शिकायत नहीं मिली है। यह सुनिश्चित किया जा रहा है कि इस मुद्दे पर कोई उल्लंघन न हो। यदि राज्य सरकार को प्रोटोकॉल के उल्लंघन की कोई रिपोर्ट मिलती है तो कार्रवाई की जाएगी।

विपक्ष अब भी नाराज
कई विधायकों, मुख्य रूप से विपक्षी दलों ने बताया कि उनकी कई कुर्सियां बिना सजी-धजी रहती हैं। समाजवादी पार्टी एमएलसी और प्रवक्ता, राजेंद्र चौधरी ने कहा कि सरकारी आदेश के बाद भी आधिकारिक बैठकों में कोई बदलाव नहीं हुआ है। इसका मुख्य कारण यह है कि भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) का नेतृत्व लोकतांत्रिक प्रणाली में विश्वास नहीं करता है और इसलिए लोकतांत्रिक रूप से चुने गए जन प्रतिनिधियों को वांछित उपचार नहीं मिलता है।

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