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लूट-डकैती से ज्यादा साइबर क्राइम से लूट रहे रकम, इन बातों का ध्यान रख बच सकते हैं आप

आगरा कमिश्नरेट में पिछले दस महीने लुटेरों और बदमाशों ने इतनी रकम नहीं लूटी जितनी अकेले साइबर अपराधी बिना किसी को हथियार दिखाए ले गए। ऐसे में विशेषज्ञों ने लोगों को बचने के लिए टिप्स बताए हैं।

Srishti Kunj हिन्दुस्तान, आगराSat, 9 Nov 2024 10:13 AM
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आगरा कमिश्नरेट में पिछले दस महीने लुटेरों और बदमाशों ने इतनी रकम नहीं लूटी जितनी अकेले साइबर अपराधी बिना किसी को हथियार दिखाए ले गए। पिछले दस माह में साइबर थाने में साइबर क्राइम के 142 मुकदमे दर्ज हुए हैं। यह मामले पांच करोड़ से अधिक की ठगी के हैं। छोटे मामले थानों में दर्ज हुए। सैकड़ों प्रार्थना पत्रों की जांच लंबित हैं। सभी पीड़ितों की रकम जोड़ दी जाए तो यह आंकड़ा आठ करोड़ के पास हो जाएगा। आने वाले समय में साइबर क्राइम पर कैसे शिकंजा कसना है। इस पर मंथन चल रहा है।

साइबर अपराधी रोज एक नया तरीका ले आते हैं। डिजिटल अरेस्ट में तो एक शिक्षिका की जान ही चली गई। किसी न किसी बहाने झांसा देकर लोगों को जाल में फंसा ही लेते हैं। किसी को ट्रेडिंग में मुनाफे का झांसा दिया गया तो किसी को बंद पॉलिसी चालू कराकर रकम दिलाने का। डिजिटल अरेस्ट करके भी लाखों की रकम हड़पी गई। पढ़े लिखे शिकार बने। डीसीपी सिटी सूरज कुमार राय ने बताया कि साइबर थाने में बड़े मामले दर्ज कराए जाते हैं। साइबर थाने को और मजबूत बनाया जाने के प्रयास शुरू कर दिए गए हैं। पुलिस आयुक्त ने निर्देश दिए हैं कि साइबर थाने में विवेचकों की संख्या बढ़ाई जाए। विशेषज्ञों की तैनाती हो। बकायदा इंटरव्यू लेकर दरोगाओं को साइबर थाने में तैनाती दी जा रही है।

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दो हजार सिम और मोबाइल ब्लॉक कराए
डीसीपी सिटी सूरज कुमार राय ने बताया कि पिछले दस माह में साइबर थाना और साइबर सेल में जो भी शिकायतें आई उनमें प्रयुक्त करीब दो हजार मोबाइल नंबर ब्लॉक कराए जा चुके हैं। लखनऊ मुख्यालय इन नंबरों की सूचना भेजी जाती है। अब नंबर ही ब्लॉक नहीं होते वे मोबाइल भी ब्लॉक हो जाते हैं साइबर अपराधियों को आर्थिक चोट देने के लिए ऐसा किया जाता है। साइबर क्राइम की एक घटना में आठ से दस बैंक खाते रडार पर आते हैं। सभी को बंद कराया जाता है।

इन बातों का रखें ध्यान
- किसी अनजान का वीडियो कॉल न उठाएं। वाट्सएप पर अपरिचित कॉल साइलेंट की सुविधा है। सेटिंग में जाकर इसे एक्टिवेट करें।
- पुलिस, सीबीआई, ईडी, नारकोटिक्स ब्यूरो आदि जांच एजेंसी कभी वीडियो कॉल करके जांच नहीं करतीं।
- बच्चे के अपराध में पकड़े जाने की कोई सूचना दे तो उस पर यकीन नहीं करें। पेंशन ऑफिस वाले फोन करके कभी गोपनीय जानकारी नहीं मांगते हैं।
- बैंक मैनेजर भी फोन करके कभी गोपनीय जानकारी नहीं मांगते।
- सुरक्षित और मजबूत पासवर्ड का उपयोग करें।
- किसी भी अनजान लिंक पर क्लिक नहीं करें।

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