ऑपरेशन टाइगर: आठ दिन से खुले मैदान में बाघ का ‘शिकार’ लेकर बैठे एक्सपर्ट, अब भी पकड़ से बाहर
लखीमपुर-खीरी के महेशपुर रेंज में आठ दिनों से वन विभाग और एक्सपर्ट की टीम बाघ का ‘शिकार’ लिए बैठी है। वे मौका तलाश रहे कि कब बाघ यहां तक आए और उसे काबू में करने का जतन किया जा सके पर बाघ है कि वह इस ‘मुफ्त’ भोजन के करीब तक नहीं जाना चाह रहा।
लखीमपुर-खीरी के महेशपुर रेंज में आठ दिनों से वन विभाग और एक्सपर्ट की टीम बाघ का ‘शिकार’ लिए बैठी है। वे मौका तलाश रहे कि कब बाघ यहां तक आए और उसे काबू में करने का जतन किया जा सके पर बाघ है कि वह इस ‘मुफ्त’ भोजन के करीब तक नहीं जाना चाह रहा। यही बात वन विभाग के लिए तनाव का सबब है। यूं तो दक्षिण खीरी के महेशपुर में ऑपरेशन टाइगर 28 अगस्त से शुरू हुआ था। वहीं, जब पिंजरों में बाघ का फंसना नामुमकिन हो गया तो एक्सपर्ट ने उसे खुले में घेरने की तैयारी की। तीन किलोमीटर के दायरे में खुले मैदान व खेतों के पास उसके ‘शिकार’ का इंतजाम किया गया।
पांच पड्डे और चार बकरियां बांधी गई। वन विभाग को अंदाजा था कि बाघ खुले में बंधे इन जानवरों के पास जरूर आएगा और इसी दौरान उसे ट्रैंकुलाइज कर लिया जाएगा। वहीं, वन विभाग की इस रणनीति में बाघ फंस ही नहीं रहा। उसके पगमार्क तो शिकार के करीब मिलते हैं लेकिन वह वहां तक जा नहीं रहा। एक्सपर्ट सुबह-शाम मचान पर बैठकर बाघ का रास्ता ही देख रहे हैं। डीएफओ संजय विश्वाल ने बताया कि बाघ को घेरने का इससे बेहतर विकल्प नहीं है।
बाघ गन्ने के खेतों में है और वहां शिकार की कमी है। ऐसे में उसे बाहर निकलकर इन पशुओं को खाना चाहिए। एक पड्डा उसने एक शाम को मारा भी था पर वह शिकार करने के बाद रुका नहीं। वन विभाग पशुओं की लगातार निगरानी करा रहा है। 20 वाचर भी अभियान में लगे हैं पर फिलहाल कामयाबी नहीं मिली है।
पलियाकलां में मगरमच्छ का हमला
पलियाकलां में तालाब के पास से गुजर रहे एक युवक पर मगरमच्छ ने हमला कर जख्मी कर दिया है। घायल को सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र लाया गया। जहां से उसे जिला अस्पताल रेफर किया गया है। बुद्धापुरवा गांव निवासी 30 वर्षीय राजेश पुत्र रमेश तालाब के पास से होकर गुजर रहा था। बताया जाता है कि इस बीच एक मगरमच्छ ने उसका पैर पकड़ लिया और उसको खींचने लगा। किसी तरह शोर मचाने और आसपास के लोगों ने आकर युवक को मगरमच्छ से छुड़ाया। युवक का पैर काफी जख्मीहोगयाहै।