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कैसे मिला राम का रोल, क्या-क्या आईं तकलीफें? विजयदशमी पर अरुण गोविल ने साझा किया रामायण सीरियल का अनुभव

‘रामायण’ के राम और मेरठ-हापुड़ लोकसभा क्षेत्र के सांसद अरुण गोविल ने विजयदशमी के अवसर पर रामायण धारावाहिक पर हिन्दुस्तान के साथ विशेष बातचीत की। अरुण गोविल ने बताया कि किस प्रकार उनको भगवान राम का अभिनय करने का मौका मिला, कैसे वह इसी रोल को करने की जिद पर अड़ गए।

Srishti Kunj हिन्दुस्तान, मेरठSat, 12 Oct 2024 01:25 PM
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‘रामायण’ के राम और मेरठ-हापुड़ लोकसभा क्षेत्र के सांसद अरुण गोविल ने विजयदशमी के अवसर पर रामायण धारावाहिक पर हिन्दुस्तान के साथ विशेष बातचीत की। अरुण गोविल ने बताया कि किस प्रकार उनको भगवान राम का अभिनय करने का मौका मिला, कैसे वह इसी रोल को करने की जिद पर अड़ गए, कैसे अपने चेहरे पर ‘भगवान का भाव’ लाने के लिए मेहनत करनी पड़ी। रामायण धारावाहिक में सबसे लंबा संवाद 14 मिनट का था। संवाद इतना लंबा था कि रामानंद सागर को झपकी आ गई और मुझे ही ओके करना पड़ा।

14 मिनट के संवाद में सो गए रामानंद सागर
शूटिंग के दौरान का किस्सा सुनाते हुए उन्होंने बताया कि रामायण धारावाहिक में उनका सबसे लंबा संवाद 14 मिनट का था। इसकी शूटिंग रात में हुई थी। इस संवाद को उन्होंने एक ही टेक में बोल दिया था। संवाद इतना लंबा था कि रामानंद सागर को इस बीच झपकी आ गई और मुझे ही ओके बोलना पड़ा।

रावण को पता था मोक्ष कैसे मिलेगा
अरुण गोविल ने कहा कि भगवान राम धैर्यशीलता, मर्यादा और परस्पर एकता के प्रतीक हैं। रावण महाज्ञानी था लेकिन चतुर भी था। उसको पता था कि उसको मोक्ष कैसे मिलेगा। इसलिए वह विलेन बना। विजयादशमी का यही संदेश है कि हम मर्यादित आचरण करें और परस्पर एक रहें। यही भारत की पहचान है।

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राम के चरित्र से थे प्रभावित
अरुण गोविल ने कहा कि वह पहले ही रामायण और भगवान श्रीराम से प्रभावित थे, इसलिए वह धारावाहिक में सिर्फ भगवान श्रीराम का ही किरदार निभाना चाहते थे। रामानंद सागर के बेटे ने दो महीने बाद सूचना दी कि चयन कमेटी ने उनको राम के किरदार के लिए फाइनल कर लिया है। भगवान श्रीराम की कृपा हुई कि उन्हें धारावाहिक में राम के अभिनय का मौका मिला।

धारावाहिक ने तोड़ दिए थे सारे रिकार्ड
दूरदर्शन पर पहली बार रामायण का प्रसारण 25 जनवरी 1987 को शुरू हुआ और 31 जुलाई 1988 को आखिरी एपिसोड आया था। तब से अब तक अरुण गोविल भगवान राम की छवि से बाहर नहीं निकल पाए हैं। 36 साल बाद भी लोग अरुण गोविल में भगवान राम की छवि देखते हैं। अरुण गोविल कहते हैं कि वह एक्टर नहीं, बिजनेसमैन बनने के लिए मुंबई पहुंचे थे, लेकिन धारावाहिक में राम के किरदार से लेकर अब रावण की ससुराल कहे जाने वाले मेरठ के सांसद बनने तक सब कुछ भाग्य से हुआ।

मेरी जिद थी मैं भगवान राम का ही रोल करूंगा
उन्होंने बताया कि रामानंद सागर से मेरी पुरानी मित्रता थी, मुझे पता लगा कि वह दूरदर्शन के लिए रामायण धारावाहिक बना रहे हैं। मैं उनके पास पहुंचा और कहा कि मैं भगवान राम का रोल करना चाहता हूं। रामानंद सागर ने कोई जवाब नहीं दिया। इस बात को दो महीने बीत गए। अचानक एक दिन मुझे सागर जी ने बुलाया लेकिन राम के रोल पर कोई चर्चा नहीं की। उनके बेटे ने कहा कि आप लक्ष्मण या भरत का रोल कर लीजिये, लेकिन मैंने इंकार कर दिया। मैं जिद पर अड़ गया कि मुझे भगवान राम का ही रोल करना है।

राम की कृपा से आई मुस्कुराहट
अरुण गोविल ने बताया कि फाइनल रिहर्सल वाले दिन मुझे और बाकी टीम को अभिनय में ‘भगवान’ वाला फील नहीं आ रहा था। तभी मुझे याद आया कि राजश्री फिल्म के ताराचंद बड़जात्या ने एक बार मुझसे कहा था कि अरुण तुम मुस्कुराते बहुत अच्छा हो, कभी इसका इस्तेमाल करना, बस वह बात मुझे क्लिक कर गई। रामजी की कृपा से यही मुस्कुराहट भगवान राम के रोल को हिट करा गई।

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