कतर्नियाघाट रेंज में बाघ ने किशोर को बनाया निवाला, बॉर्डर के विवाद में उलझा हमला
- दुधवा टाइगर रिजर्व के कतर्नियाघाट रेंज के जंगल के करीब चारा लेने गए 15 साल के किशोर को बाघ ने मौत के घाट उतार दिया। उसकी गर्दन पर दांतों के निशान मिले। हालांकि वन विभाग यह स्पष्ट नहीं कर सका कि हमलावर जानवर बाघ है या तेंदुआ।
दुधवा टाइगर रिजर्व के कतर्नियाघाट रेंज के जंगल के करीब चारा लेने गए 15 साल के किशोर को बाघ ने मौत के घाट उतार दिया। उसकी गर्दन पर दांतों के निशान मिले। हालांकि वन विभाग यह स्पष्ट नहीं कर सका कि हमलावर जानवर बाघ है या तेंदुआ। दुधवा टाइगर रिजर्व के एफडी ललित वर्मा ने पुष्टि की है कि घटना कतर्निया घाट क्षेत्र में हुई है। बेलरायां रेंज के मझरा पूरब के दुमेड़ा गांव निवासी कमलेश निषाद का 15 वर्षीय बेटा परशुराम शनिवार दोपहर बाद साथियों के साथ गांव के पास नानपुर जंगल में लकड़ी बीनने गया था। परशुराम दूसरे बच्चों से थोड़ा पीछे रह गया।
इसी दौरान झाड़ियों में घात लगाए बैठे बाघ ने परशुराम पर हमला कर दिया और उसकी गर्दन मुंह में दबाकर जंगल के अंदर खींच ले गया। किशोर की चीख सुनकर अन्य किशोरों ने गांववालों को सूचना दी। मौके पर पहुंचे ग्रामीणों ने एकत्र होकर जंगल में परशुराम को खोजना शुरू कर दिया। काफी तलाश के बाद शव को बरामद कर लिया गया। ग्रामीणों की सूचना पर पढुआ एसओ और वन विभाग की टीम मौके पर पहुंची।
सीमा विवाद में उलझा बाघ का हमला
बाघ के हमले में किशोर की मौत के बाद घटनास्थल को लेकर असमंजस की स्थिति रही। मामला सीमा विवाद में उलझ गया। आखिर तय हुआ कि वन विभाग के मुताबिक घटनास्थल कतर्निया घाट क्षेत्र है। जबकि पुलिस का क्षेत्र खीरी जिले का पढ्ढुआ थाना है। शनिवार दोपहर बाद एक किशोर पर हमला कर बाघ ने उसकी जान ले ली। बेलरायां रेंज के अफसर पहुंचे। इसके बाद घटनास्थल बेलरायां या बहराइच की कतर्निया घाट रेंज में होने को लेकर असमंजस की स्थिति बनी हुई थी।
एसडीएम राजीव निगम और तहसीलदार भीमचंद भी मौके पर पहुंचे और घटना की जानकारी ली। उत्तर निघासन वन रेंज के रेंजर भूपेंद्र सिंह ने बताया कि घटना कतर्निया घाट वन रेंज की है। फिलहाल पुलिस ने शव को पोस्टमार्टम के लिए भेजा है। दुधवा के एफडी ललित वर्मा ने भी घटनास्थल कतर्निया घाट ही बताया है। बता दें कि दुधवा बफर जोन और कर्तनिया घाट वन रेंज में बाघ के हमले पिछले पांच वर्षों में अधिक हुए है। वर्ष 2020 से पहले बाघ के हमले इलाके में न के बराबर थे, लेकिन वर्ष 2020 में बाघ ने इंसानी जीवन को निगलने का जो सिलसिला शुरू किया वह रुकने का नाम नहीं ले रहा हैं।
वन विभाग ने कैमरे, पिंजड़े आदि लगवाए थे और प्रशिक्षित हथनी चंपाकली और जयमाला को भी बाघ की टोह लेने के लिए लगाया था। महकमे ने जनता को राहत देने को डॉक्टरों की टीम भी लगाई थी जो कि बाघ को ट्रेंकुलाइज कर सके। इतना तामझाम के बाद एक बाघ और एक बाघिन को पकड़ा गया था।