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बिजली निजीकरण के खिलाफ कर्मचारियों ने खोला मोर्चा, बनारस से जन पंचायत का ऐलान

उत्तर प्रदेश पावर कारपोरेशन प्रबंधन द्वारा घाटा दिखाते हुए प्रदेश की बिजली कंपनियों को चलाने के लिए पीपीपी माडल पर निजी क्षेत्र की हिस्सेदारी के फैसले का चौतरफा विरोध कार्मिकों ने शुरू कर दिया है।

Yogesh Yadav लाइव हिन्दुस्तानTue, 26 Nov 2024 10:39 PM
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उत्तर प्रदेश पावर कारपोरेशन प्रबंधन द्वारा घाटा दिखाते हुए प्रदेश की बिजली कंपनियों को चलाने के लिए पीपीपी माडल पर निजी क्षेत्र की हिस्सेदारी के फैसले का चौतरफा विरोध कार्मिकों ने शुरू कर दिया है। विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति ने मंगलवार को बैठक के बाद ऐलान किया है कि निजीकरण के फैसले के खिलाफ व्यापक जनसंपर्क अभियान और जन पंचायतें की जाएंगी। पहली जन पंचायत चार दिसंबर को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के चुनाव क्षेत्र वाराणसी में की जाएगी।

बैठक के माध्यम से मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से अपील की गई है कि व्यापक जनहित में वाराणसी और आगरा विद्युत वितरण निगमों के निजीकरण के निर्णय को निरस्त करें। समिति ने यह भी निर्णय लिया है कि निजीकरण के बाद होने वाली कठिनाइयों से लोगों को अवगत कराने के लिए व्यापक जनजागरण अभियान चलाया जाएगा। जन जागरण अभियान के पहले चरण में आगामी 4 दिसम्बर को वाराणसी में और 10 दिसम्बर को आगरा में जन पंचायत आयोजित की जाएगी। जन पंचायत में बिजली कर्मियों के साथ ही आम उपभोक्ता शामिल होंगे।

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विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति प्रमुख पदाधिकारियों जितेन्द्र सिंह गुर्जर, गिरीश पांडेय, महेन्द्र राय, सुहैल आबिद, पीके दीक्षित, वीसी उपाध्याय, आरबी सिंह, राजेंद्र घिल्डियाल, शशिकांत श्रीवास्तव, चंद्र भूषण उपाध्याय, आर वाई शुक्ला, एके श्रीवास्तव, मो. वसीम, श्रीचंद, सीएल दीक्षित, केएस रावत, देवेन्द्र पांडेय ने संयुक्त वक्तव्य जारी कर बताया है कि पॉवर कारपोरेशन का फैसला कर्मचारियों और आम जनता के हित में नहीं है। 25 जनवरी 2000 को मुख्यमंत्री के साथ हुए लिखित समझौते में यह लिखा है ‘विद्युत सुधार अंतरण स्कीम के लागू होने से हुए उपलब्धियों का मूल्यांकन कर यदि आवश्यक हुआ तो पूर्व की स्थिति बहाल करने पर एक वर्ष बाद विचार किया जाएगा।’

विघटन का प्रयोग पूरी तरह असफल रहा, पूर्व की स्थिति बहाल करें

वर्ष 2000 में राज्य विद्युत परिषद का विघटन होने के समय 77 करोड़ रुपये का घाटा अब 25 वर्ष के बाद 1.10 लाख करोड़ हो गया है। स्पष्ट है कि विघटन का प्रयोग पूरी तरह असफल रहा और 25 जनवरी 2000 के समझौते के अनुसार पूर्व की स्थिति बहाल की जानी चाहिए, जबकि प्रबंधन निजीकरण पर उतारू है। अप्रैल 2018 तथा अक्तूबर 2020 में तत्कालीन ऊर्जा मंत्री श्रीकान्त शर्मा एवं मंत्रीमंडलीय उपसमिति के अध्यक्ष वित्त मंत्री सुरेश खन्ना के साथ हुए समझौते में यह उल्लेख है कि “उत्तर प्रदेश में विद्युत वितरण निगमों की वर्तमान व्यवस्था में ही सुधार के लिए कर्मचारियों एवं अभियंताओं को विश्वास में लेकर सार्थक कार्यवाही की जाएगी। कर्मचारियों एवं अभियंताओं को विश्वास में लिए बिना राज्य में कोई निजीकरण नहीं किया जाएगा।’’

घाटे के भ्रामक आंकड़ें प्रस्तुत करने का लगाया आरोप

संघर्ष समिति ने कहा है कि पावर कारपोरेशन द्वारा जारी घाटे से संबंधित आंकड़ें पूरी तरह भ्रामक हैं। इसे इस तरह प्रस्तुत किया जा रहा है, जैसे घाटे का मुख्य कारण कर्मचारी व अभियंता हैं। इस वर्ष सरकार द्वारा 46130 करोड़ रुपये की सहायता देने की बात कही गई है। जिसमें यह तथ्य छिपाया जा रहा है कि 46130 करोड़ रुपये में सब्सिडी की धनराशि 20 हजार करोड़ रुपये है जो विद्युत अधिनियम-2003 के अनुसार सरकार को देनी ही होती है। इसी प्रकार जिस ओडिशा माडल की बात प्रबंधन कर रहा है, उसका परफॉर्मेंस उप्र की वितरण कंपनियों से कहीं ज्यादा खराब है। घाटे का बड़ा कारण निजी क्षेत्र से महंगी बिजली खरीदकर घाटा उठाते हुए सस्ते दरों पर बेचना है।

चेयरमैन से कहा आरक्षण पर होगा कुठाराघात, निजीकरण बर्दाश्त नहीं

आगरा व बनारस डिस्काम को ट्रिपल पी मॉडल पर देने के मुद्दे पर मंगलवार को पावर ऑफिसर्स एसोसिएशन व पावर कारपोरेशन प्रबंधन के बीच हुई वार्ता में नया मुद्दा उछला। दलित व पिछड़े वर्ग के अभियंता निजीकरण के प्रस्ताव पर भड़क गए, चेयरमैन से बोलें निजीकरण से आरक्षण कुठाराघात होगा, जिसे बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।

संविधान दिवस के दिन चली इस वार्ता के दौरान बोर्ड रूम में ही एसोसिएशन से जुड़े इंजीनियरों ने आरक्षण बचाने का संकल्प लिया। चेयरमैन से कहा कि पहले पदोन्नति में आरक्षण छीन लिया अब निजीकरण कर नौकरियों में आरक्षण छीनने का प्रयास हो रहा है। झुकेंगे नहीं लड़ाई लड़ेंगे। पूछा कि निजी घराने आरक्षण देंगे क्या? बिजली कंपनियों के घाटे के लिए राज्य सरकार व प्रबंधन को जिम्मेदार बताया।

पावर ऑफिसर एसोसिएशन के कार्यवाहक अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा ने कहा आज संविधान दिवस है। पूछा कि इस ट्रिपल पी मॉडल में संविधान में दिए गए आरक्षण का क्या होगा, यह तो निजीकरण का प्रयोग है। आरक्षण के संवैधानिक अधिकार को निजीकरण कर के समाप्त करने की साजिश नहीं होने देंगे। संगठन संवैधानिक लड़ाई लड़ने के लिए तैयार है।

बोले- सपा सरकार का फ्लाप माडल लागू करना चाहते हैं आप

एसोसिएशन ने कहा कि सपा सरकार में 2013 में पांच शहरों में पीपीपी मॉडल पर लागू करने की तैयारी की गई थी। भारी विरोध के बाद वापस लिया गया था। चेयरमैन से पूछा कि कल जब मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को मालूम होगा कि सपा सरकार का फ्लाप मॉडल लागू किया जा रहा है तो आप क्या जवाब देंगे? उद्योगपति केवल लाभ कमाने के लिए यहां आएंगे और अपने हित में प्रस्ताव तैयार कर के लाभ कमाएंगे। एसोसिएशन के महासचिव अनिल कुमार, सचिव आरपी केन, अतिरिक्त महासचिव अजय कुमार, संगठन सचिव बिंदा प्रसाद, सुशील कुमार वर्मा, अजय कुमार, विनय कुमार, प्रभाकर सिंह आदि इस वार्ता में उपस्थित थे।

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