बिजली दरें तय करने को नया मसौदा तैयार, निजी कंपनियों को दे सकता कीमतें बढ़ाने का अधिकार
- उत्तर प्रदेश में बिजली दर तय करने की नई नियामवली का मसौदा उत्तर प्रदेश विद्युत नियामक आयोग ने तैयार किया है, जिसे जल्द जारी कर दिए जाने की सूचना है। मल्टी ईयर टैरिफ रेगुलेशन-2025 के इस मसौदे में तय मानक के आधार पर ही सभी बिजली कंपनियों की बिजली दरें तय की जाएंगी।
उत्तर प्रदेश में बिजली दर तय करने की नई नियामवली का मसौदा उत्तर प्रदेश विद्युत नियामक आयोग ने तैयार किया है, जिसे जल्द जारी कर दिए जाने की सूचना है। मल्टी ईयर टैरिफ रेगुलेशन-2025 के इस मसौदे में तय मानक के आधार पर ही सभी बिजली कंपनियों की बिजली दरें तय की जाएंगी। आयोग में एक प्रस्ताव दाखिल कर उपभोक्ता परिषद ने कहा है कि दबाव में बिजली दरें तय करने के नियम कानून में कोई बदलाव नहीं किया जाए।
प्रस्तावित मसौदा निजी घरानों के हित में होने की आशंका जताई
राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा ने कहा है कि बिजली दरें तय करने के मौजूदा कानून में बदलाव को लेकर उत्तर प्रदेश पावर कारपोरेशन प्रबंध, ऊर्जा मंत्रालय और निजी औद्योगिक घराने सक्रिय हैं। आशंका जताई है कि प्रस्तावित मसौदे में ऐसी व्यवस्थाएं प्रस्तावित की जा सकती हैं, जिससे बिजली कंपनियों के निजीकरण के साथ ही निजी घरानों को बिजली दरों में बेतहाशा वृद्धि करने का अधिकार मिल जाए।
मामला ट्रिब्यूनल में लिहाजा मानकों में न हो बदलाव
अवधेश वर्मा ने इस आशंका को देखते हुए गुरुवार को ही विद्युत नियामक आयोग में इसके विरोध में प्रस्ताव दाखिल किया। नियामक आयोग अध्यक्ष अरविंद कुमार से मुलाकात कर कहा कि कोई भी ऐसा प्रस्ताव स्वीकार नहीं है, जिसमें उपभोक्ताओं का नुकसान हो। ये मामले अपीलेट ट्रिब्यूनल दिल्ली में लंबित हैं। पावर कारपोरेशन और उद्योगपतियों के दबाव में कानून बना तो आंदोलन होगा।
अवधेश ने उनसे कहा कि बिजली कंपनियों पर उपभोक्ताओं के निकल रहे 33122 करोड़ रुपये के एवज में आयोग बिजली दरें इसलिए कम नहीं करता है क्योंकि मामला अपीलेट ट्रिब्यूनल में लंबित है। ऐेसे में जो मानक ट्रिब्यूनल में चैलेंज किया गया है, उसमें कोई बदलाव नहीं किया जाए यही जनहित में होगा। यूपी में मल्टी ईयर टैरिफ रेगुलेशन-2019 में बना था, जिसकी अवधि 2024 में समाप्त हो गई है।