लखनऊ में बाघ: बीती रात नीलगाय का बचा हिस्सा खींच ले गया टाइगर, कैमरा में कोई सुराग नहीं
यूपी में काकोरी में बाघ की दहशत फैली हुई है। बुधवार को बाघ ने एक नील गांव को शिकार बनाया। इसी के बाद से वन विभाग बाघ को पकड़ने में जुटा है। हालांकि, रात में कोई हलचल नहीं दिखी है।
यूपी में काकोरी में बाघ की दहशत फैली हुई है। बुधवार को बाघ ने एक नील गांव को शिकार बनाया। इसी के बाद से वन विभाग बाघ को पकड़ने में जुटा है। हालांकि, रात में कोई हलचल नहीं दिखी है। आज, शुक्रवार को दिन में 12.30 बजे वाइल्ड लाइफ डीएफओ और विशेषज्ञ दौरा करने पहुंचे तो उन्होंने देखा कि नीलगाय के बचे हुए अवशेष वहां नहीं थे। नीलगाय के बचे अवशेष को भी बाघ खींचकर ले गया। इससे लगता है कि बाघ का मूवमेंट हैं।
वन विभाग का कहना है कि नीलगाय का पिछला हिस्सा इतना भारी होता है कि किसी दूसरे जानवर के बस की बात नहीं है कि खींचकर ले जाए। इलाके में दहशत बरकरार है, आसपास के बच्चों ने स्कूल जाना छोड़ा। कृषि विभाग के फार्म हाउस पर काम ठप है। किसी कैमरे में नहीं दिखा, किसी ने देखने का दावा नहीं किया।
बाघ को पकड़ने के लिए गुरुवार को ही पिंजरा लगाया गया था। इसमें एक बकरी बांधी गई थी। पिंजरे में बांधे गए शिकार को भी बाघ ने नहीं छुआ है। बाघ को पकड़ने में वन विभाग पूरी कोशिश में लगा है। बाघ ने रहमान खेड़ा स्थित बागवानी संस्थान के जंगल में बुधवार को रखे गए पिंजरे के पास तड़के नीलगाय का शिकार किया था। गुरुवार सुबह क्षत विक्षत शव देख कर्मचारियों ने वन विभाग को सूचना दी थी।
करझन, रहमान खेड़ा के जंगल में मिले पगचिह्नों से हिंसक जानवर के बाघ होने की पुष्टि हुई। अभी तक जंगल में लगे ट्रैप कैमरों में जानवर कैद नहीं हुआ है। संस्थान के ब्लॉक दो में दहाड़ सुनाई पड़ी तो संस्थान में मजदूरों को काम से रोक दिया गया। डीएफओ सितांशु पाण्डेय ने बताया कि पग चिह्नों के आकार बाघ जैसे ही हैं।
लगाया पिंजरा
रहमानखेड़ा में बाघ को पकड़ने के लिए वन विभाग ने तैयारी तेज कर दी है। क्षेत्रीय वनाधिकारी सोनम दीक्षित ने बताया कि रहमान खेड़ा और करझन गांव में हिंसक जानवर के पग चिह्न दिखने के बाद केंद्रीय उपोष्ण बागवानी संस्थान के खेतों में बुधवार देर रात वन विभाग ने पिंजरा लगाया था। गुरुवार तड़के सुबह बाघ ने पिंजरे के पास ही नील गाय का शिकार किया। संस्थान में बाघ की मूवमेन्ट पर नजर रखने के लिए सात जगह कैमरे लगाए गए हैं। वहीं देर शाम संस्थान में बेल वाले ब्लॉक के पीछे झाड़ियों में दूसरा पिंजरा लगाया है। जिसमें बाघ के शिकार के लिए बकरी बांधी गयीं है।
डीएफओ सितांशु पाण्डेय ने बताया कि मिले पगचिह्नों की जांच में पगचिन्ह 13 सेंटीमीटर से अधिक के पाए गए हैं। यह साइज बाघ के पंजों जैसा ही है। आसपास के इलाकों में लगभग दस किलोमीटर तक कॉम्बिंग की जा रही है। संस्थान के ब्लॉक में बाघ की सबसे ज्यादा चहलकदमी पाई गई है। गुरुवार को भी नए पगचिह्न मिले हैं। जिसके बाद संस्थान में सात ट्रैप कैमरा और दो पिंजरे लगाए गए है। संस्थान में सुनाई पड़ी बाघ की दहाड़ः संस्थान में काम करने वाले मजदूरों के अनुसार बुधवार देर शाम और गुरुवार की सुबह बाघ की दहाड़ सुनाई पड़ी थी। जिसके बाद संस्थान में काम करने वाले कर्मचारियों को छुट्टी दे दी गयी है। आसपास के इलाकों के ग्रामीण दहशत में है।
मुख्य वन्य जीव संरक्षक (चीफ कन्जर्वेटर) रेनू सिंह ने बाघ को पकड़ने के लिए 15 लोगों की टीम लगाई गई हैं। थर्मल ड्रोन के लिए कहा गया है, 2 या 3 लगाए जाए जिससे उसे ट्रैकिंग किया जा सके। साथ ही कैमरा ट्रैप भी लगाए जाएं। जब तक टाइगर पकड़ा नहीं जाता जब तक ग्रामीणों को आने से मना किया गया है।
शहर में बाघ के आने पर उन्होंने कहा, “एनिमल कही से भी आ सकते हैं। टाइगर का मूवमेंट बहुत तेजी से होता है। यह पानी के रूट का किनारा पकड़ कर भी आ सकता है। कहां से आया है इसकी जांच की जा रही है। जानकारी होते ही बाघ को पकड़ने के लिए टीम लगा दी गई थी। टाइगर की संख्या बढ़ी है। इनका विहेबियर अनप्रिडिक्टेबल होता है और जब ज्यादा संख्या हो जाती है तो बाहर निकल के दूसरी जगह जाने की कोशिश करते हैं।”