यूपी में फिर होगा भीषण बिजली संकट? निजीकरण के खिलाफ हुंकार के बाद सभी DM-कमिश्नर को किया गया अलर्ट
यूपी में एक बार फिर भीषण बिजली संकट गहराने की आशंका नजर आने लगी है। एक तरफ विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति ने निजीकरण के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है तो दूसरी तरफ शासन ने सभी डीएम कमिश्नर और पुलिस कप्तानों को अलर्ट किया है। एहतियाती कदम अभी से उठाने का निर्देश दिया गया है।
यूपी में एक बार फिर भीषण बिजली संकट गहराने की आशंका नजर आने लगी है। एक तरफ विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति ने निजीकरण के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। चार दिसंबर को वाराणसी से जन पंचायत का ऐलान किया है तो दूसरी तरफ सभी डीएम, कमिश्नर और पुलिस कप्तानों को पत्र भेजकर अभी से अलर्ट कर दिया गया है। अभी से एहतियाती कदम उठाने का निर्देश दिया गया है। दिसंबर 2022 और पिछले साल मार्च में बिजली उत्पादन इकाइयों के निजीकरण समेत कई फैसलों के खिलाफ बिजली कर्मचारी हड़ताल पर चले गए थे। मार्च में चार दिन चली हड़ताल से हाहाकार मच गया था। अंततः सरकार को बैकफुट पर आना पड़ा था।
अब वितरण का निजीकरण के खिलाफ बिजली कर्मचारियों ने हुंकार भर दी है। कर्मचारियों का रुख देखते हुए शासन ने भी हड़ताल जैसी स्थिति से निबटने की तैयारी शुरू कर दी है। सभी डीएम-कमिश्नर को ऐसे लोगों का अभी से चिह्निकरण करने को कहा है जो बिजली कर्मचारियों के हड़ताल पर जाने के बाद स्थिति को संभाल सकें।
यूपी पावर कारपोरेशन लिमिटेड के चेयरमैन डॉक्टर आशीष कुमार गोयल ने डीएम-कमिश्नर और पुलिस कप्तानों को भेजे गए पत्र में बताया है कि क्यों बिजली वितरण को पीपीपी मॉडल पर चलाने की तैयारी हो रही है। इसके साथ ही कहा है कि अधिकांश अधिकारी/कर्मचारी संगठनों से वार्ता कर उनको ऊर्जा क्षेत्र की स्थिति से अवगत कराकर सरकार की मंशा से अवगत करा दिया गया है।
इसके बाद भी कुछ संगठनों के हड़ताल आदि जैसी कार्यवाही से इंनकार नहीं किया जा सकता। ऐसी स्थिति में बिजली व्यवस्था बनाए रखने और सम्भावित हड़ताल से निपटने की तैयारी अभी से कर ली जाए। बिजली उत्पादन स्टेशनों और पारेषण सब स्टेशन की सुरक्षा व्यवस्था अभी से चुस्त दुरुस्त करने को कहा गया है।
इसके साथ ही पत्र में कहा गया है कि जिले में विद्युत आईटीआई/मैकेनिक/लाईनमैन/स्किल विकास योजना के अंतर्गत प्रशिक्षित मैनपावर और सेवानिवृत्त अधिकारी/कर्मचारियों का चिन्हीकरण एवं तैनाती कर ली जाए। सरकार के अन्य विभागों लोक निर्माण विभाग, राजकीय निर्माण निगम, निर्माण संस्थाओं, सिंचाई विभाग के विद्युत खण्डों, इकाइयों में तैनात कर्मचारियों का भी चिन्हीकरण करने को कहा गया है ताकि विद्युत सबस्टेशनों पर इनकी तैनाती की जा सके।
आईटीआई, पॉलिटेक्निक और इंजीनियरिंग संस्थानों के छात्र जिनको वितरण निगमों में कार्यरत टर्नकी को कार्यदायी संस्थाओं और अन्य ठेकेदारों की टीमों के साथ प्रशिक्षण देकर तैनाती के लिए तैयार रखने को कहा गया है।
संविदा कार्मिक, लाईनमैन जिनको विद्युत लाईनों के अनुरक्षण में तैनात किया जा सकता है और संवेदनशील विद्युत सबस्टेशनों पर मैनपावर की तैनाती की योजना बनाने को भी कहा गया है।
इसके साथ ही एलटी, एचटी विद्युत लाईनों के अनुरक्षण के लिए एजेन्सियों का चिन्हीकरण कर उनसे बातचीत करने को कहा गया है। अतिसंवेदनशील स्थानों जैसे हास्पिटल, वाटर वर्क्स, मैडिकल कालेज, न्यायालय, कलक्ट्रेट आदि को सुचारू विद्युत व्यवस्था बनाये रखने के लिए कार्य योजना बनाने को भी कहा गया है। संवेदनशील स्थानों पर वैकल्पिक ऊर्जा यानी जेनरेटर आदि की व्यवस्था भी करने को कहा गया है।
इसके साथ ही दिसम्बर 2022 और मार्च 2023 में हुई हड़ताल में अराजकता एवं विद्युत प्रणाली में बाधा पहुंचाने वाले असामाजिक तत्वों का चिन्हीकरण भी करने को कहा गया है। जिलों के कर्मचारी संगठनों से भी बातचीत करने को कहा गया है। कहा गया है कि मुख्य अभियन्ता (वितरण) या अधीक्षण अभियन्ता (वितरण) के साथ बैठक कर आकस्मिक कार्य योजना बना ली जाये।
चेयरमैन ने बताया निजीकरण जरूरी क्यों
उत्तर प्रदेश में बिजली व्यवस्था को ट्रिपल पी माडल पर निजी क्षेत्र के सहयोग से संचालित करने का फैसला लेने के बाद उत्तर प्रदेश पावर कारपोरेशन प्रबंधन विरोध के स्वर को शांत करने में जुट गया है। पावर कारपोरेशन के चेयरमैन डा. आशीष कुमार गोयल ने सोमवार की शाम से ही कर्मचारी संगठनों के साथ बैठकों का क्रम शुरू किया है। घाटे के आंकड़ों को पीपीटी के माध्यम से समझा रहे हैं। साथ ही यह भी कह रहे हैं कि कोई ऐसा काम ना करें जिससे प्रदेश की बिजली सप्लाई बाधित हो।
चेयरमैन ने सोमवार की शाम उत्तर प्रदेश विद्युत परिषद अभियंता संघ के साथ बैठक की थी। मंगलवार को उन्होंने पावर आफिसर्स एसोसिएशन, जूनियर इंजीनियर संघ, विद्युत कर्मचारी यूनियन, विद्युत मजदूर पंचायत तथा विद्युत संविदा मजदूर यूनियन के पदाधिकारियों के साथ अलग-अलग बैठकें की। शक्तिभवन में दिनभर चली इन बैठकों में उन्होंने संगठन पदाधिकारियों को घाटे की जानकारी आंकड़ों के पीपीटी के प्रस्तुतिकरण के माध्यम से समझाया। कहा कि अब कोई विकल्प नहीं है। यह भी बताने की कोशिश की कि कर्मचारियों का हित पूरी तरह सुरक्षित रखा जाएगा। इन तमाम बैठकों में किसी भी संगठन ने प्रबंधन के ट्रिपल पी माडल का समर्थन नहीं किया।